शिवपुरी। इन दिनों शिवपुरी जिले में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति जांचने के लिए वीडियो काल के द्वारा 'मोबाइल मोनीटरिंग' चर्चा में है ! यह सही है कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार एक बड़ा सामयिक मुद्दा है ! और निश्चित रूप से यह सरकार, समुदाय, शिक्षक और अधिकारी वर्ग सभी के लिए प्राथमिकता का विषय होना चाहिए ! तथापि, मोबाइल मोनीटरिंग जैसे प्रयोग इस उद्देश्य से असंगत व नकारात्मक दृष्टिकोण के ही परिचायक हैं ! यह बयान धर्मेंद्र सिंह रघुवंशी जिला अध्यक्ष राज्य कर्मचारी संघ शिवपुरी ने जारी किया हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा एक व्यापक मुद्दा है और इसमें सुधार व्यापक व सकारात्मक दृष्टिकोण से ही संभव है!
'शिक्षक' और 'शिक्षा संस्थाओं' की प्रभाविता व सफलता के लिए इनकी विश्वशनीयता/प्रतिष्ठा महत्वपूर्ण कारक है ! हर जागरूक पालक, अभिभावक अपने बच्चों को प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थाओं; जिनमें अच्छे शिक्षक हों प्रवेश दिलाना चाहते हैं ! समाज का विश्वास हासिल करना, खोई हुई प्रतिष्ठा हासिल करना आज सरकारी स्कूलों व शिक्षकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है ! ऐसे में सरकारी स्कूलों व शिक्षकों से संबंधित कलंक कथाओं का अखबारों में प्रकाशन कतईं शिक्षा के हित में नहीं है ! मोबाइल मोनीटरिंग जैसे प्रयोग सरकारी स्कूलों व शिक्षकों को गलत रूप में सुर्खियों में लाने वाले, महकमे को बदनाम करने वाले हैं ! अगर ऐसा ही चलता रहा तो समुदाय का इन पर से विश्वास और कम हो जाएगा और वह सरकारी स्कूलों से दूरी बना लेगा ! विचारणीय है कि सरकारी स्कूलों का शिक्षक शिक्षण कार्य के साथ शासन की बीसियों योजनाओं का क्रियान्वयन करता है! इस दौरान अगर कोई ईमानदार शिक्षक दूर से बैठकर की जाने वाली मोबाइल मोनीटरिंग की चपेट में आ गया, तो बदनाम तो उसे भी होना है ; चाहे उसका कार्य कितना भी अच्छा क्यों न हो ! और, ऐसी स्थितियों में वह अभिप्रेरित होने की बजाय कुंठित हो जाएगा ! शिक्षा में सुधार, भले ही शनै: शनै: हों, लेकिन दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए ! क्या शिक्षा महकमे के पास अच्छा काम करने वाले स्कूलों, शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के लिए कोई योजना है! या, सरकारी शिक्षा को आगे ले जाने वाले संभावनाओं से भरे स्कूलों की सूची है ? अगर, नहीं तो बेवजह बदनाम करने का अधिकार क्यों ???
निजी स्कूल अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा अपनी ब्रांडिंग पर खर्च करते हैं ! सरकारी स्कूलों के खाते में कई शानदार उपलब्धियां हैं! कई सरकारी स्कूल निजी स्कूलों से बेहतर ढंग से संचालित हैं और, सैंकड़ों ऐसी संभावनाओं से भरपूर हैं ! इन्हें प्रोत्साहन की आवश्यकता है ! दुख का विषय है उपलब्धियों की चर्चा नहीं होती! सरकारी स्कूलों व शिक्षकों के बारे में केवल नकारात्मक प्रचार इनके प्रयासों को धूमिल कर रहा है ! शिक्षा में सुधार के प्रयास तार्किक व सकारात्मक हों ! दोषियों को दंड बेशक मिले। लेकिन, पुरस्कार व प्रोत्साहन की भी व्यवस्था हो ! जनप्रतिनिधि, अधिकारी सरकारी स्कूलों के ब्रांड एंबेसडर बनें ! ग्रामीण इलाकों में अपने दौरों के समय समुदाय से संपर्क करें और बच्चों को प्रतिदिन स्कूल भेजने के लिए अपील करें ! मोबाइल मोनीटरिंग जैसे नकारात्मक प्रयोग पहले भी हुए हैं, जिनसे कोई सकारात्मक परिणाम हासिल नहीं हो सके ! सकारात्मक दृष्टिकोण से ही बदलाव संभव है ! वर्ना ऐसे प्रयोग न जाने कितने हुए और बंद हो गए।
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