शिवपुरी। मानव वेलफेयर सोसाइटी के तत्वाधान में ऐतिहासिक टाउन हॉल में पन्द्रह साल बाद एक बार फिर नगर के रंगकर्मियों ने सैकड़ों दर्शकों के सामने अपनी अदाकारी का हुनर बिखेरा। नाट्य निर्देशक और अभिनेता राजेश ठाकुर के निर्देशन में नाटक ‘भए प्रकट कृपाला’ का जब मंचन शुरू हुआ, तो दर्शकों ने नाटक का भरपूर लुत्फ़ उठाया। तक़रीबन दो घंटे लंबे इस नाटक से वे शुरू से लेकर आख़िर तक बंधे रहे। मोबाइल और सोशल मीडिया के इस दौर में वाक़ई यह एक बड़ी उपलब्धि थी। प्रसिद्ध मराठी लेखक, नाटककार पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे द्वारा लिखा गया यह नाटक हास्य-व्यंग्य से सराबोर था। जिसकी स्टोरी लाइन भी बेहद दिलचस्प थी। सामाजिक,आर्थिक एवं राजनैतिक अवमूल्यन के इस दौर में ईमानदारी और मेहनत के सहारे जीना मुश्किल होता जा रहा है। इस सिस्टम में हर आदमी परेशान है। चाहे वह छोटा-मोटा नौकरीपेशा हो या फिर कारोबारी। नाटक उस वक़्त दिलचस्प मोड़ ले लेता है, जब आम आदमी के रूप में खु़द भगवान विट्ठल, मंदिर में भक्तों के सामने अचानक प्रकट हो जाते हैं। पहले तो भक्त उन्हें पहचानते ही नहीं, लेकिन जब भगवान विट्ठल बार—बार उनसे अनुरोध करते हैं कि वे ही भगवान विट्ठल हैं, तब लोगों को इस बात का विश्वास होता है। भगवान विट्ठल भी आमआदमी की तरह जीवन गुज़ारना चाहते हैं, लेकिन जब वे देखते हैं कि भक्त उन्हें इस रूप में पसंद नहीं कर रहे और न ही वे अपनी आदतें बदलना चाहते हैं। मसलन झूठ—बेईमानी, ग़बन—भ्रष्टाचार और चोरी—मक्कारी। तब भगवान विट्ठल वापस अपने उसी रूप में लौट जाते हैं। इन सब प्रसंगों से जहां हास्य उत्पन्न होता है, वहीं ये विडंबना भी पैदा होती है कि आदमी आज जो परेशान है, इसके लिए और कोई नहीं, बल्कि वही ज़िम्मेदार है।
नाटक की यह बेहतरीन स्क्रिप्ट और भी जानदार हो गई, जब अदाकारी, गीत—नृत्य, संगीत, सेट डिजाइन, लाइट और साउंड का शानदार मिश्रण हुआ। भगवान विट्ठल के रोल में विजय भार्गव, अंधा भिखारी—गजेन्द्र शिवहरे, सेठ—वीरेन्द्र चौहान, पंडितजी—अजय सिंह कुश्वाह, वकील—मनोज शर्मा, दर्जी—देवांशु शिवहरे, शिक्षक—प्रमोद पुरोहित, डॉक्टर—मृदुल शर्मा, आर्यमन कुश्वाह—द्वारिका बाई, सक्खू बाई—शालू गोस्वामी, गायिका—भूमिका सगर, सुधीर चावला—जगन्नाथ, बृजेश अग्निहोत्री—सोमनाथ और सूत्रधार के किरदार में राजेश ठाकुर ने अपनीअदाकारी से लोगों का दिल जीत लिया। चूंकि इस नाटक का बैकग्राउंड महाराष्ट्र का है, लिहाज़ा निर्देशक ने इसमें भक्ति संगीत और लावणी नृत्य का भी इस्तेमाल किया। जो दर्शकों को खूब पसंद आया। राजनंदिनी, अवंतिका और अनन्या ने अपने लावणी नृत्य से सभी का मन मोह लिया। कोई भी अच्छा नाटक एक टीम वर्क की उपज होता है। ‘भए प्रकट कृपाला’ में यह टीम वर्क साफ़ नज़र आया। म्यूजिक—आशीष जैन और प्रकाश सिसोदिया, लाइट एंड साउंड—लोकेश चतुर्वेदी, सेट डिजाइन—राजेश ठाकुर और मेकअप—अमान राज। नाटक के ये सभी डिपार्टमेंट चौकस नज़र आए। ‘मानव वेलफेयर सोसायटी’ के बैनर पर हुए इस नाटक को कामयाब बनाने के लिए हेमंत ओझा, जिनेश जैन, राजेश जैन, सुनील जैन पीएस रेजिडेंसी का सहयोग सराहनीय रहा।
कार्यक्रम में रामनाथ एवं दीपेश का भी अच्छा योगदान रहा।
नाटक की शुरुआत इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नगरपालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा, उद्योगपति और समाजसेवी अरविंद दीवान, गीता दीवान द्वारा मॉं सरस्वती देवी की मूर्ति के सामने दीप प्रज्वलन के साथ हुई। उसके बाद ‘मानव वेलफेयर सोसायटी’ के पदाधिकारियों मुकेश जैन, सतीश शर्मा, वीपी पटैरिया, डॉ. सुखदेव गौतम और संतोष शिवहरे ने अतिथियों का स्वागत किया। इस मौक़े पर एसपी राजेश सिंह चंदेल भी अपने परिवार के साथ मौजूद रहे। कार्यक्रम के आख़िर में उन्होंने और बाकी अतिथियों ने नाटक की पूरी टीम को सर्टिफिकेट और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
ग़ौरतलब है कि सिंधिया रियासत ज़माने के टाउन हॉल का इतिहास एक सदी पुराना है। आज़ादी से पहले इस हॉल में नाटकों का मंचन होता रहा है। लेकिन बाद में ये सिलसिला टूट गया। पुरातत्व विभाग के अधीन होने के बाद, अब एक बार फिर यह उम्मीद जागी है कि टाउन हॉल में सांस्कृतिक कार्यक्रम आगे भी होते रहेंगे। नगर के संस्कृतिकर्मियों, कलाकारों और साहित्यकारों को अपने कार्यक्रमों के लिए इधर—उधर नहीं भटकना पड़ेगा। उन्हें रियायती दाम पर टाउन हॉल मिलता रहेगा। इसके लिए उन्हें कोई परेशानी पैदा नहीं होगी।

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