शिवपुरी। गुलाबों से तुमको सजाया कहा है, अभी मैने फाग मनाया कहां है। यू तो रंगी हु तुम्हारे ही रंग में , मगर मैंने तुमको बताया ही कहां है। उक्त पंक्तियां शहर की नवोदित कवियत्री अंजिली गुप्ता ने जिला पुरातत्व, पर्यटन एवं संस्कृति परिषद द्वारा बेलकम टूरिस्ट सेंटर पर आयोजित मुशायरे व कवि सम्मेलन पढ़ी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी उमराव मरावी, अध्यक्षता नोडल अधिकारी वीरेन्द्र सिंह धाकड़, विशिष्ट अतिथि वन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी मुकेश सिंह, सहायक नोडल अधिकारी सौरभ गौड़, सदस्य अरविंद सिंह तोमर, महेंद्र सिंह राजावत, गिरीश मिश्रा, वृजेश सिंह तोमर, फ़रमान अली, मुकेश आचार्य, उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन आदित्य शिवपुरी ने किया। आभार व्यक्त फरमान अली ने किया।
गौरतलब है कि जिला पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद के अध्यक्ष कलेक्टर रविन्द्र कुमार चौधरी के निर्देशन में पर्यटक स्वागत केंद्र पर कार्यक्रम शुरू किए गए है। कार्यक्रम का शुभारंभ मा सरस्वती के चित्र पर आमंत्रित अतिथियों द्वारा माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता सुकून शिवपुरी व आशुतोष शर्मा ने की। उसके बाद बसन्त श्रीवास्तव ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की। काव्य पाठ करते हुए रामबाबू शर्मा राम पंडित ने लोगों को खूब हसाया। खूबसूरत एक्सीडेंट कविता लोगों को बहुत भाई। जबकि आज के हालात पर करारा व्यंग भी लोगों को रास आया।सुनिए राम पंडित को।
राकेश मिश्रा ने कहा दो पल सुकून यादों की बंदगी है, यहां कौन खुश है अपनी अपनी जिंदगी में। छत्री ट्रस्ट ऑफिसर अशोक मोहिते ने अपने चिर परिचित अंदाज में मुझको गले लगाके मेरी जेब काट ली, मेरी हसीन जिंदगी का सीन देखिए बीबी ने चिढ़ चिढ़कर मेरी जेब काट ली। आशीष पटेरिया ने काव्य पाठ करते हुए कहा कोई सूरत बांकी न रही सुलह की बेहतर है , जंग का ऐलान कर दु। वही अवधेश सक्सेना ने सपना ये कितना अच्छा है मेरी मुट्ठी में दुनिया है। हाथों में सुंदर फूलों की डलिया है। संचालन कर रहे आदित्य शिवपुरी ने कहा मैं खुद को देख लेता हूं इन्ही में यहां हर आंख मेरा आईना है। डॉ संजय शाक्य ने कहा आमजन का सफर कितना दुस्वार है बढ़ते ईंधन की ये मार है। कवि आशुतोष शर्मा ने कहा कि भारत माता के जयकारे पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है देशद्रोहियों सुन लो अपने मुख को बंद करो। जागे है राणा के वंशज वरना उनसे द्वंद करो। वही सुकून शिवपुरी ने होली पर कहा में दो दिन तक प्यासा रह सकता हु।लेकिन मुझको होली खेलने से मत रोको। रंग पानी में घुलने दो मत टोको। उर्वशी गौतम ने काव्य पाठ करते हुए मा तो मा है वो दवा और दुआ करती है। सत्त्तार शिवपुरी ने हास्य व्यंग्य करते हुए कहा अच्छे दिन कब तक आएंगे मोदी जी ये बताए, कोरोना फिर से आ जाए ये भी तो हो सकता है।
इन्होंने भी किया काव्य पाठ
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