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धमाका बड़ी खबर: ग्वालियर में सूबेदार सोनम पाराशर ने जिन अचेत अनिल उपाध्याय की CPR देकर बचाई थी जान, उन्हे इलाज के लिए लाए परिजन चतुर्भुज अस्पताल शिवपुरी

रविवार, 18 दिसंबर 2022

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। ग्वालियर में पिछले सप्ताह एक खबर प्रदेश भर में सुरखी बन गई थी जब ग्वालियर में सूबेदार सोनम पाराशर ने अपनी ड्यूटी के दौरान मानवता की मिसाल पेश करते हुए गोले का मंदिर चौराहे पर बुजुर्ग अनिल उपाध्याय के अचेत हो जाने की जानकारी मिलते ही उन्हे CPR देकर उनकी जान बचाई थी, जिसके बाद वे ग्वालियर के निजी अस्पताल में भर्ती थे। हालत में सुधार न होने देखकर शनिवार को उन्हे इलाज के लिए परिजन चतुर्भुज अस्पताल शिवपुरी लेकर आए हैं। अब तक शिवपुरी के अस्पतालों को रैफर सेंटर कहा जाता रहा हैं लेकिन यह पहला मामला हैं जब किसी मरीज को ग्वालियर के नामी अपोलो अस्पताल से शिवपुरी के चतुर्भुज हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया। अस्पताल के संचालक नरेंद्र बिरथरे ने बताया की डॉक्टरों ने उनकी तबियत पहले से बेहतर बताई हैं। 
क्या था मामला
बता दें की बीते सोमवार को गोले का मन्दिर चौराहे पर एक बुजुर्ग अनिल उपाध्याय को सीने में दर्द हुआ। इस कारण से वह बेहोश होकर गिर पड़े। तभी चौराहे पर यातायात व्यवस्था सम्हाल रहीं सूबेदार सोनम पाराशर की नजर रोड पर गिरे हुए बुजुर्ग व्यक्ति पर
पड़ी। उन्होने मानवता दिखाते हुए तत्काल अचेत पड़े बुजुर्ग को सीपीआर देकर जान बचाई और बुजुर्ग को एम्बूलेंस की सहायता से अस्पताल पहुंचाया। सोनम के इस पूरे घटनाक्रम का किसी राहगीर ने वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। जिसके बाद सोनम की हर तरफ तारीफ होने लगी और यह वीडियो गृहमंत्री से लेकर मुख्मंत्री शिवराज सिंह चौहान तक पहुंचा। सोनम के इस कार्य से आमजन में पुलिस की एक अच्छी छबि बनकर उभरी है। सोनम से गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने वीडियो कॉल पर बात की थी। जबकि ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न तोमर ने उनका सम्मान किया। 
क्या होती हैं CPR और देते केसे हैं
मरीज या घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए सीपीआर एक बहुत महवपूर्ण तरीका है। सीपीआर की फुल फॉर्म "कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन" (Cardiopulmonary resuscitation) है। इससे कार्डियक अरेस्ट और सांस न ले पाने जैसी आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। सीपीआर देने से पहले आपको इसकी ट्रेनिंग लेनी जरूरी है। हालांकि, सीपीआर सीखने के बाद भी इसके तरीके को याद रख पाना और सही से इस्तेमाल करना मुश्किल हो सकता है।
सीपीआर एक आपातकालीन स्थिति में प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की धड़कन या सांस रुक जाने पर प्रयोग की जाती है। सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं, जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है और साँस वापस आने तक या दिल की धड़कन सामान्य होने तक छाती को दबाया जाता है जिससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित होता रहता है।

अगर व्यक्ति की सांस या धड़कन रुक गई है, तो जल्द से जल्द उसे सीपीआर दें क्योंकि पर्याप्त ऑक्सीजन के बिना शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगती हैं। मस्तिष्क की कोशिकाएं कुछ ही मिनटों में खत्म होने लगती हैं, जिससे गंभीर नुकसान या मौत भी हो सकती है।अध्ययनों से पता चलता है कि अगर अधिक लोगों को सीपीआर देना आ जाए तो कई जानें बचाई जा सकती हैं, क्योंकि सही समय पर सीपीआर देने से व्यक्ति के बचने की सम्भावना दोगुनी हो सकती है।

