शिवपुरी। ग्राम बीजरी में भागवत कथा जारी हैं, जिसमें आचार्य श्रीकृष्ण भार्गव जी ने कहा भगवान भाव और प्रेम के भूखे होते हैं। भगवान ने दुर्योधन के छप्पन प्रकार भोजन को अस्वीकार करके विदुर जी द्वारा सहस निमंत्रण को स्वीकार किया और विदुर जी के भाव और प्रेम को देखकर भगवान श्री नंगे पैर ही बिदुर जी के यहां भोजन करने जा पहुंचे। जहां पर भगवान को केले के छिलके बड़े भाव से खिलाये और भगवान श्री कृष्ण ने बड़े ही स्वाद से खाये। जब विदुर जी ने देखा कि विदुरानी भगवान को केले के छिलके दे रही थीं और केला नीचे जमीन पर ही छोड रहीं थीं, तब विदुर जी ने कहा हे प्रभु हमें क्षमा करना आप माखन मिश्री खाने वाले केले के छिलके खा रहे हैं हे प्रभो हमे छमा करना बिदुर जी ने कहा भगवान आपके चौबीस अवतार हुए है आपको अनेकों भोग लगे हैं लेकिन आपको सबसे बड़ा आनंद कहां पर आया तो भगवान बोले कि हे विदुर जी मुझे जीवन में सबसे ज्यादा भोग का आनंद तो केवल दो ही जगह पर आया एक तो माता शबरी के यहां और दूसरा आपके यहां काकी ने जो भाव और प्रेम से खिलाया है मुझे बड़ा आनंद आया है। आचार्य जी ने कहा की जीवन में कभी क्रोध नहीं करना चाहिए क्योंकि क्रोध से आपके पुण्य नष्ट हो जाते हैं आचार्य जी ने कहा की भक्ति की तीन धारा होती है पहली विश्वास की दूसरी प्रेम की, तीसरी समर्पण की धारा भक्त को भगवान पर विश्वास करना चाहिए और ईश्वर के प्रति प्रेम का रिस्ता भी चाहिए तथा ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना भी रखना चाहिए। तभी आप पर भगवान की कृपा होगी, ईश्वर की भक्ति करनी हो तो अर्जुन की तरह करो जो आपके जीवन के रथ के सारथी बन कर भगवान आपको भव सागर से पार कर दें। आचार्य जी ने कहा की की भागवत कथा का श्रवण भी राजा पर पारीक्षित की तरह करना चाहिए जिससे जीवन में मोक्ष की प्राप्ति हो और जीवन के भव सागर से पार होकर बैकुंठ की प्राप्ति हो सके।कथा का आयोजन ग्राम पचावली के रामकुमार दांगी हर्ष कुमार दांगी द्वारा कराया जा रहा है। उन्होंने कहा की क्षेत्र के समस्त धर्म प्रेमी बंधुओं से आग्रह है कि भागवत कथा श्रवण को अवश्य पधारे।

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