Responsive Ad Slot

Latest

latest

धमाका संडे स्टोरी: अतिशय क्षेत्र श्री थूबोन जी संपूर्ण मध्य प्रदेश का गौरवस्थल

रविवार, 12 फ़रवरी 2023

/ by Vipin Shukla Mama
(शिक्षाविद निर्भय गौड की कलम से)
मालवा और बुंदेलखंड की पवित्र तीर्थ श्रंखला में उर्वशी और लीलट सरिताओं के बीच विंध्यांचल पर्वत माला में बसे 26 देवस्थान मंदिरों का वैभव समेटे दिगंबर जैन संस्कृति की अमूल्य विरासत धर्म तीर्थ अतिशय क्षेत्र श्री थूबोन जी संपूर्ण मध्य प्रदेश का गौरवस्थल है। यह श्रीक्षेत्र शिवपुरी से मात्र 140 किलोमीटर दूर है। 
इस पवित्र तीर्थ का उद्भव 12 वीं शताब्दी में प्रसिद्ध पाड़ाशाह के द्वारा हुआ। पाड़ाशाह के नाम पर क्षेत्र के दक्षिण की ओर एक सरोवर है जिसे "पाड़ाशाह तलैया" कहते हैं। इसके संबंध में यह किवदंती जुडी है कि पाड़ाशाह के पास पारस पथरी थी जिसका स्पर्श करा कर वे लोहे से सोना बना लेते थे। यह पारस पथरी उन्हें इसी तलैया से मिली थी। एक बार पाड़ाशाह का पाड़ा इस तलैया में घुसा तो पारस पथरी के स्पर्श से उसकी लोहे की सांकल चमत्कारिक रूप से सोने में बदल गई।
पारस पथरी मिलने के बाद धन का सदुपयोग और मंदिर बनवाये का सिलसिला शुरू हुआ। भव्य प्रतिमाओं का निर्माण करवाया गया, प्रतिष्ठाये करायीं गईं। जिनमें श्री थूबोन जी , श्री बजरंगढ़ , श्री आहार जी, श्री सिरोंजी, ईशुरवारा , सेसई , देवगढ़ आदि तीर्थ क्षेत्र में उनके द्वारा बनाये गए मंदिर व प्रतिमाएं उनकी दानशीलता और जिनेन्द्र भक्ति के जीते-जागते प्रमाण हैं।
श्री क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने हमारे सहयोगी निर्भय गौड़ को बताया कि रात्रि को इस मंदिर से साज एवं घुंघरुओं के बजने की मधुर ध्वनि आज भी सुनाई देती है। उनका मानना है कि देवगण प्रभु की भक्ति करने के लिए यहां आज भी आया करते हैं।
परमपूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज ससंघ के सन १९७९ एवं १९८७ में २ चातुर्मास महती धर्म प्रभावना के साथ सम्पन्न हुए। आपकी प्रेरणा एवं आशीर्वाद से श्री आदिनाथ जिनालय को भव्य रूप प्रदान किया गया। यहाँ स्थित आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज की संत वसतिका का औरा अद्भुत है।
यह क्षेत्र तपोवन के रूप में प्रसिद्ध है। यहां पर अनेक ऋषि मुनियों ने तपस्या की है। यहां पसरी श्रुतिमधुर शांति का शब्दों मे बखान संभव नही है।
क्षेत्र पर हर साल मकर-संक्रांति को भव्य मेला एवं अद्भुत विमान उत्सव का आयोजन किया जाता है। यह तीर्थ क्षेत्र अशोकनगर से मात्र 30 किमी एवं चंदेरी से 20 किमी दूरी पर है।
इस अद्भुत अलौकिक दुनिया को वहां स्वयं जाकर आत्मसात करें।

कोई टिप्पणी नहीं

एक टिप्पणी भेजें

© all rights reserved by Vipin Shukla @ 2020
made with by rohit Bansal 9993475129