शिवपुरी। मध्यप्रदेश का शिवपुरी जिला जो सिन्धिया वंश की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था यहाँ पर 127 वर्षों पूर्व कैलाशवासी श्रीमंत माधवराव सिन्धिया (प्रथम) द्वारा सुसज्जित ढंग से बसावट की गई थी एवं भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के नायक एवं महारानी लक्ष्मीबाई के सेनापति तात्या टोपे एवं आजाद हिन्द फौज के परमवीर योद्धा पद्मविभूषण कर्नल गुरुबक्श सिंह ढिल्लन जैसे वीर योद्धा भी इसी शिवपुरी धरा की देन हैं।
शिवपुरी के इतिहास, संस्कृति एवं पर्यटन 127 वर्ष से यहाँ आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को लुभा रहा है, परन्तु इसका इतिहास पर्यटन की दृष्टि से आज तक पुस्तक के रूप में नहीं लिखा गया, वह (डॉ. नीलकमल माहेश्वरी 'जैसल') लेखक राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इन्टैक द्वारा
विगत 2 वर्षों के कठिन परिश्रम एवं भ्रमण कर लिखा गया हैं। 50 गाँवों का भ्रमण एवं उनमें से 33 गाँवों के इतिहास को मय फोटो के इस पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया और यह पुस्तक आमजन तक आसानी से पहुँच सके इसलिए इसका मूल्य भी मात्र 150/- रुपए रखा।
नीलकमल द्वारा लिखित 96 पृष्ठीय पुस्तक जिसमें शिवपुरी के 35 गाँवों का विस्तृत इतिहास लेखबद्ध किया गया है, जिसमें नरवर पोहरी, करैरा, गोलाकोट, गूडर, कोलारस, पारागढ़, कैलधार, रन्नौद, मगरौनी, ढला, पिछोर, ख्यावदा कलां, सतनवाड़ा, खनियाधाना, धौलागढ़, सुरवाया, सेसई, तेरही, महुआ, राजापुर, झिरी, पचराई, करेउ, बगवासा, गोपालपुर, करसेना, सेवड़ा, बारां, चौरपुरा, अकाझीरी, बलारपुर, हातौद, दिनारा आदि का इतिहास मय फोटोग्राफ्स संक्षिप्त रूप से लिखा गया है।

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