राष्ट्रीय युवा दिवस आज : डॉ.केशव पाण्डेय
भारतीय संस्कृति को विश्व में स्थापित करने वाले महान आध्यात्मिक गुरु, समाज सुधारक और युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर देश में हर वर्ष 12 जनवरी को मनाया जाता है राष्ट्रीय युवा दिवस।
देश का भविष्य पूर्णतः उस देश के युवाओं के सुविचारों और सुदृढ़ कंधों पर निर्भर करता है। उन्हीं से होकर ही किसी देश का विकास क्रम आगे बढ़ता है। देश के युवा जिस आचरण के होंगे, वह देश भी उसी का अनुगमन करेगा। अतः समयानुसार देश के युवाओं को सही मार्गदर्शन अनिवार्य होता है। अपने देश के युवाओं को सही मार्गदर्शन हेतु युग प्रवर्तक, ओजस्वी विचारक और युवाओं के प्रेरणास्त्रोत ’स्वामी विवेकानंद’ की पावन जयंती को ’राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। 25 साल की उम्र में ही सांसारिक मोह माया को त्याग कर संन्यास धारण कर स्वामी विवेकानंद बने। वे वेदांत के विख्यात और प्रभावी आध्यात्मिक गुरु भी थे। आज पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। भारत सरकार राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर प्रत्येक वर्ष एक नई थीम रखती है। थीम को देश में प्रासंगिक और समकालीन परिदृश्य के मुताबिक चुना जाता है। राष्ट्रीय युवा दिवस 2023 की थीम “इट्स ऑल इन द माइंड” रखी गई है।
स्वामी विवेकानंद के विचार, दर्शन और अध्यापन भारत की महान सांस्कृतिक और पारंपरिक संपत्ति हैं। उनका दर्शन, उनका जीवन, उनका कार्य एवं उनके आदर्श भारतीय युवकों के लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं। स्वामी एक महान इंसान ही नहीं, वरन एक युग पुरुष थे, जिन्होंने हमेशा देश की ऐतिहासिक परंपरा को सुदृढ़ बनाने और सही नेतृत्व करने के लिए युवा शक्ति पर विश्वास किया। उनका मानना था कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए युवाओं के अनन्त ऊर्जा को जागृत कर उन्हें विभिन्न कार्य क्षेत्रों में प्रयोग कर सफलता प्राप्त करने के लिए एक निश्चित चुनौती का पीछा करना अनिवार्य है, जो उन्हें निरंतर सफलता के मार्ग की ओर अग्रसर करती रहेगी।
स्वामी जी का मानना था कि भारत को युवाओं का देश कहा जाता है। युवा शब्द से ही उत्साह, स्फूर्ति सक्रियता, जैसे गुणों का बोध होता है। उन्होंने शारीरिक बल नहीं बल्कि मानसिक बल को युवा शक्ति का केंद्र माना। उनका मानना था कि युवा होने की परिपूर्णता उसमें है, जिसमें बिना रुके और बिना थके संघर्ष करने का जज्बा हो। उन्होंने युवाओं के दिल में अपने कार्य को करने के लिए जो आग फूंकी वो आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। िंहंदू धर्म की विचारधाराओं को पुनर्जीवित करने और औपनिवेशिक ब्रिटिश शासन के दौरान देश में राष्ट्रवादी उत्साह को प्रेरित करने के लिए उन्हें दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल हुई। युवा दिवस राष्ट्र के ऐसे युवाओं को समर्पित है, जो भारत को बेहतर भविष्य देने की क्षमता रखते हैं और इसके लिए कार्य करते हैं।
स्वामी विवेकानंद को धर्म, दर्शन, इतिहास, कला, सामाजिक विज्ञान, साहित्य के ज्ञाता कहा जाता है। शिक्षा के साथ ही वे भारतीय शास्त्रीय संगीत का भी ज्ञान रखते थे। साथ ही वे एक अच्छे खिलाड़ी भी थे। उनके विचार और कार्य आज के समय में भी युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने युवाओं को खुद पर विश्वास करना सिखाया। क्योंकि जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
1984 में तात्कालिक भारत सरकार द्वारा कहा गया था कि, स्वामी विवेकानंद के दर्शन, आदर्श और काम करने का तरीका भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत हो सकता है। इसके बाद से ही स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर मनाए जाने की घोषणा की गई।
11 सितंबर 1893 में अमेरिका में धर्म संसद के आयोजन में स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण में हिंदी में कहा ‘अमेरिका के भाइयों और बहनों’..... उनके यह कहते ही आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो में पूरे दो मिनट तक तालियां बजती रही। इसे भारत के इतिहास में गर्व और सम्मान की घटना के तौर जाना जाता है। देश का हर युवा स्वामी विवेकानंद के दार्शनिक विचारों व भाषणों को सुनने के बाद प्रभावित हुए बगैर नहीं रह सकता है। उन्होंने भारत को विश्व मंच से अपने भाषणों के द्वारा गौरान्वित किया था। अध्यात्म चिंतन, देशप्रेम को सही अर्थों में समझाया था। उन्होंने कहा था कि भारत युवाओं का देश है और इस देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत स्वामी जी के अलावा और कोई नहीं हो सकता है।
युवा वह है, जो देश का भविष्य बदलने की क्षमता रखता है। जिसके अंदर नेतृत्व करने की क्षमता हो, लोगों को सही मार्ग पर लाने का काम करने वाला ही युवा कहलाता है। स्वामी जी कहते थे- “युवा वो होता है, जो बिना अतीत की चिंता किए अपने भविष्य के लक्ष्यों की दिशा में काम करता है।” हर इंसान को कभी ना कभी अकेले ही शुरूआत करनी होती है, इसलिए किसी भी काम को करने से घबराना नहीं चाहिए। अगर आपकी नीयत साफ, इरादे स्पष्ट और हौसले बुलंद होते हैं, तो आपके साथ अपने आप ही लोग जुड़ने लगते हैं।
नौजवान जब ठान लेता है, तो कुछ भी कर सकता है। ऊर्जा से भरे ऐसे नौजवान देश के हर कोने में मौजूद हैं। कोई पहाड़ों से निकलने वाले छोटे झरनों से बिजली बना रहा है, कोई कूड़े से बिजली पैदा कर रहा है, कोई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके लोगों का भला करने में जुटा है, इसी तरह हमारा देश प्रगति की राह पर अग्रसर होता है। स्वामी जी ने सामाजिक, जाति-पाति से मुक्त, राष्ट्र प्रेम का मार्ग दिखाया है।
स्वामी विवेकानंद को “भारत का राष्ट्रीय संत” कहा जाता स्थानीय और वैश्विक स्तर पर विचारों का आदान-प्रदान करना है, जिससे कि विशेषज्ञों द्वारा भविष्य में एक भारत श्रेष्ठ भारत का निर्माण किया जा सके। उनके द्वारा कहा गया एक वाक्य “उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता” आज भी हमारे लिए प्रेरणादायक है। उक्त वाक्य से यह सिद्ध होता है राष्ट्रीय युवा दिवस केवल एक पर्व ही नहीं बल्कि देश के युवाओं एवं बच्चों में प्रतिस्पर्धात्मक सोच का विकास करना है, तथा उनमें अपनी लक्ष्य प्राप्ति की उर्जा भर देना है।
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