दिल्ली। देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम में देश भर के छात्र छात्राओं से परीक्षा पर चर्चा की। कार्यक्रम में वर्चुअली मंत्री श्रीमंत यशोधरा राजे भी शामिल हुईं, उन्होंने छोटे पर्दे पर लाइव इस चर्चा को सुना। परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम से पहले पीएम मोदी ने एग्जाम वॉरियर्स के लिए मास्टरक्लास लॉन्च की. आज चर्चा करते हुए पीएम ने कहा, क्या आपने आपने कभी अपनी मां के काम को ऑब्जर्व किया है? मां दिन के हर काम का टाइम मैनेजमेंट सबसे अच्छी तरह से करती है. मां के पास सबसे ज्यादा काम होता है, मगर उसका टाइम मैनेजमेंट इतना अच्छा होता है कि हर काम समय पर होता है.
पीएम ने कहा कि हम अपने पसंद की चीज में ही अपना सबसे ज्यादा समय बिताते हैं. फिर जो विषय छूट जाते हैं उनका भार बढ़ता जाता है. ऐसे में सबसे कठिन विषय को सबसे पहले और उसके ठीक बाद सबसे पसंद का विषय. ऐसे ही एक के बाद एक पसंद और नापसंद के विषयों को समय दें. पीएम मोदी ने कहा, ‘पेन पेंसिल लेकर डायरी लिखिए और देखिए आप अपना समय कितना कहां बिताए हैं. पक्का समझता हूं आप आपकी पसंद की चीजों में सबसे ज्यादा समय लगाते हैं. पढ़ने में भी फ्रेश माइंड है तो जो पढ़ने में आपको कम पसंद है पहले उस विषय को पढ़िए.
पीएम मोदी ने नकल को लेकर कहा, ‘नकल तो पहले भी करते थे, लेकिन अब गर्व से कहते हैं की सुपरवाइजर को चकमा दे दिया. मूल्यों में जो बदलाव आया है यह बेहद खतरनाक है. समाज के तौर पर सबको सोचना होगा. टीचर्स जो ट्यूशन चलाते हैं वो भी गाइड करते हैं नकल करने के लिए. नक़ल करने के लिए कुछ स्टूडेंट्स क्रिएटिव तरीके लगाते हैं. नकल से ज्यादा पढ़ने के तरफ ध्यान लगाएं. आज आपको हर जगह परीक्षा देना होती है. कब तक नकल करोगे. नकल करने वाले आज पार कर जाएंगे, लेकिन जिंदगी पार नहीं कर पाएंगे.’
टाइम मैनेजमेंट बेहद जरूरी, कठिन विषयों पर दें ध्यान- PM मोदी
अदिति ने पूछा मुझे बहुत कुछ करना है लेकिन अंतिम तक मैं नहीं कर पाती हूं. मैं यह जानने के लिए उत्सुक हूं कि मैं अपने सभी काम समय पर कैसे करूं? इस पर पीएम मोदी ने कहा, ‘काम न करने से थकान लगती है. काम से संतोष होना चाहिए. टाइम मैनेजमेंट बेहद जरूरी है. कठिन विषयों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.’
पीएम मोदी ने कहा, ‘क्या हमें दबाव से दबना चाहिए? आप अपने भीतर देखेंगे. आप अपनी क्षमता देखेंगे. जब बैट्समैन खेलने आता है तो शोर होता है चौका छक्का, तो बल्लेबाज तब शॉट मारता है क्या… नहीं बल्लेबाज फोकस रहता है. दबाव को एनालिसिस कीजिए. बच्चों को अपनी क्षमता से कम नहीं आंकना चाहिए.’
सोशल स्टेटस की वजह से प्रेशर चिंता का विषय- PM मोदी
पीएम मोदी ने कहा, ‘परिवारों को अपने बच्चों से उम्मीदें होना स्वाभाविक हैं, लेकिन अगर यह सिर्फ ‘सामाजिक स्थिति’ बनाए रखने के लिए है, तो यह खतरनाक हो जाता है. आप अच्छा करेंगे तो भी परिवार आपसे नयी अपेक्षा करेगा. दबावों से दबना नहीं है. परिवार के लोग ज्यादा अपेक्षा न करें.’
परीक्षा पे चर्चा हमारी भी परीक्षा, मुझे इसमें आनंद आता है- PM मोदी
पीएम मोदी ने दिल्ली में ‘परीक्षा पर चर्चा’ 2023 के छठे संस्करण के दौरान छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से कहा कि ‘परीक्षा पर चर्चा’ मेरी भी परीक्षा है और देश के कोटि-कोटि विद्यार्थी मेरी परीक्षा ले रहे हैं… मुझे ये परीक्षा देने में आनंद आता है.
