शिवपुरी। गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय महापर्व एवं माँ वीणाबादिनी के प्राकट्योत्स्व पर गांधीआश्रम शिवपुरी पर एक साहित्य गोष्ठी का भव्य आयोजन राम पंडित एवं राकेश मिश्रा के संयोजन में आयोजित हुआ। जिसमें नगर के वरिष्ठ साहित्यकार धर्म प्रेमी बंधुओं ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया, माँ बाग्देवी की माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन कर पूजा अर्चना की गई, तथा महात्मा गांधी के चित्र पर पुष्पहार अर्पित कर फिर राष्ट्रीय ध्वज के नीचे बैठे कर काव्य पाठ का आयोजन किया गया, जिसमें राकेश मिश्रा ने बीणानावादिनी को सुमन अर्पित करते हुए " हे हंस वाहिनी ज्ञान दायिनी अंब विमल मति दे "का सस्वर गायन कर कार्यक्रम का आगाज किया फिर राकेश सिंह ने "चंदन से भी बढ़कर है मेरे देश की माटी " से लोगों में देश प्रेम का संचार कर आँसू निकाल दिए फिर हास्य कवि राजकुमार चौहान ने अपने व्यंग्य वाणों सभी कोई खूब हँसाया, बृजरस के कवि राकेश भटनागर 'भृमर ' ने पृथ्वीराज चौहान पर आदर्श रचना पाठ किया तथा 'आदित्य' शिवपुरी द्वारा
"फ़िक्र में रंग भर गया कोई, मेरे अन्दर उतर गया कोई, मेरे अहसास से बो गुजरा,जैसे दिल से गुजर गया कोई l सुन्दर गजल का पाठ कर खूब तालियां बटोरीं तथा शरद गोस्वामी 'शिखर' ने गजल के बाद गजल पाठ करते हुए पढ़ा "ख्वाबों के सब्ज बाग सजाने से क्या मिले, दिल ही न मिले हाथ मिलाने से क्या मिले " से पाकिस्तान पर तीखा व्यंग्य किया तथा महेश भार्गव 'महाकाल' द्वारा शहीदों के सम्मान में तिरंगे पर अपनी प्रस्तुत की "एक तिरंगा मेरी चिता के पास लगा देना " रचना से लोगों के झर-झर आँशु निकाल दिए,नगर के प्रबुद्ध एवं वरिष्ठ कवि गोविन्द श्रीवास्तव 'अनुज'जी ने "मातृभूमि है ये हम सबकी, जनम जनम का नाता हैl इस पर सब कुछ अर्पण कर दें, अपनी भारत माता है" का अनूप गायन कर मंत्रमुग्ध कर दिया, फिर राकेश मिश्रा "रंजन"ने बसंत के दोहे " ऋतु बसंत का आगमन,हर्षित धरती आज, पीत बसन को ओढ़ कर,आया है ऋतुराज ll बसंत पर अनुपम दोहे मुक्तकों से सभी का मनमोह लिया, तथा बसंत श्रीवास्तव ने बहुत सुन्दर रचना पाठ किया, भाई अजय जैन " अबवराम"ने तिरंगा का गुणगान करते हुए सुन्दर रचना " कई सांसो के बलिदान निधि से बना तिरंगा, देशभक्ति गुणगान करें यही तिरंगा " के पाठ पर खूब तालियां बटोरीं, भाई शिखर चंद्र जैन ने बड़ी सुंदर रचना का पाठ किया" लगते बड़े सुहाने सबको अभिनंदन के हार " का बहुत सुन्दर गीत सुना कर मंत्र मुग्ध कर दिया, अपनी गजलों से सबका मन मोह लिया, श्री विनयप्रकाश जैन "नीरव जी " ने अनुपम रचना राष्ट्र को समर्पित करते हुए अपना पाठ करते हुए कहा " मन के वास्ते जीता है कोई, कोई धन के वास्ते, है जीवन उन्हीं का धन्य जो जीता वतन के वास्ते" रचना पाठ किया । अंत में श्री बृजेश अग्निहोत्री जी द्वारा अपने शायराना अंदाज में सभी का आभार व्यक्त किया इस अवसर पर वहां शासित अली, चंद्रकांत शर्मा छुट्टन खान,परमू प्रजापति, ललित शर्मा चंद्रकांत शर्मा, अनिल जगरोलिया, श्रीमती रेणु अवस्थी आदि गणमान्य नागरिक उपस्थित थे सभी ने कार्यक्रम की खूब सराहना की मंच का संचालन अजय जैन अविराम ने किया। सभी उपस्थित साहित्यकारों ने श्री गोविन्द श्रीवास्तव अनुज का जन्म दिवस मनाया।

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