अध्यक्ष शैलेन्द्र समाधियाँ ने कहा कि पक्षकार और अधिवक्ता हित के लिए मैं अवमानना कार्यवाहियों को face करने और जैल जाने तैयार हूँ.
आइए समझिए क्या हैं मामला
वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव बिलगैया ने बताया हम पक्षकार के प्रकरण की पैरवी कोर्ट में करते हैं, वकील का कोई व्यक्तिगत केस नहीं रहा. न्याय को समय सीमा के बंधन मे रखना न्याय की हत्या हैं, 25 प्रकरण की सूची बनाकर, उनको 66 दिन में निराकरण की बाध्यता से पक्षकार उचित न्याय से वंचित रहेगा ,वकील फीस लेता हैं, अपने क्लाइंट के साथ न्याय नहीं कर पाएगा, नुकसान क्लाइंट का होगा और न्यायाधीश केस के फैसले के दबाब में रहेगा नाकि न्याय कर पाएगा, ये लड़ाई वकीलों की नहीं जनता और न्याय की है.

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