पोहरी। जो मनुष्य धर्म की परिभाषा को अंधविश्वास कहते हैं वह मनुष्य सनातन धर्म के बहुत बड़े दुश्मन हैं एवं अंधविश्वास कहकर के धर्म को नीचा दिखाने का प्रयास जो लोग कर रहे हैं ऐसे लोग ही धर्म के असली दुश्मन है क्योंकि हमारा सनातन धर्म कभी भी अंधविश्वास का पक्षधर नहीं रहा है अपितु सनातन धर्म में विज्ञान एवं धर्म को जगह दी हैं अंधविश्वास जैसा शब्द भारतीय ग्रंथों में देखने को भी नहीं मिलता यह प्रवचन पोहरी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस पर प्रसिद्ध कथा वाचक श्री बृजभूषण महाराज ने दिए और उन्होंने बताया कि विश्वास स्वयं भगवान शिव जी का स्वरुप है इसलिए सनातन धर्म में विश्वास को तो जगह है किंतु अंधविश्वास को बिल्कुल भी नहीं आचार्य जी ने भागवत कथा के तृतीय दिन सुंदर मुक्ति का प्रसंग सुनाया और कहां कि मुक्ति हमेशा मन की होती है तन की मुक्ति कभी भी नहीं होती क्योंकि तन तो जलकर राख हो जाता है आचार्य ने कथा के प्रसंग में सुंदर विदुर जी का चरित्र सुनाया और बताया कि भगवान प्रेम के बस होकर के केले के छिलके खाने के लिए घर पधारे क्योंकि विदुरानी का प्रेम बहुत ही उच्च कोटि का था आचार्य ने बताया कि भगवान ने हिरण्याक्ष का उद्धार किया क्योंकि वह पृथ्वी को लेकर के चला गया था जिससे कि सृष्टि क्रम में बाधा उत्पन्न हो रही थी तो भगवान ने वराह अवतार धारण किया उसको मार कर के पृथ्वी को अपनी धुरी पर स्थापित किया कथा प्रसंग में महाराज ने बताया कि नारियों का धर्म है कि अपने पति की आज्ञा को अवश्य स्वीकार करें पति की आज्ञा ना मानने से दुष्परिणाम ही आगे आते हैं क्यों की सती ने शिव आज्ञा नहीं मानी थी सती के 52 खंड जहां पर गिरे वहीं वहीं पर शक्ति पीठ स्थापित हो गए इस कथा का आयोजन जगदीश प्रसाद सिंघल एवं समस्त परिवारजन करवा रहे हैं कथा 29 जनवरी तक होगी एवं यह कथा पोहरी के प्रसिद्ध स्थान किले के मुरली मनोहर मंदिर पर की जा रही है।

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