शिवपुरी। मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग द्वारा प्रदान की जा रही शिक्षा के गिरते स्तर को ध्यान में रखते हुए शिक्षाविद एवं समाजसेवी डॉ रामजी दास राठौर ने मध्य प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के नाम मीडिया के माध्यम से खुला पत्र प्रेषित करते हुए मांग की है कि मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में कम से कम 10 वर्षों के लिए इमरजेंसी लगानी चाहिए।
इस संबंध में डॉ. रामजी दास राठौर ने बताया कि मध्य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था अपनी अंतिम सांसें ले रही है।
मध्य-प्रदेश के शिक्षा विभाग के सभी स्तर प्राथमिक, माध्यमिक एवम उच्च शिक्षा पर कार्यरत कर्मचारी चाहे वह स्थाई, अस्थाई, संविदा, अतिथि किसी भी प्रकार से नियुक्त किए गए हो वह विभिन्न कारणों से अपने मूल कर्तव्य *"शिक्षा प्रदान करना"* से दूर होते जा रहे हैं। शासन की विभिन्न योजनाओं में चाही गई जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा समय-समय पर दी जाती है जिसके आधार पर मध्य प्रदेश सरकार यह मानकर चलती है कि जो डाटा भेजा गया है, वही हकीकत में मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में चल रहा है। जबकि हकीकत कुछ और ही है, जिससे हम सभी अच्छी तरह परिचित हैं। यदि यही हाल रहा तो केवल कंप्यूटर ऑपरेटर ही शिक्षा विभाग के संचालन के लिए पर्याप्त हैं।
पिछले कुछ दिनों से शिक्षा विभाग द्वारा मोबाइल मॉनिटरिंग का कार्य प्रारंभ किया गया है। यह एक सार्थक पहल है। इसको शिक्षा के सभी स्तर प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा में लागू किया जाना चाहिए। शिक्षा विभाग का कर्मचारी कोई भी हो उससे केवल अनिवार्य शैक्षणिक कार्य लिया जाना चाहिए ना कि उनसे जनगणना, पशुगणना, मतगणना का कार्य कराना चाहिए। शिक्षा विभाग के सभी कर्मचारियों के अटैचमेंट समाप्त कर उन्हें मूल विभाग में भेजा जाना चाहिए। जिससे कि मध्य प्रदेश के युवाओं को पर्याप्त और सही शिक्षा दी जा सके।
शिक्षकों से शिक्षा द्वारा राष्ट्र निर्माण के कार्य के स्थान पर सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार के अशैक्षणिक कार्य कराए जाते हैं जिन्हें तत्काल बंद करने की आवश्यकता है। शिक्षकों का समाज में लगातार सम्मान गिरता जा रहा है उसके पीछे का मूल कारण यह है कि शिक्षक अपने मूल कर्तव्य शिक्षा के प्रसार से दूर होते जा रहे हैं।
युवा किसी भी प्रदेश के भविष्य होते हैं यदि हमारे प्रदेश के बच्चे एवं युवाओं को सरकार द्वारा अनिवार्य रूप से सही शिक्षा प्रदान नहीं की गई तो यह प्रदेश के बच्चे एवं युवाओं के साथ अन्याय होगा। अतः मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा एक इनोवेटिव पहल करते हुए मध्य-प्रदेश के शिक्षा विभाग में कम से कम 10 वर्षों के लिए इमरजेंसी लगाते हुए अनिवार्य रूप से सभी शिक्षकों से केवल शैक्षणिक कार्य लिया जाए तथा अन्य कार्यों के लिए विभिन्न माध्यमों से अन्य युवाओं को रोजगार का अवसर प्रदान किया जाए। जिससे कि मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को समय रहते बचाया जा सके।

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