परीक्षा पर चर्चा एक जन आंदोलन बन चुकी है- शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान
केंद्रीय मंत्री शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि परीक्षा पर चर्चा एक जन आंदोलन बन चुकी है. बच्चों, अभिभावक, शिक्षकों को तनाव से दूर करने के लिए पीएम मोदी ने कदम बढ़ाए हैं।
विपक्ष और मीडिया की आलोचना से कैसे निपटते हैं? पीएम मोदी ने कहा, 'मैं सिद्धांत: मानता हूं कि समद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना एक शुद्धियज्ञ है.'। कहा कि विपक्ष के लोग साइकोलॉजी जानते हैं, इसलिए जानबूझकर ऐसी बात छेड़ देते हैं कि हम अपना विषय छोड़कर उसका जवाब देने में लग जाते हैं. हमें बस अपने लक्ष्य पर फोकस रखना चाहिए. आलोचना बहुत मुश्किल काम है. ऐसे में लोग शॉर्टकट अपनाते हैं और आरोप लगाते हैं. दोनो में बहुत फर्क है. हम आरोपों पर ध्यान न दें मगर आलोचना को अपने लिए जरूरी समझें. आलोचना करने वाले आदतन ऐसा करते हैं. उन्हें एक बक्से में डाल दीजिये. घर में आलोचना नहीं होती, ये दुर्भाग्य का विषय है. घर में आलोचना के लिए आपके शिक्षकों से मिलना होता है, आपको ऑब्जर्व करना होता है. ऐसी आलोचना काम आती है.
पीएम ने कहा, दुनिया में देखिये, जो लोग बहुत सफल हुए हैं, वे भी सामान्य ही हुआ करते थे. इस समय पूरे विश्व में देशों की आर्थिक स्थिति की चर्चा हो रही है. ऐसा नहीं है कि दुनिया में अर्थशास्त्रियों की कमी नहीं है. आज दुनिया आर्थिक मोर्चे पर भारत की तरफ देख रही है. अभी तक ऐसा ही कहा जाता था कि भारत में अर्थशास्त्रियों की कमी है, प्रधानमंत्री को भी कोई ज्ञान नहीं है. मगर अब ये सामान्य ही असामान्य हो गया है.
मैकेनिक के उदाहरण से पीएम ने कहा एक बार एक व्यक्ति की गाड़ी खराब हो गई. वह घंटो धक्का लगाता रहा मगर गाड़ी स्टार्ट नहीं हुई. उसने एक मैकेनिक को बुलाया जिसने 2 मिनट में गाड़ी ठीक कर दी और 200 रुपये का बिल बना दिया. व्यक्ति ने कहा कि 2 मिनट के काम के इतने रुपए तो मेकेनिक ने जबाव दिया कि ये रुपए बीस साल के अनुभव के हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि यदि हम अपने सामर्थ्य पर ध्यान देते हैं, तो तनाव नहीं होता. जीवन के स्टेशन में एक ट्रेन छूट गई तो दूसरी आएगी. कोई भी एग्जाम जीवन का अंत नहीं होता. हमें तनाव से मुक्ति का संकल्प लेना होगा. परिणाम के तनाव को मन में लेने की जरूरत नहीं है. पीएम मोदी ने बच्चों से कहा कि हमारे आरोग्य शास्त्र में फास्टिंग का मंत्र है. बदलते समय में अब हमें डिजिटल फास्टिंग की जरूरत है. अब हम देख रहे हैं कि एक ही घर में मां, बाप, बेटा सब अपने अपने मोबाइल में व्यस्त रहते हैं. पहले लोग यात्रा करते समय गप्पे मारते थे, मगर अब मोबाइल में लग जाते हैं. आपको अपने घर में भी एक एरिया तय करना चाहिए जिसे नो टेक्नोलॉजी जोन कहा जाए.
पीएम मोदी ने कहा कि हमें यह खुद समझना चाहिए कि हमें गैजेट्स का गुलाम नहीं बनना है. हमें टेक्नोलॉजी या गैजेट्स से भागना नहीं है, उसे अपनी जरूरत के अनुसार इस्तेमाल करना है.पीएम ने कहा, दुनिया की सबसे पुरातन भाषा जिस देश के पास हो, उसे गर्व होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? क्या आपको पता है कि हमारी तमिल भाषा दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है. इतनी बड़ी अमानत हमारे पास है. यह गर्व की बात है. बड़े आराम से उत्तर भारत का व्यक्ति डोसा खाता है. दक्षिण में पूड़ी सब्जी चाव से खाई जाती है. जितनी सहजता से बाकी चीजें आती है, उतनी ही सहजता से भाषा भी आनी चाहिए.
