बनेंगे हम सफर
बांधवगढ़ 1 मादा टाइगर को यहां लाया गया है। वहीं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व नर्मदापुरम से एक नर बाघ आया है। माधव नेशनल पार्क की टीम गुरुवार दोपहर को बांधवगढ़ पहुंच गई थी। टीम ने बाघिन को कब्जे में लिया। देर शाम वे सड़क मार्ग से रवाना हुए।
बांधवगढ़ से शिवपुरी की दूरी 500km है, जिसे 11 से 12 घंटे में पूरा कर लिया गया। वहीं, नर्मदापुरम के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से नर बाघ को पिंजरे में रखकर लाया गया। टीम ने 400Km दूर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से 11 से 12 घंटे का सफर पूरा कर लिया।
सौसर खुद भरेंगे पानी से
बलारपुर के कक्ष क्रमांक 112 में बाघों की देख-रेख के लिए 4 हजार हेक्टेयर का बड़ा एनक्लोजर ( बाड़ा) बनाया गया है। इस एनक्लोजर को तीन हिस्सों में बांटा गया है । बाड़े की ऊंचाई करीब 16 फीट है। तीनों बाघों के लिए अलग-अलग बाड़े बनाए गए हैं। बाड़ों के अंदर बाघों के लिए 6-6 हजार लीटर पानी की क्षमता वाले सोसर बनाए गए हैं। करीब एक महीने तक इनमें पानी भरकर टेस्टिंग की गई है। इनमें पानी भरने के लिए बाहर से ही पाइप का कनेक्शन दिया गया है।
बाघों को सैटेलाइट कॉलर बीएचपी सुविधा के साथ लाया गया
बाघों की सुरक्षा के लिए माधव नेशनल पार्क में पुख्ता इंतजाम हैं। बाघों को सैटेलाइट कॉलर बीएचपी सुविधा के साथ लाया गया है। नेशनल पार्क में वायरलेस सिस्टम लगाया गया है। माधव नेशनल पार्क के ऐसी जगहों को भी चिन्हित किया जा रहा है, जहां बाघ टेरेटरी बना सकते हैं। पार्क के झिरना क्षेत्र को माकूल जगह माना जा रहा है। क्योंकि यह ठंडा क्षेत्र है। यहां झरना होने के चलते पानी भी पर्याप्त मात्रा में है। झरना होने के कारण अन्य जानवर भी यहां पानी पीने आते हैं। इसके चलते बाघ इस क्षेत्र में आसानी से शिकार कर सकेंगे। यहां एक गुफा जैसा भी हैं, जहां बाघ आसानी से कुनबे को बढ़ा सकेंगे। सतपुड़ा से आ रहे नर बाघ की उम्र करीब 3 साल है, लेकिन कद-काठी में वह वयस्क टाइगर की तरह दिखता है। उसकी हाइट और वजन अच्छा है। बता दें की बाघों को 10 से 15 दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा। इसके बाद स्थिति सामान्य रही तो उन्हें पार्क में खुला छोड़ दिया जाएगा।
आइए जानिए पार्क के बारे में
शिवपुरी जिला मुख्यालय से 12 KM दूर माधव नेशनल पार्क सटा है। जिसे सिंधिया रियासतकाल में उन्हीं के पूर्वजों ने तैयार करवाया था। पार्क विंध्याचल की पहाड़ियों पर बसा है। यह पार्क कभी मराठा, राजपूत और मुगल राजाओं के शिकार करने के लिए पसंदीदा जगह हुआ करती थी। आजादी के 11 साल बाद 1958 में पार्क को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला। शुरुआत में पार्क मात्र 167 वर्ग किलोमीटर में फैला था। बाद में 375 वर्ग किलोमीटर तक इसका विस्तार किया गया था, जो अब भी बरकरार है।
पार्क में प्रवेश के लिए दो एंट्री गेट हैं। पहला NH-25 पर जो शिवपुरी से 5 KM दूर है, जबकि दूसरा गेट NH-3 ( आगरा-मुंबई रोड) पर शिवपुरी से ग्वालियर की ओर 7 KM दूर है। पार्क झीलों, जंगलों और घास के मैदानों से भरा है। माधव नेशनल पार्क में अभी नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा, हिरण, चीतल, सांभर और बार्किंग मृग रहते हैं। इसके अलावा तेंदुए, भेड़िया, सियार, लोमड़ी, जंगली कुत्ता, जंगली सूअर, शाही, अजगर आदि पार्क में देखे जाते हैं।
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