ग्वालियर। देश की स्वतंत्रता के लिए अनगिनत क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी और देश के लिए सर्वत्र न्योछावर किया। स्वतंत्रता संग्राम में 23 मार्च की घटना फिरंगीयों के लिए काल बन गई थी। अंग्रजों की सरकार क्रांतिकारी भगतसिंह, सुखदेव, और गुरुदत्त की सजा फांसी से इतना डर गई थी की जो फांसी 24 मार्च को होनी थी वह 23 मार्च को ही दे दी।
"बलिदान" नाटक के माध्यम से उनके स्वतंत्रता संग्राम में साथी रहे क्रांतिकारी डॉ. भगवान दास माहौर जी ने जीवंत चित्रण किया है। नाटक के माध्यम से क्रांतिकारियों में देश के प्रति त्याग, तपस्या, समर्पण, और बलिदान की भावना चरम पर थी, यह दर्शाया गया है। वह हंसते हंसते जान देकर भी देश को स्वतंत्र करना चाहते थे।
संस्था के अध्यक्ष मुकेश गुप्ता, उपाध्यक्ष महेश बांदिल एवं सचिव दिनेश बांदिल ने बताया की देश भक्ति से प्रेरित "बलिदान" नाटक की प्रस्तुति संस्था के माध्यम से शहीद दिवस पर प्रथम बार की जा रही है। इस नाटक को लिखा है क्रांतिकारी डॉ. भगवान दास माहौर जी ने। नाटक का निर्देशन किया है - होजाई गब्बासिंह जी द्वारा। संयोजन - संजय अरोरा द्वारा किया गया है।
नाटक । बलिदान।
समय । सांय 7 बजे
दिनांक । 23 मार्च 2023
स्थान । नाट्य मंदिर, हॉस्पिटल रोड, ग्वालियर
इस अवसर पर संस्था के वरिष्ठ मार्गदर्शक अशोक बांदिल, केशव पांडे, रामबाबू गुप्ता, प्रवीण गुप्ता, मनीष बांदिल, दिनेश रस्तोगी, विनोद गुप्ता, मनोज मांडिल ने ग्वालियर के नागरिकों को आव्हान किया की इस नाट्य को देखने हेतु सपरिवार विशेषकर बालकों को साथ अवश्य लाएं। जिससे उनके मानस में देश की आजादी के संघर्ष की कीमत अंकित होगी। आयोजक : क्रांतिकारी डॉ. भगवान दास माहौर जयंती समारोह समिति, नया बाजार, लश्कर, ग्वालियर।

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