 निम्नलिखित स्थितियों में सीपीआर देने की आवश्यकता हो सकती है -

  • अचानक गिर जाना - व्यक्ति के अचानक गिर जाने पर उसकी सांस और नब्ज़ देखें।
  • बेहोश होना - बेहोश होने पर व्यक्ति को होश में लाने की कोशिश करें और अगर वह होश में न आए, तो उसकी सांस और नब्ज़ देखें।
  • सांस की समस्याएं - सांस रुक जाना या अमियमित सांस लेने की स्थिति में सीपीआर देने की आवश्यकता होती है।
  • नब्ज़ रुक जाना - अगर व्यक्ति की नब्ज़ नहीं मिल रही है, तो हो सकता है उसके दिल ने काम करना बंद कर दिया हो। ऐसे में व्यक्ति को सीपीआर देने की आवश्यकता हो सकती है।
  • करंट लगने पर - अगर किसी व्यक्ति को करंट लगा है, तो उसे छुएं नहीं। लकड़ी की मदद से उसके आसपास से करंट के स्त्रोत को हटाएँ और इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी वस्तु में करंट पास न हो सके।
  • डूबना/ ड्रग्स/ धुंए के संपर्क में आना - इन स्थितियों में व्यक्ति की नब्ज़ व सांस की जांच करें। उसे सीपीआर की आवश्यकता हो सकती है।
  • सीपीआर में व्यक्ति की छाती को दबाना और उसे मुंह से सांस देना शामिल होते हैं। बच्चों और बड़ों को सीपीआर देने का तरीका थोड़ा अलग होता है, जिसके बारे में नीचे बताया गया है।
  • बच्चों को इस तरह दें सीपीआर
  • एक साल से लेकर किशोरावस्था तक के बच्चों को सीपीआर उसी तरह दिया जाता है जैसे बड़ों को दिया जाता है। हालांकि, चार महीने से लेकर एक साल तक के बच्चों को सीपीआर देने का तरीका थोड़ा अलग होता है।

    ज़्यादातर नवजात शिशुओं को "कार्डियक अरेस्ट" होने का कारण होता है डूबना या दम घुटना। अगर आपको पता है कि बच्चे की श्वसन नली में रुकावट के कारण वह सांस नहीं ले पा रहा है, तो दम घुटने के लिए किए जाने वाले फर्स्ट ऐड का उपयोग करें। अगर आपको नहीं पता है कि बच्चा सांस क्यों नहीं ले रहा है, तो उसे सीपीआर दें।

    • शिशु की स्थिति को समझें और उसे छूकर उसकी प्रतिक्रिया देखें लेकिन बच्चे को तेज़ी से हिलाएं नहीं।
    • अगर बच्चा कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है, तो सीपीआर शुरू करें।
    • बच्चे के पास घुटनों के बल बैठें।
    • नवजात शिशु को सीपीआर देने के लिए अपनी दो उँगलियों का इस्तेमाल करें और उसकी छाती को 30 बार दबाएं (1.5 इंच तक)।
    • उसे 2 बार मुंह से सांस दें।

    जब तक मदद न आ जाए या बच्चा सांस न लेने लगे या आप बहुत अधिक थक न जाएं या स्थिति असुरक्षित न हो जाए, तब तक बच्चे को सीपीआर देते रहें।

  • बड़ों को इस तरह दें सीपीआर

    1. व्यक्ति को एक समतल जगह पर पीठ के बल लिटा दें।
    2. व्यक्ति के कन्धों के पास घुटनों के बल बैठ जाएं।
    3. अपनी एक हाथ की हथेली को व्यक्ति की छाती के बीच में रखें। दूसरे हाथ की हथेली को पहले हाथ की हथेली के ऊपर रखें। अपनी कोहनी को सीधा रखें और कन्धों को व्यक्ति के की छाती के ऊपर सिधाई में रखें।
    4. अपने ऊपर के शरीर के वजन का इस्तेमाल करते हुए व्यक्ति की छाती को कम से कम 2 इंच (5 सेंटीमीटर) और ज़्यादा से ज़्यादा 2.5 इंच (6 सेंटीमीटर) तक दबाएं और छोड़ें। एक मिनट में 100 से 120 बार ऐसा करें।
    5. अगर आपको सीपीआर देना नहीं आता है, तो व्यक्ति के हिलने डुलने तक या मदद आने तक उसकी छाती दबाते रहें। 
    6. अगर आपको सीपीआर देना आता है और आपने 30 बार व्यक्ति की छाती को दबाया है, तो उसकी ठोड़ी को उठाएं जिससे उसका सिर पीछे की ओर झुकेगा और उसकी श्वसन नली खुलेगी।
    7. सांस देना

      • घायल व्यक्ति को साँस देने के दो तरीके होते हैं, ‘मुंह से मुंह’ में साँस देना और ‘मुंह से नाक’ में साँस देना। अगर व्यक्ति का मुंह बुरी तरह से घायल है और खुल नहीं सकता, तो उसे नाक में सांस दिया जाता है।
      • व्यक्ति की ठोड़ी ऊपर उठाएं और मुंह से साँस देने से पहले व्यक्ति की नाक को बंद करें।
      • पहले एक सेकंड के लिए व्यक्ति को सांस दें और देखें कि क्या उसकी छाती ऊपर उठ रही है। अगर उठ रही है, तो दूसरी  दें। अगर नहीं उठ रही है, तो फिर से व्यक्ति की ठोड़ी ऊपर उठाएं और सांस दें। व्यक्ति को बहुत अधिक या बहुत ज़ोर लगाकर सांस न दें।
      • नोट: प्राथमिक चिकित्सा या फर्स्ट ऐड देने से पहले आपको इसकी ट्रेनिंग लेनी चाहिए। अगर आपको या आपके आस-पास किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर या अस्पताल​ से तुरंत संपर्क करें। यह लेख केवल जानकारी के लिए है।  









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