श्रीमंत ने भावुक अंदाज में अपने मन की बात कही.....आपसे बिछुड़े हुए देखते -देखते 22 वर्ष बीत गए, लेकिन हमारी प्रेम भरी स्मृतियों में आपकी स्नेहिल याद आज भी वैसी है जैसी कल थी। आपकी ही प्रेरणा हमें सेवा के पथ पर चलना सिखाती है। राजमाता से लोकमाता तक की आपकी शानदार जीवन-यात्रा को अश्रुपूरित पुष्पांजलि!! अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र और गरीब कल्याण को समर्पित कर राजमाता से लोकमाता बनीं, सतत स्नेहमयी अम्मा महाराज श्रद्धेय स्व. राजमाता सिंधिया जी की छतरी पर पहुंचकर उनके चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित किए।

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