Before the lion roar of Tiger of The Great Scindia, the cries of leopard cub echoed in Madhav National Park, captured on camera
शिवपुरी। माधव नेशनल पार्क में टाइगर 15 जनवरी को आयेंगे। 5 में से 3 टाइगर पहली खेप में शिवपुरी आने वाले हैं। एक नर और दो मादा शिवपुरी आ रहे हैं। ये खबर रोमांचकारी हैं तो वहीं जंगल में कॉम्पटीशन शुरू हो गया हैं। यानि की
टाइगर की सिंह गर्जना से पहले माधव नेशनल पार्क में तेंदुए के शावक की किलकारियां गूंज उठीं हैं। ये हम इसलिए कह सकते हैं की बीती रात वन टीम को गश्त के दौरान एक मादा तेंदुआ नजर आई जिसके पीछे शावक भी चलता दिखाई दिया। लोग चटकारे ले रहे हैं की टाइगर के आने की खबरों के बाद जंगल में भी अपने दब दबे की होड़ शुरू हो गई हैं। यानी एक तरफ टाइगर तो दूसरी तरफ तेंदुआ दोनों ने आमने सामने की तैयारी शुरू कर दी हैं। हालाकि टाइगर बेड़ों में रखे जायेंगे लेकिन फिलहाल खबर ट्विस्ट लिए हैं।
आइए जानिए किधर दिखी मॉम तेंदुआ
शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क की पूर्व रेंज की बीट गतबाया में गश्त के दौरान मादा तेंदुआ और उसके एक शावक को कैमरे में कैद कर लिया गया। गश्त पर निकले परिक्षेत्र सहायक सुरवाया मुकेश बाथम जब अपने बीट गार्ड गतवाया विद्यासागर तिवारी, बीट गार्ड बलारपुर अनुग्रह वशिष्ठ के साथ जीप से जंगल में गस्त कर रहे थे। तभी एक मादा तेंदुआ और उसके साथ शावक देखा गया। जीप की आवाज सुनकर मादा तेंदुआ अलर्ट मोड़ पर आई, बैठी फिर ओझल हो गई लेकिन कैमरे में कैद हुई हैं। आपको बता दें की माधव नेशनल पार्क में तेंदुए मौजूद हैं तो वहीं जिले के अलग अलग हिस्सों में भी तेंदुए नजर आते रहते हैं। टाइगर से पहले तेंदुए के कुनबे बढ़ने की खबर संतोषजनक हैं।
आइए जानिए क्या तैयारी हैं टाइगर की
केंद्रीय मंत्री द ग्रेट ज्योतिरादित्य सिंधिया और युवराज महा आर्यमान सिंधिया की मंशानुरूप माधव राष्ट्रीय उद्यान में टाइगर 15 जनवरी को आने की पूरी तैयारी कर ली गई हैं।सीएम शिवराज सिंह ने भी बीते रोज ट्विटर हैंडल पर शिवपुरी के पार्क में टाइगर आने का एलान कर दिया हैं।इस महत्वपूर्ण टाइगर प्रोजेक्ट के अंतिम निरीक्षण के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी (एनटीसीए) की टीम कभी भी यहां आ सकती है। प्रोजेक्ट के लिए वन कर्मचारियों को चार तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है। टाइगर की निगरानी के लिए माधव राष्ट्रीय उद्यान में 90 कैमरे लगाए गए हैं, उनका डेटा भी एकत्रित किया जा रहा है। टाइगर के पंजों के निशान मिल सकें इसके लिए छह मीटर लंबी और तीन मीटर चौड़ी जगह में रेत डाली गई है। जब टाइगर यहां से होकर गुजरेगा तो उसके पंजो के निशान बन सकेंगे और इनसे उसका मूवमेंट ट्रैक किया जा सकेगा। ऐसी 200 से अधिक जगह चिन्हित की गई हैं। दूसरी ओर जिन बाड़ों में टाइगर को रहना हैं वे भी बनकर तैयार हैं। 10 जनवरी तक तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी। इसके बाद कोई आफत नहीं हुई तो 15 जनवरी को तीन मादा और एक नर बाघ को शिफ्ट कर दिया जाएगा। करीब 15 दिनों तक बाड़े में रखने के बाद इन्हें खुले में छोड़ा जाएगा। इनके पुर्नस्थापित होने के बाद अलगे चरण में दो और बाघ राष्ट्रीय उद्यान में लाए जाएंगे।
ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार
माधव नेशनल पार्क में टाइगर आने के बाद आसपास के ग्रामीणों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए जाएंगे। ग्रामीणों को वाघ मित्र बनाने के साथ टूरिस्ट गाइड का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा टाइगर सफारी के दौरान चलने वाले वाहनों में उन्हें चालक, गाइड आदि की नौकरी भी मिलेगी। टाइगर से होने वाली आय का एक हिस्सा भी इनके विकास पर खर्च किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि प्रस्तावित टाइगर रिजर्व में बड़ा क्षेत्र वफर जोन में आएगा। वफर जोन में आने वाले ग्रामीण क्षेत्र में पाबंदियां काफी कम होती हैं, लेकिन उन्हें विभाग की ओर से सुविधाएं भी दी जाती हैं।
तैयारियों के अंश
*टाइगर के पंजों के निशान बन सके इसके लिए 200 जगह पर स्पेशल डस्ट डाली गई हैं। इन पर टाइगर चलेगा तो उसके पैरों के निशानों के आधार पर टाइगर के आने जाने का रास्ता पता लगेगा, लेकिन किस तरह इसकी ट्रेनिंग विशेषज्ञ कर्मचारियों को दे रहे हैं।
* पार्क में कैमरा ट्रैप लगा दिए गए हैं, इनसे डेटा एकत्रित करना भी शुरू कर दिया है। कर्मचारियों को कैमरा ट्रैप और उससे मिलने वाले डेटा का अध्ययन करने में दक्ष बना रहे हैं।*टाइगर की निगरानी में शामिल रहने वाले कर्मचारियों को इस बात का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है कि टाइगर के आसपास रहने पर किस तरह का व्यवहार उन्हें रखना है।
ये बोले अधिकारी
तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है, कुछ काम अंतिम स्थिति में हैं। 7 कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। हम तय किए गए समय पर टाइगर ले आएंगे।
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें