गाजियाबाद। गाजियाबाद कोर्ट परिसर में बुधवार दोपहर एक तेंदुआ घुस गया। तेंदुए ने पुरानी बिल्डिंग के पास एक वकील और जूता पॉलिश करने वाले पर जानलेवा हमला कर दिया। जूता पॉलिश करने वाले व्यक्ति के कान पर झपट्टा मारा इसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया।बता दें की गाजियाबाद जिला न्यायालय में बुधवार दोपहर करीब चार बजे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में अचानक तेंदुआ घुस गया जिससे अफरा-तफरी मच गई। तेंदुए ने वकील और सिपाही समेत 10 लोगों पर हमला कर घायल कर दिया। करीब साढ़े चार घंटे बाद उसे वन विभाग की टीम ने बेहोश करके पकड़ लिया। तेंदुए के हमले में सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रमोद तंवर, अधिवक्ता मोदीनगर निवासी जितेंद्र कुमार व अचिन, ड्यूटी पर तैनात हेड कांस्टेबल विकास कुमार, कुशलिया निवासी अशरफ खान, जहीर खान व तनवीर खान, राम पार्क एक्सटेंशन निवासी रामावती, बूट पॉलिश करने वाला सलीम, रेड एपल ग्रुप का मालिक नमन जैन घायल हुए हैं। सभी को संयुक्त अस्पताल संजय नगर और कविनगर स्थित सर्वोदय अस्पताल में एंबुलेंस से ले जाकर भर्ती कराया गया।
सुझबुझ से किया बंद नहीं तो
कोर्ट प्रबंधक मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि जैसे ही तेंदुआ घुसने की जानकारी मिली, तत्काल वन विभाग की टीम को फोन से सूचना दी गई। उसके 15 मिनट बाद वन विभाग की टीम पुष्टि करने के लिए पहुंची। तब तक अधिवक्ताओं और न्यायिक कर्मचारियों ने तत्परता दिखाते हुए तेंदुए को पुलिस चौकी के पास बनी सीढ़ी वाले शटर में बंद कर दिया। न्यायिक अधिकारी और कर्मचारी दो घंटे रहे कैद
तेंदुए के हमले के डर से सभी वाणिज्य कर कार्यालय, अदालत और कलक्ट्रेट के दरवाजों पर ताला लगा दिया गया। अदालतों में अंदर से कर्मचारियों ने दरवाजा बंद कर लिया। हमले से बचने के लिए न्यायिक अधिकारी और कर्मचारी दो घंटे तक कैद होकर रह गए थे। लोगों को डर लग रहा थी कि बाहर निकले तो कहीं उन पर तेंदुआ हमला न कर दे।
तेंदुआ घुसने की दी तुरंत सूचना
कोर्ट प्रबंधक मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि जैसे ही तेंदुआ घुसने की जानकारी मिली, तत्काल वन विभाग की टीम को फोन से सूचना दी गई। उसके 15 मिनट बाद वन विभाग की टीम पुष्टि करने के लिए पहुंची। तब तक अधिवक्ताओं और न्यायिक कर्मचारियों ने तत्परता दिखाते हुए तेंदुए को पुलिस चौकी के पास बनी सीढ़ी वाले शटर में बंद कर दिया।
न्यायिक अधिकारी और कर्मचारी दो घंटे रहे कैद
तेंदुए के हमले के डर से सभी वाणिज्य कर कार्यालय, अदालत और कलक्ट्रेट के दरवाजों पर ताला लगा दिया गया। अदालतों में अंदर से कर्मचारियों ने दरवाजा बंद कर लिया। हमले से बचने के लिए न्यायिक अधिकारी और कर्मचारी दो घंटे तक कैद होकर रह गए थे। लोगों को डर लग रहा थी कि बाहर निकले तो कहीं उन पर तेंदुआ हमला न कर दे।
असहाय दिखी पुलिस और वन विभाग की टीम
शटर के अंदर बंद तेंदुआ पकड़ने में पुलिस और वन विभाग की टीम तीन घंटे तक असहाय दिखी। मेरठ से टीम आने के बाद रेस्क्यू शुरू किया गया। ढाई घंटे तक भीड़ शटर के अंदर बंद तेंदुए की वीडियो बनाने के लिए हंगामा करती रही, लेकिन न तो पुलिसकर्मी अदालत परिसर से भीड़ बाहर कर पाए और न ही वन विभाग के कर्मचारी तेंदुआ पकड़ पाए। अधिवक्ता नरेश यादव का कहना था कि अगर पुलिसकर्मी चाहते तो भीड़ बाहर निकालने के बाद शटर बंद कर आसानी से तेंदुए को पकड़ सकते थे। इस बात को लेकर पुलिसकर्मियों और अधिवक्ता में कहासुनी भी हो गई। शाम 6:30 बजे पुलिस ने माइक से उद्घोषणा करना शुरू किया कि भीड़ अदालत परिसर से बाहर निकल जाए, जिससे कि वन विभाग के कर्मचारी जाल लगाकर तेंदुआ बाहर निकलने के लिए शटर खोल सकें।
सूचना फैलते ही एकत्र होने लगी भीड़
जैसे ही सूचना मिली कि तेंदुआ सीढ़ी के पास बंद कर दिया है। इसके बाद कचहरी परिसर में अधिवक्ताओं और वादकारियों की भीड़ एकत्र होने लगी। शाम सात बजे तक पूरा परिसर भीड़ से खचाखच भरा रहा।

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