Responsive Ad Slot

धमाका संडे स्टोरी: सीताबाड़ी के प्रसिद्ध जल कुंड में स्नान करके की भक्तों ने मोक्ष की कामना

रविवार, 19 फ़रवरी 2023

/ by Vipin Shukla Mama
(निर्भय गौड शिक्षाविद की कलम से)
बारां। जिले में केलवाड़ा कस्बे के निकट सीता-बाड़ी धाम भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से है। कल सोमवती अमावस पर स्नान हेतु नंगे पैर पैदल चलकर आने वाले एवं पेढ़ भरकर आने वाले भक्त का हुजूम लगा हुआ था।
कहा जाता है जब भगवान राम ने सीता का त्याग कर दिया था तब माता सीता अपने निर्वासन के बाद यहीं ठहरी थी। यहाँ महर्षि बाल्मिकी का आश्रम था। महर्षि बाल्मिकी ने लव-कुश को यहीं शिक्षा-दीक्षा दी और उन्हें धनुर्विद्या में पारंगत किया। मंदिर में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की नयनाभिराम मूर्तियां विराजित हैं। भक्तगण सीताबाड़ी के प्रसिद्ध जल कुंड में स्नान करके अपने मोक्ष की कामना करते हैं जिसमें म.प्र. एवं राजस्थान से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
यहां की प्राकृतिक छटा मनमोहनी है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर वनवासी क्षेत्र केलवाड़ा राजस्थान की आदिवासी संस्कृति की छटा तो बिखेरता ही है वहीं सीताबाड़ी मंदिर त्रेता युग की याद दिलाता है।
यहां सात जलकुंड बने हैं जिनमें बाल्मिकी कुंड, सीता कुंड, लक्ष्मण कुंड, सूरज कुंड, और लव-कुश कुंड प्रमुख हैं। सीताबाड़ी मंदिर के पास घने जंगल में माता सीता कुटी बनी हुई है ,कहा जाता है कि निर्वासन के दौरान माता सीता रात्रि में यहीं विश्राम किया करती थी।एक किंवदंती है कि जब सीताजी को प्यास लगी तो उनके लिए पानी लाने के लिए लक्ष्मणजी ने इस स्थान पर धरती में एक तीर मार कर जल-धारा उत्पन्न की थी। इस जलधारा से निर्मित कुंड को ही 'लक्ष्मण कुंड' कहा जाता है।
सीताबरी में सभी कुंडों में लक्ष्मण कुंड सबसे बड़ा है। कुंड के द्वारों में से एक को "लक्ष्मण दरवाजा" कहा जाता है। द्वार पर हनुमानजी की मूर्ति है।
स्थान शिवपुरी से मात्र 121 किलोमीटर दूर है।
केलवाड़ा कचौरी तथा नमकीन के लिए भी प्रसिद्ध है, योगेन्द्र खत्री रेस्टोरेंट की कचौरी का स्वाद निराला है।









कोई टिप्पणी नहीं

एक टिप्पणी भेजें

© all rights reserved by Vipin Shukla @ 2020
made with by rohit Bansal 9993475129