ग्वालियर। आधुनिक परिवेश में विज्ञान के निरंतर होते विकास और उसके प्रभाव के साथ ही बढ़ते उपयोग ने मानव जीवन की अनेक गतिविधियों को सरल व आसान कर दिया है। विज्ञान आज साधन मात्र ही नहीं बल्कि जरूरत बन गया है। क्योंकि विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से प्राप्त होता है। विज्ञान शब्द का प्रयोग तथ्य, सिद्धांत और तरीकों के प्रयोग व परिकल्पना से स्थापित तथा व्यवस्थित करता है। विज्ञान के इसी प्रभाव को समृद्ध करने के लिए प्रति वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। आज इस खास दिन पर जानते है मानव जीवन में विज्ञान का महत्व और वेश्विक रूप से उसकी उपयोगिता।
......देश के विकास में वैज्ञानिकों के महत्वूर्ण योगदान को याद करने के लिए आज पूरे देश में विज्ञान दिवस मनाया जा रहा है। 1928 में भारतीय भौतिक विज्ञानी चंद्रशेखर वेंकट रमन ने प्रभाव प्रकाश के प्रकीर्णन (स्पेक्ट्रोस्कोपी) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खोज की थी। जिसे ’रमन प्रभाव’ के नाम से जाना जाता है। खासतौर पर यह दिन ’रमन प्रभाव’ की खोज को ही समर्पित है। सीवी रमन की इस महान खोज के लिए उन्हें 1930 में भौतिकी में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
वर्ष 2023 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम ’वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान’ रखी गई है। यह भारत को विश्व स्तर पर अपना प्रभाव जमाने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। आप और हम सभी जानते हैं कि विज्ञान हमारे जीवन का सबसे मूल्यवान विषय है। विज्ञान के बिना विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। यही वजह है कि अनेक वैज्ञानिकों के योगदान के कारण भारत भी दुनिया का सबसे तेज़ी से विकास करने वाला देश बना है। यही नहीं, आज दुनिया के अनेक बड़े देश भारत की टेक्नोलॉजी कद्रदान हैं और उसे खरीदना चाहते हैं। भारत में कई महान वैज्ञानिकों ने जन्म लिया है, उनमें से एक थे सर चंद्रशेखर वेंकट रमन।
यह सीवी रमन की तपस्या का ही परिणाम है कि उनके योगदान के चलते 1986 में नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन ने भारत सरकार से आग्रह किया था कि 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाए। सरकार ने सहजता से इसे स्वीकार करते हुए इस दिवस को मनाना शुरू किया ताकि देश-दुनिया में भारत के वैज्ञानिकों की महानता को बताया जा सके।
अब वक्त के साथ अनेक बदलाव हो रहे हैं। देखा जाए तो पिछले आठ वर्षों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र ने देश के लिए दूरगामी प्रभाव वाले कई नए ऐतिहासिक सुधारों की शुरुआत करके तेजी से प्रगति की है। विज्ञान पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के साथ, भारत औद्योगीकरण और तकनीकी विकास में एक वैश्विक गुरु बनने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। भारत की नई योजना, जिसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति 2020 कहा जाता है, उसमें विज्ञान को अधिक प्रभावी ढंग से विशेषज्ञों द्वारा संचालित करने की योजना है।
सरकार ने इस बार जो थीम रखी है “वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान“... इसके भी गहरे अर्थ हैं। क्योंकि भारत आज कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अनेक देश चुनौतियों से गुजर रहे हैं। ऐसे में इन चुनौतियों को सामना विश्व के कल्याण के वैश्विक विज्ञान से ही किया जा सकता है और उसी से उभर सकते हैं। विश्व में अपनी खास पहचान बना रहे भारत को यही थीम नई शक्ति प्रदान करेगी। क्योंकि जनवरी में जब इस थीम का अनावरण किया गया था, उस वक्त केंद्रीय मंत्री डॉ. जीतेंद्र सिंह ने कहा था कि “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की ’वैश्विक कलयाण के लिए वैश्विक विज्ञान’ थीम भारत के जी-20 की अध्यक्षता के लिए बिलकुल सही है। थीम की मूल भावना के साथ भारत वैश्विक दक्षिण के एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के विकासशील देशों के लिए आवाज़ बन सकता है। क्योंकि विज्ञान वरदान भी है और अभिशाप भी। विज्ञान जहां हमें दुनिया भर में तमाम सुख-सुविधाएं प्रदान करता है साथ ही प्रकृति और मानव जीवन को क्षति भी पहुंचाता है। परमाणु युद्ध इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जिसने तबाही मचा दी थी। हालांकि विज्ञान की निर्भरता आम और खास सब पर निर्भर करती है कि हम इसका सदुपयोग कर इसे वरदान बनाएं या फिर दुरुपयोग कर अभिशाप। लेकिन दुनिया में अपनी धाक जमा रहा भारत अपने परोपकारी भाव और सोच के साथ विज्ञान से ही वैश्विक कल्याण की दिशा में सकारात्मक कदम बढ़ाएगा और इस थीम की सार्थकता को सिद्ध करेगा।

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