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धमाका बड़ी खबर: प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की चार घंटे की क्लास के बाद सांसद केपी यादव बोले, सिंधिया जी से मेरे अच्छे संबंध हैं, मैं उनका सम्मान करता हूं, मेरे वरिष्ठ नेता हैं

सोमवार, 27 फ़रवरी 2023

/ by Vipin Shukla Mama
Bhopal भोपाल। राजनीति में सुर्खी पाने के लिए कुछ नेता कुछ तो भी बोल जाते हैं, बाद में जब फटकार इंजेक्शन लगता है तो बगले झांकते नजर आते हैं। बीते रोज इसी तरह का बयान गुना के एक सामाजिक मंच से वायरल हो गया। जब गुना शिवपुरी सांसद केपी यादव ने केंद्रीय मंत्री द ग्रेट ज्योतिरादित्य सिंधिया के परिवार को लेकर रानी झांसी लक्ष्मीबाई से जोड़कर टिप्पणी कर दी और बिना नाम लिए उन्हे गद्दार कह डाला। सांसद केपी यादव शनिवार को गुना पहुंचे थे। यहां पीजी कॉलेज में वीरमाता जीजाबाई सम्मान समारोह आयोजित किया गया था। क्रीड़ा भारती के इस आयोजन में उन्होंने बिना नाम लिए सिंधिया परिवार पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा- 'अनादिकाल से ही मातृशक्ति का देश में सम्मान होता रहा है। चाहे जीजा माता हों, चाहे रानी लक्ष्मीबाई हों, इनके बलिदान को देश भुला नहीं सकता। रानी लक्ष्मीबाई भी हमारे पास झांसी की ही थीं। उनके शौर्य के बारे में भी हम सभी जानते हैं। हम ये भी जानते हैं कि अगर उस समय कुछ लोगों ने उनके साथ गद्दारी नहीं की होती, तो शायद भारत देश 75वी वर्षगांठ नहीं, बल्कि 175वीं वर्षगांठ मना रहा होता यानी हम 100 साल पहले ही आजाद हो गए होते।'
इस बयान ने आग लगा दी और भाजपा पार्टी ने केपी यादव को तत्काल भोपाल तलब करते हुए जोरदार इंजेक्शन लगाया। चार घंटे से ज्यादा फटकार खाने के बाद नेताजी को मीडिया से मुंह छिपाना पड़ा और बाद में सामने आए तो टायर पूरी तरह पंचर हो चुका था। उन्होंने कहा की उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। सिंधिया जी से मेरे अच्छे संबंध हैं।
सुनिए क्या बोले सांसद केपी।
मुंह छिपाते रहे मीडिया से केपी 
केपी यादव को रविवार को भोपाल तलब किया गया। वे शाम 4 बजे प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंच गए थे। यहां वे प्रदेश कार्यालय मंत्री राघवेन्द्र शर्मा के कमरे में बैठे, तो मीडिया के कैमरे उनकी तरफ घूम गए। इसके बाद उन्हें दूसरे कमरे में बिठा दिया गया। वे प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, पंकजा मुंडे के साथ हुई मंत्रियों विधायकों की बैठक में शामिल हुए। बैठक के बाद जैसे ही केपी यादव जाने के लिए निकले, तो उन्हें फिर कार्यालय मंत्री के कक्ष में बिठा दिया गया। करीब दो घंटे तक मीडिया से बचने की कोशिश में बैठे केपी यादव आखिरकार सवा आठ बजे मीडिया प्रभारी लोकेन्द्र पाराशर के साथ बाहर आए। उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी।
मैं उनका सम्मान करता हूं। मेरे वरिष्ठ नेता हैं
सांसद केपी यादव ने प्रदेश भाजपा कार्यालय में कहा- कार्यक्रम में महिलाओं और मातृ शक्ति के बारे में बोल रहा था। उस समय ये बात निकल आई, लेकिन मेरी ऐसी भावना नहीं थी। बाद में मुझे मीडिया के माध्यम से पता चला कि मेरा कौन सा शब्द कहां से निकाला गया है। मेरा ऐसा इरादा नहीं था । न मैंने ऐसा कुछ बोला है। जहां तक सिंधिया जी की बात है, उनसे मेरे अच्छे संबंध हैं। मैंने किसी का नाम नहीं लिया और न किसी को आहत करने का उद्देश्य था । मैं उनका सम्मान करता हूं। मेरे वरिष्ठ नेता हैं। ये पता नहीं कहां से कौन सी बात निकाल ली गई। आपको बता दें की वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराकर बीजेपी से सांसद बने केपी यादव सिंधिया पर जुबानी हमले करते रहते हैं । सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद भी वे कई बार बिना नाम लिए हमला कर चुके हैं।
