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धमाका बड़ी खबर: बडोदी ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 72 हजार मीट्रिक टन कचरा इकट्ठा, नष्ट करने नपा फूकेगी 3 करोड़ 69 लाख, लोग बोले, इंदौर की तर्ज पर लगाइए बायो सीएनजी प्लांट

बुधवार, 5 अप्रैल 2023

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। कौन कहता हैं की आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो जरा जोर से उछालो यारो....धमाका का मकसद हैं शिवपुरी की सूरत बदलनी चाहिए वो भी स्थाई तौर पर। जी हां, आज हम एक गंभीर विषय को लेकर हाजिर हैं। आप सभी को विदित है और यदि नहीं हैं तो हम आपको बता दें की शहर में बड़ौदी पर सर्किल जेल के ठीक पीछे 4.300 हेक्टेयर में नगर पालिका का ट्रेचिंग ग्राउंड मौजूद हैं। इस जगह शहर से निकलने वाला टनों कचरा वाहनों से यहां सालों से डाला जा रहा हैं और इन दिनों ट्रेचिंग ग्राउंड कचरे से पटा पड़ा है। नपा की माने तो ट्रेंचिंग ग्राउंड पर बीते साल में 72 हजार मीट्रिक टन कचरा इकट्ठा हो गया है। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर कचरा अब ढेरों की बजाय पहाड़ की शक्ल में दिख रहा है। सालों से कचरा डंप पड़ा रहने की वजह से भारी मात्रा में बदबू फैल रही है। अब इस कचरे को खत्म करने के लिए नगर पालिका 3 करोड़ 69 लाख रुपए खर्च करने जा रही है। उसका दावा हैं की पुराना कचरा खत्म होने के बाद हर दिन निकलने वाले कचरे से नगर पालिका को आमदनी हो सकेगी। जब अधिकारियों से पूछा की आमदनी किस तरह तो बोले, अलग-अलग कंपनियां कचरे की प्रोसेसिंग करेंगी। नगर पालिका की प्राथमिकता ट्रेचिंग ग्राउंड से 72 हजार मीट्रिक टन कचरा खत्म कराना है। उसके बाद हर दिन निकलने वाले कचरे की अलग-अलग कंपनियां प्रोसेसिंग कर सकेंगी। इस तरह नगर पालिका को भी आमदनी प्रारंभ हो जाएगी। अतः इस कचरे को खत्म करने के लिए नगर पालिका ने पिछले दिनों टेंडर मांगे हैं। एक सप्ताह बाद टेंडर खोले जाएंगे। इसके बाद कचरा निपटान के लिए ठेका तय होगा।
इनको परेशानी
ट्रेंचिंग ग्राउंड के पश्चिम में सर्किल जेल, उत्तर में बड़ौदी बस्ती और दक्षिण की ओर सीआरपीएफ का सीआईएटी स्कूल संचालित है। बदबू और आग लगने से उठने वाले धुएं से काफी परेशानी आ रही है। जेल प्रबंधन और सीआरपीएफ अधिकारी समस्या को लेकर नगर पालिका से लेकर कलेक्टर तक से लिखित शिकायत कर चुके है। बता दें कि दिसंबर 2022 में ट्रेचिंग ग्राउंड पर करंट लगने से 15 गायों की मौत भी हो चुकी है। जबकि सूअर शूट अभियान के सैकड़ों सूअर भी इसी मैदान में दफन किए जा चुके हैं। आदिवासी बच्चे कचरे से कबाड़ बीनने जाते रहते हैं जिससे उनके स्वास्थ्य को खतरा है।
इसी महीने टेंडर खुल जाएंगे
ट्रेंचिंग ग्राउंड का कचरा खत्म करने के लिए इसी महीने टेंडर खुल जाएंगे। कचरा खत्म होने के बाद नियमित निकलने वाले कचरे की प्रोसेसिंग के लिए मशीनें आदि खरीद रहे हैं। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर कचरा ज्यादा समय तक इकट्ठा नहीं हो सकेगा। 
केशव सिंह सगर, सीएमओ, नगर पालिका,  शिवपुरी
ये तो हुई नपा की बात, लोग बोले कचरे से बनाए इंदौर की तर्ज पर सीएनजी
इधर नगर पालिका ट्रेचिंग ग्राउंड के कचरे को खत्म करने के लिए करोड़ों रुपए फूकने जा रही है जिसे लेकर शहर के जागरूक लोगों का कहना है कि इंदौर की तर्ज पर यहां सीएनजी का प्लांट लगाया जाना चाहिए जिससे पक्की तौर पर आमदनी की शुरुआत हो जाएगी। इंदौर में पहले यही हालात थे लेकिन जबसे प्लांट लगाया गया है तब से ननि को भारी आमदनी हो रही है। आइए आपको बताते हैं कि किस तरह से यह संभव हुआ।
