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साहित्यकारों ने कवि गोष्ठी में अटल जी को किया याद

सोमवार, 26 दिसंबर 2022

/ by Vipin Shukla Mama
साहित्यकार पन्नालाल "असर" झांसी का सम्मान
करैरा। करैरा के समस्त साहित्यकारों ने मुंशी प्रेमचंद कालोनी करैरा में निवासरत साहित्यकार सतीश श्रीवास्तव के निवास पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर कवि गोष्ठी का आयोजन किया.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में झांसी से पधारे उत्तर प्रदेश सरकार के लोक भूषण सम्मान से सम्मानित श्री पन्नालाल असर उपस्थित रहे , कार्यक्रम में अध्यक्षता डा. राजेन्द्र गुप्ता द्वारा की गई. 
आरंभ में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी बाजपेयी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर याद किया गया.
तदोपरांत डॉ. ओमप्रकाश दुबेजी की वर्तमान राजनीति पर प्रस्तुत शानदार रचना ने काव्य गोष्ठी में जोश भर दिया:-
"जबतक धर्म भाषा जाती पर हम आपस में करते रहेंगे दंगे।
तब तक राजनीतिक नेताओं के होते रहेंगे चंगे।"
डॉ. राजेन्द्र गुप्ता होम्योपैथी चिकित्सक द्वारा प्रस्तुत गीत को सभी ने सराहा:-
"रोज मरते हैं,रोज जीते हैं
जिंदगी में कहाँ, सुभीते हैं"।
तत्पश्चात शिक्षाविद श्री प्रभुदयाल शर्माजी ने शानदार काव्यपाठ करते हुए,गीत प्रस्तुत किया:-
"न आने का पता मुहूरत
न जाने का रहता है
गुजर गया जो सारा जीवन
सपने सा लगता है.
श्री प्रमोद गुप्ता"भारती जी"ने  जन्मदिन पर अपनी श्रेष्ठ रचना "कलमकार" से गोष्ठी को ऊँचाई प्रदान की -
देखो कैसी जंग लग गई
भाषा के औजारों में।
सच्ची बात न कहता कोई
झूठों के बाजारों में।।
तदोपरान्त श्री भारती ने समसामयिक परिदृश्य का सजीव दर्शन अपनी रचना के माध्यम से कराया:-
"जब किसान अपने खेतों में
गेहूं मक्का बोता है।
आशा की किरणें दिखतीं है
तब वो कितना खुश होता है.
साहित्यकार रमेश वाजपेयी ने सामाजिक समस्या को अपनी कविता के माध्यम से रखा.
श्री सौरभ तिवारी सरस ने शानदार व्यंग्य प्रस्तुत करते हुए अपनी रचना प्रस्तुत की:
मैं मन का कोलाहल लिख दूँ
या लिखूँ चीखता अन्तरमौन ।
लिखने को हर आह भी लिख दूँ
पर मेरा लिखा पढ़ेगा कौन  ??
वरिष्ठ साहित्यकार श्री सतीश श्रीवास्तव जी ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता सुनाकर उन्हें याद किया और अपने चिरपरिचित अन्दाज़ में कविता से सबका मन मोह लिया:-
जीवन पथ पर अंजाने में 
कितने पाप का बोझा ढोया, 
गंगा कितना धो पाएगी
जब तक मन का मैल न धोया.
मुख्य अतिथि पन्नालाल असर ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि करैरा के साहित्यकारों का सृजन सचमुच सराहनीय है और रचनाकार अपने सृजन से समाज को एक नई दिशा प्रदान करने में अपनी अहम भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मुझे करैरा में मुलाकात अवसर मिला है.
श्री पन्नालाल असर की ने अपनी कविताओं से गोष्ठी को शीर्ष पर पहुंचाया.
अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डा. राजेन्द्र गुप्ता ने समस्त साहित्यकारों की प्रसंशा करते हुए कहा कि करैरा में साहित्यिक वातावरण निर्माण में सभी साहित्यकारों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है,.
सभी ने मिलकर साहित्यकारों ने झांसी से पधारे साहित्यकार श्री पन्नालाल असर का सम्मान किया.गोष्ठी में साहित्यकारों के अलावा बड़ी संख्या में श्रोताओं की गरिमामयी उपस्थिति रही।
अंत मे सतीश श्रीवास्तव द्वारा समस्त अतिथियों और साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया गया। गोष्ठी का संचालन सौरभ तिवारी द्वारा किया गया।

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