प्रदेश अध्यक्ष ने किया किनारा
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने बताया कि केपी यादव ने क्या कहा है, क्या नहीं कहा, इसके बारे में अध्ययन करने के बाद ही मैं कुछ कह पाऊंगा। शाम को दोबारा जब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा- केपी यादव ने क्या कहा, नहीं कहा। वे अभी यहां हैं। हमारी उनसे बातचीत हो गई है। इधर केपी यादव के बयान पर सिंधिया समर्थक मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया बोले- मैं इस संबंध में कमेंट नहीं करूंगा। ये उनके सामाजिक मैटर की बात थी। ये उन्हीं से पूछिए।
तीखी प्रतिक्रिया
इधर इस बयान को लेकर शिवपुरी जिले में तूफान आया। सामाजिक मंच से बात कही गई थी इसलिए उसी समाज के नेताओं ने केपी की घेराबंदी की। पूर्व विधायक महेंद्र सिंह यादव, रामवीर यादव, भूपेंद्र यादव, योगेंद्र यादव आदि नेताओं ने बयान जारी किए। कहा की सामाजिक मंच से भविष्य में समाज हित की ही बात होनी चाहिए। राजनीतिक बयानबाजी ठीक नहीं। जहां तक इस अंचल की बात हैं सिंधिया परिवार ने सदेव यादवों को आगे बढ़ाया हैं। 
इतिहास छोड़िए वर्तमान को देखिए: नीलू शुक्ला
शिवपुरी में सिंधिया निष्ठ और उन्हीं की कृपा से पार्षद और पूर्व पार्टी की जिलाध्यक्ष रहीं नीलू शुक्ला ने कहा की इतिहास को छोड़ना चाहिए। वर्तमान देखना चाहिए। बीते दिनों सिंधिया जी ने रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पुष्प अर्पित किए और आजादी की लड़ाई में उनके योगदान का बखान किया। ये हम इसलिए कहना चाहते हैं की अतीत में क्या वजह रहीं , बात में कितनी सच्चाई हैं ये इतिहास के साथ दफन हैं लेकिन आने वाली पीढ़ियों ने उस भूल को नहीं दोहराया और न ही कभी इस तरह का कुछ देखने में आया। सिंधिया जी ने राष्ट्रीय स्तर पर इन सभी छोटी बातों से ऊपर उठकर अपनी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान स्थापित की हैं। भाजपा की नीति और सिद्धांतो पर चलते हुए वे अंतिम छोर के व्यक्ति को गले लगाते, उनके साथ भोजन करते तो कभी उनके बच्चों को गोद में लिए नजर आते हैं। सभी के लिए समान दृष्टिकोण लेकर उन्होंने राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई हैं। नहीं भूलना चाहिए की जिस चुनाव ने उनके दामन में काला निशान लगाया उसके पूर्व उन्होंने अनेक सौगातें गुना, शिवपुरी, अशोकनगर की जनता को दीं थी। शिवपुरी की ही बात की जाय तो ग्वालियर से उज्जैन फॉर लेन का निर्माण और आज शिक्षा का टापू बनने आ खड़े हुए शिवपुरी में पोलीटेक्निक कॉलेज, एनटीपीसी कॉलेज, यूआईटी आरजीपीवी शिवपुरी यूनिवर्सिटी  और कई स्कूलों का उन्नयन करवाया था। जबकि मेडिकल कॉलेज की सौगात से लेकर मड़ीखेड़ा पेयजल, सीवर परियोजना उन्हीं की देन हैं। इन दो योजनाओं के समय पर पूरा न होने पर उन्होंने काम के तरीके में बदलाव करते हुए समय बद्ध कार्य करवाए जिससे बाकी योजना समय पर ठीक से पूरी हुई। इतना ही नहीं ग्रीष्म कालीन राजधानी के समय के शतायु पूर्ण कर चुके नगर की जल सप्लाई वाले चांद पाठा से होने वाले जल निकास को बंद करवाकर नए रेडियल गेट लगवाए हैं जिससे साल भर पानी तालाब में भरा रहता हैं। इतना ही नहीं ग्रामीण, शहरी विद्युतीकरण योजनाएं वे ही लेकर आए। बावजूद इसके जनादेश विपरीत आया वो भी शायद पीएम मोदी जी की लहर के नतीजे में तो ये किस्मत की बात है। इसलिए इतिहास नहीं वर्तमान में लोगों को जीना सीखना चाहिए। एक और बात ये की सिंधिया जी अगर वो चुनाव नहीं हारते तो गुना, शिवपुरी, अशोकनगर को न जाने कितनी सौगात मिल चुकी होती। जो इन पांच साल में एक भी नहीं मिली। जिसे खुद बीते दिनों सार्वजनिक रूप से मीडिया के समक्ष स्वीकारा भी जा चुका है। 









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