कभी थे कचरे के पहाड़ अब लगा बायो सीएनजी प्लांट
देश की राजधानी नई दिल्ली में कचरा आज भी चुनावी मुद्दा है लेकिन इंदौर ने इसे एक साल पहले ही मीलों पीछे छोड़ दिया है। आपको बता दें कि इंदौर में कभी कचरे के पहाड़ हुआ करते थे।  इंदौर के घरों से हर रोज 500 टन गीला कचरा यानी सब्जी, फल, जूठन को कभी यूं ही फेंक दिया जाता था, पर आज उसी से रोजाना 17 हजार किलो बायो CNG और 100 टन जैविक खाद बन रही है। इस गैस का उपयोग नगर निगम अपनी सिटी बसों को चलाने एवं अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए करता है। हर महीने की कमाई 4 करोड़ रुपए। दावा ये भी हैं की इसी तरह काम चलता रहा तो प्लांट की लागत जल्दी पूरी निकल आएगी। तो है ना बेहतरीन बात! 
पहले जानिए, इस प्लांट को लगाने की जरूरत क्यों पड़ी?
इंदौर ने सफाई में नंबर वन बनने की शुरुआत करीब सात साल पहले की थी। वह लगातार 6 बार देश का नंबर 1 स्वच्छ शहर बना हुआ है। अब सातवें आसमान को छूने की तैयारी है। इसके पहले तक रोजाना घर, दुकानों से निकलने वाली सब्जियां, फलों के छिलके और जूठन के अलावा सूखे कचरे को डंप करने से इंदौर-देवास बायपास पर बड़े-बड़े पहाड़ बन गए थे। सवाल यह उठा कि कचरा तो घर-घर से उठा लिया और इसे इसी तरह फेंकते रहे तो यह पहाड़ कभी खत्म ही नहीं होगा। यहीं से आइडिया आया कि इस कचरे को रिसाइकिल कर लिया जाए तो? फिर तय हुआ कि इससे मिलेगा क्या..।
एक्सपर्ट्स बुलाए गए, और यह तय हुआ
नगर निगम के अलावा सरकार से जुड़े एक्सपर्ट्स ने राय दी कि गीले कचरे से न सिर्फ बॉयो CNG बन सकती है, बल्कि खाद भी तैयार हो जाएगी।
फिर क्या था मिशन की तरह टीमें लगा दी गईं। अंतत: 19 फरवरी 2022 को देवगुराड़िया के पास इस भारी-भरकम प्लांट का उद्घाटन हो गया। आज यहां से 17 हजार किलोग्राम गैस रोजाना बनाकर पंपिंग स्टेशंस आदि को सप्लाई होती है। इससे हर महीने 4 करोड़ रुपए की कमाई हो रही है। दावा है कि 5 से 6 साल में इस प्लांट को बनाने में खर्च किए गए 150 करोड़ रुपए की लागत निकल जाएगी।
शिवपुरी में 39 वार्ड पर 22 गाड़ियां, इंदौर में 600 कचरा संग्रहण गाड़ी
एक तरफ शिवपुरी की बात करें तो परिषद बनती हैं। अध्यक्ष बनते हटते हैं लेकिन हालत वही रहते हैं। अब देखिए नगर में वार्ड 39 हैं लेकिन वाहन कचरा लेने के लिए सिर्फ 22, पूरे 39 तक नहीं जबकि इंदौर नगर निगम करीब 600 कचरा गाड़ियां शहर में चला रहा है। इनसे घर-घर जाकर गीला, सूखा कचरा, बॉयो मेडिकल वेस्ट आदि अलग-अलग लिया जाता है। यहां से नगर निगम के 10 सब स्टेशनों पर अलग-अलग डंप कर दिया जाता है। यहां से बड़ी गाड़ियों में गीला कचरा लेकर बॉयो CNG प्लांट पर पहुंचाया जाता है। सभी गाड़ियों का कचरा एक जगह इकट्ठा कर दिया जाता है। अब शिवपुरी की बात करें तो नपा को पीपीपी मोड पर इंदौर की ही कंपनी को नगर सफाई का ठेका दे देना चाहिए। 
चार हजार महीने वाली फोज से केसे साफ होगा शिवपुरी!
आपको बता दें की नपा ने कोई हजार से अधिक कर्मचारियों का अमला हैं लेकिन उनका वेतन मात्र चार हजार महीने हैं जिनसे नगर को नंबर एक लाने की उम्मीद की जाती हैं। भला कहिए की बेचारे पेट नहीं भरने वाले वेतन मिलने पर भी नगर को साफ रखने की कोशिश तो करते हैं। 




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