एक से अधिक भाषा सीखिए
भोपाल की रितिका गोड़के ने पूछा हम अधिक भाषा केसे सिख सकते हैं। तो पीएम मोदी ने कहा कि
भारत विविधताओं से भरा देश है. हमारे पास सैंकड़ो भाषाएं है. ये हमारी समृद्धि है. कम्यूनिकेशन एक बहुत बड़ी शक्ति है. जैसे हम सोचते हैं प्यानो या तबला सीखूं, तो ऐसे ही अपने पड़ोस के किसी राज्य की भाषा भी सीखनी चाहिए. मन लगाकर अपने अड़ोस-पड़ोस के राज्य की एक-दो भाषा सीखने में क्या जाता है। कोशिश करना चाहिए। हम भाषा सीखते हैं, इसका मतलब बोलचाल के कुछ वाक्य सीख जाना ही नहीं है। अनुभवों का निचोड़ जो होता है, एक-एक भाषा की जब अभिव्यक्ति शुरू होती है, तो उसके पीछे हजारों साल की अविरक्त, अखंड, अविचल एक धारा होती है। अनुभव की धारा होती है। उतार-चढ़ाव की धारा होती है। संकटों का सामना करते हुए निकली हुई धारा होती है। तब जाकर के एक भाषा अभिव्यक्ति का रूप लेती है। हम जब एक भाषा को जानते हैं, तब आपके लिए हजारों साल पुरानी उस दुनिया में प्रवेश करने का द्वार खुल जाता है। इसलिए बिना बोझ हमें दूसरी भाषा सीखनी चाहिए।घर में बांधकर मत रखिए
स्टूडेंट को घर के दायरे में रखना अच्छी बात नहीं. 10वीं-12वीं के एग्जाम के बाद बच्चे को कम से कम 5 दिन के लिए घूम के आओ. बच्चे को हिम्मत के साथ बाहर भेजो. बच्चा बहुत कुछ सीख कर आएगा. बच्चे को कुछ पैसे दें और सब समझाकर बाहर भेजें. स्कूल में जो बच्चा अच्छा करता है उससे मिलने के लिए भेजना चाहिए. ये करना चाहिए, वो नहीं करना चाहिए... ये सब नहीं करना चाहिए.
पीएम ने शिक्षको को लगाई क्लास
पीएम ने कहा, हमारे शिक्षक बच्चों के साथ जितना अपनापन बनाएंगे, उतना बेहतर है. स्टूडेंट जब कोई सवाल पूछता है तो वह आपकी परीक्षा नहीं लेना चाहता, यह उसकी जिज्ञासा है. उसकी जिज्ञासा ही उसकी अमानत है. किसी भी जिज्ञासु बच्चे को टोकें नहीं. अगर जवाब नहीं भी आता है तो उसे प्रोत्साहित करें कि तुम्हारा प्रश्न बहुत अच्छा है. मैं अधूरा जवाब दूं तो यह अन्याय होगा. इसका जवाब मैं तुम्हें कल दूंगा और इस दौरान मैं खुद इसका जवाब ढूंढूंगा. अगर शिक्षक ने कोई बात बच्चे को गलत बता दी, तो यह जीवनभर उसके मन में रजिस्टर हो जाएगा. इसलिए समय लेना गलत नहीं है, गलत बताना गलत है.क्या हैं आखिर परीक्षा पे चर्चा
कार्यक्रम के लिए इस साल 38.80 लाख से ज्यादा छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों ने रजिस्ट्रेशन कराए. पिछले साल करीब 15 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराए थे.
इस साल पीपीसी यानी परीक्षा पे चर्चा 2023 के छठे संस्करण के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया 25 नवंबर से शुरू हुई थी, जो 30 दिसंबर, 2022 तक चली थी। MyGov पर प्रतियोगिताओं के माध्यम से चुने गए लगभग 2050 छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को शिक्षा मंत्रालय द्वारा पीपीसी किट उपहार में दी जाएगी।
परीक्षा पे चर्चा एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसमें पीएम आगामी बोर्ड परीक्षाओं में भाग लेने वाले विद्यार्थियों के साथ बातचीत करते हैं. पीएम परीक्षा के तनाव और अन्य मुद्दों से संबंधित सवालों के जवाब भी देते हैं.
तनाव को पीछे छोड़ने और परीक्षा के डर को दूर करने तथा परीक्षा को त्योहार की तरह मनाने के टिप्स साझा करते हैं।
स्कूल व कॉलेज छात्रों के साथ पीएम के संवाद कार्यक्रम का पहला संस्करण 16 फरवरी, 2018 को स्टेडियम में आयोजित किया गया था.

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