One of the eight cheetahs of South Africa who were released by PM Narendra Modi on his birthday in the Kuno Sanctuary of Sheopur district, one of the female cheetah Sasha has died.
Kuno कूनो। देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर दक्षिण अफ्रीका के जिन आठ चीतों को श्योपुर जिले के कूनो अभ्यारण्य में छोड़ा था आज उसमें से एक मादा चीता साशा ने दम तोड दिया हैं। ये उनमें से एक हैं जिन तीन को पीएम मोदी ने बाड़े में छोड़ा था। दावा किया जा रहा हैं की वह किडनी की बीमारी से भारत आने के पहले से ग्रस्त थी। कुलमिलाकर जिन चीतो के दर्शन पीएम सहित कुछ नेताओं और अधिकारियों को छोड़कर अभी तक किसी सैलानी ने नहीं किए उन चीतों के कुनवे से दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क श्योपुर में लाई गई मादा चीता साशा की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। भले ही उसकी मौत किडनी की बीमारी से पीड़ित होने के चलते हुई लेकिन मसला गंभीर हैं। अगर वह पहले से पीड़ित थी तो भारत भेजी ही क्यों गई ? मौत के बाद उसका पीएम और अंतिम संस्कार यहीं किया जायेगा।तो क्या स्वास्थ्य रखवाली के दावे बेमानी थे ?
जब चीतों को लाया जा रहा था तब कई फोटो रिलीज किए गए थे जिनमें इन चीतों के स्वास्थ्य निगरानी में रहने, लगातार डॉक्टर मॉनिटरिंग के दावे किए गए थे। तो फिर ऐसा क्या हुआ को छह महीने से भी कम समय में इनमें से एक की मौत हो गई। माना की बीमारी कह सुनकर नहीं आती लेकिन फिर भी करोड़ों के प्रोजेक्ट में इस तरह एक मादा चीते की मौत सवाल तो खड़े कर ही रही हैं।
पहले 8 फिर 12 चीते छोडे
17 सितंबर को कूनो में पीएम मोदी ने जिन 8 चीतों को छोड़ा था उसके बाद दूसरे चरण में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए थे। 18 फरवरी को सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव ने इन्हें कूनो के बाड़े में रिलीज किया था। इसके बाद कूनो में चीतों की संख्या 20 हो गई थी, लेकिन सोमवार को एक चीते की मौत के बाद अब ये संख्या घटकर 19 हो गई है।देश में लाए जाने से पहले थी बीमार
15 अगस्त 2022 को नामीबिया में साशा का ब्लड टेस्ट किया गया था, जिसमें क्रियेटिनिन का स्तर 400 से ज्यादा था। इससे ये पुष्टि होती है कि साशा को किडनी की बीमारी भारत में लाने से पहले ही थी । कूनो में 22 जनवरी को डॉक्टरों के दल ने साशा को डेली मॉनिटरिंग के दौरान सुस्त पाया था।
वेटरनरी डॉक्टरों ने मेडिकल जांच करने के बाद रिपोर्ट दी थी कि उसे इलाज की जरूरत है। उसी दिन उसे क्वारैंटाइन बाड़े में लाया गया। इस दौरान उसका ब्लड सैंपल भी लिया गया। टेस्ट वन विहार राष्ट्रीय उद्यान की लैब में किया गया था। इसकी रिपोर्ट के आधार परतत्काल भोपाल से एक दल पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन के साथ कूनो राष्ट्रीय उद्यान भेजा गया था। 22 जनवरी को सुस्त पाए जाने के बाद से ही कूनो राष्ट्रीय उद्यान के सभी वन्यप्राणी चिकित्सक और नामीबियाई विशेषज्ञ डॉ इलाई वॉकर साशा का लगातार उपचार कर रहे थे। इस दौरान चीता कंजर्वेशन फाउंडेशन नामीबिया और प्रिटोरिया यूनिवर्सिटी दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ डॉ एड्रियन टोर्डिफ भी लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और फोन के जरिए संपर्क में रहे। ये जानकारी वन विभाग ने जारी किए बयान में दी।
मृत मिली मादा चीता
आपको बता दें की उसकी मौत कब हुई ये पीएम के बाद तय होगा। वन अधिकारियों को वह मृत मिली। लोगों का कहना हैं की लगातार सघन निगरानी का दावा करने वाला वन विभाग आखिर कितना मुस्तैद हैं यह भी समझ से परे जान पड़ता हैं।

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