ग्वालियर। 27 फरवरी को पूरी दुनिया में विश्व एनजीओ दिवस मनाया जाता है। एनजीओ मतलब नॉन गवर्नमेंटल ऑर्गेनाइजेशन यानी गैर सरकारी संगठन। नाम से स्पष्ट है यह एक ऐसे संगठन हैं जो गैर लाभकारी होने के साथ ही गैर सरकारी भी होते हैं। जो गरीबों, बच्चों, महिलाओं, पर्यावरण, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेक सामाजिक कार्य करते हैं। देश में एनजीओ का 125 साल पुराना इतिहास है। भारत में स्वतंत्रता पूर्व ही अनेक संगठन सेवा के क्षेत्र में सक्रिय थे। मौजूदा परिवेश में एनजीओ व्यापक स्तर पर काम कर रहे हैं और युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहे हैं। सरकार भी एनजीओ के लिए दिल खोलकर करोड़ों की सौगात दे रही है। आईए- जानते हैं, आखिर क्या है एनजीओ की भूमिका और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?
डॉ. केशव पाण्डेय
सबसे पहले बात करते हैं एनजीओ दिवस मनाने की तो आप को बता दूं कि संयुक्त राष्ट्र ने 2014 में पहली बार एनजीओ दिवस मनाया। हालांकि, बाल्टिक सागर राज्यों की परिषद के नौ बाल्टिक सागर एनजीओ फोरम के सदस्य देशों ने 2010 में इसे आधिकारिक तौर पर मान्यता दी थी। डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, जर्मनी, आइसलैंड, लातविया, लिथुआनिया, पोलैंड, रूस, नॉर्वे और स्वीडन इस फोरम के सदस्य देश हैं। अब हम यदि बात भारत की करें तो पाते हैं कि गैर सरकारी संगठनों का इतिहास काफी पुराना है। 1905 में रोटरी इंटरनेशनल पहला अंतरराष्ट्रीय संगठन बना। 10 साल के भीतर ही 1914 तक करीब 1083 एनजीओ की स्थापना हो चुकी थी। 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद एनजीओ तेजी से लोकप्रिय हुए।
आज पूरी दुनिया में डेढ. करोड. से अधिक एनजीओ काम रहे हैं। वहीं देश में सक्रिय सूचीबद्ध एनजीओ की संख्या एक रिपोर्ट के मुताबिक 35 लाख के करीब है। जबकि 40 हजार से अधिक अंतरराष्ट्रीय स्तर के एनजीओ हैं। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा पॉच लाख से अधिक एनजीओ हैं। वर्तमान में लाखों स्वयंसेवक, समाजिक कार्यकर्ता समाज को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जिनमें से कई ऐसे भी हैं जो निःस्वार्थ भाव से इस काम को अंजाम दे रहे हैं। एनजीओ वास्तव में स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समाज के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
बिल गेट्स और उनकी पत्नी मिलिंडा गेट्स का एनजीओ बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन है। यह एनजीओ दुनियाभर के तमाम विकासशील देशों में लोगों के स्वास्थ्य और बेहतर जीवन जीने में मदद करने के लिए काम कर रहा है।
अगर हम भारत की बात करें तो देश में भी कई छोटे-बड़े ऐसे एनजीओ हैं जो समाज सुधार में सहयोग कर रहे हैं। देश के कई जाने-माने उद्योगपति एनजीओ के माध्यम से समाज में अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। मुकेश अंबानी, नीता अंबानी, आनंद महिंद्रा, एनआर नारायण मूर्ति, अभिनेता सलमान खान सहित अनेक लोग एनजीओ चला रहे हैं और समाज व देश के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। वे गरीब बच्चों के जीवन में सुधार लाने के साथ ही महिलाओं के जिंदगी को बेहतर बना रहे हैं।
स्माइल फाउंडेशन निर्धन और साधनहीन बच्चों की शिक्षा, आनंद महिंद्रा का नन्हीं कली गरीब बालिकाओं को शिक्षित करने, ज्वॉय ऑफ गिविंग इंडिया फाउंडेशन 200 से ज्यादा भारतीय एनजीओ को डोनेशन देने का काम कर रहा है। गूंज को फोर्ब्स ने भारत का सबसे शक्तिशाली ग्रामीण उद्यमी संगठन माना है। गूंज का मशहूर वस्त्र सम्मान कार्यक्रम नजीर बन गया है।
1978 में स्थापित हेल्पएज इंडिया बुजुर्गों की सेवा में अनुकरणीय पहल है। संगठन बुजुर्गों को दवा, इलाज के साथ ही मानसिक और शारीरिक सपोर्ट देने के लिए भी काम करता है। देश में ऐसे अनेक संगठन हैं जो अपने काम से लोगों के जीवन को बेहतर और सुखद बना रहे हैं।
इसका कारण है कि सरकार की अपेक्षा संगठन द्वारा कार्य होने में कई लाभ हैं। ये संगठन समुदाय और जनता के नजदीक हैं। उनकी कार्यशैली में लचीलापन है और जनसहयोग प्राप्त करने में भी इनकी विशेष भूमिका है।
इसके चलते सरकार ने इन संगठनोंं को अपना माध्यम बनाना उचित समझा है। लेकिन इनमें एक कमी यह रही कि इनका कार्य क्षेत्र और दायित्व सुविधा जुटाने तक ही सिमित था। जो सरकार को देनी थी। वह संस्था ने दी अर्थात सरकार की जगह इन गैर सरकारी संगठन ने ले ली।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा था कि सामाजिक कल्याण के उद्देश्य को हासिल करने के लिए कार्य करने वाले सोशल एंटरप्राइजेज और स्वैच्छिक संगठनों के लिए हर संभव मदद करेंगे। उन्होंने वित्त वर्ष 2023-2024 के कुल 45.03 लाख करोड़ के बजट में सामाजिक कल्याण के लिए 55 हजार करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान रखा है। इसके अलावा देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर के सक्रिय एनजीओ ही विदेशों से सरकार के बजट से दोगुना विदेशी फंड जुटा लेते हैं। जो कि करीब 80 से 90 हजार करोड़ रुपए से अधिक होता है।
सेवा के संकल्प के साथ काम करने वाले ये गैर सरकारी संगठन अधिक कुशल और जनसेवी हैं, तो जनता को अधिक लाभ मिला। लेकिन कुछ अशक्त और लोभी व्यक्तियों के हाथों में थे उन संगठनों ने सिर्फ और सिर्फ अपना हित देखा। ऐसे में जनता को लाभ के बजाय हानि हुई। लेकिन अब कह सकते हैं कि मौजूदा परिवेश में एनजीओ सेवा के सशक्त माध्यम बन गए हैं और ये रोजगार के साधन भी। यानी कि सेवा कीजिए और मेवा लीजिए।

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