जयपुर। बीते रोज जामडोली के केशव विद्यापीठ में तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेवा संगम का आयोजन किया गया। जिसमें शिवपुरी सेवा भारती के पदाधिकारी शामिल हुए। जयपुर सेवा संगम में शिवपुरी मध्य प्रदेश से सेवा भारती के श्री गोपाल जी सिंघल, श्री ओम बंसल, श्री पंकज गर्ग, श्री मुकेश कर्ण, श्रीमती शर्मिला बंसल शामिल हुए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. मोहनराव भागवत सरसंघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मुख्य अतिथि अजय पीरामल अध्यक्ष, पीरामल उद्योग समूह, मुंबई, थे जबकि महामण्डलेश्वर श्री उमेशनाथ महाराज वाल्मिकी आश्रम, उज्जैन ने आशीर्वचन दिया। कार्यक्रम का उद्देश्य देश भर में हजारों स्वयंसेवी संस्थाएं समाज में व्याप्त असमानता को दूर करने और वंचित, उपेक्षित, पीड़ित, अभावग्रस्त जान समुदाय के जीवन को क्षुधा मुक्त, रोग मुक्त, व्यसन मुक्तकर, "शिक्षित, स्वावलंबी एवं संस्कारयुक्त समरस समाज का निर्माण करने में कार्यरत हैं।
इन संस्थाओं के सशक्तिकरण हेतु राष्ट्रीय सेवा भारती एक छत्र संस्था (Umbrella Organization) के रूप में कार्य कर रही है। जिसके अंतर्गत लगभग 1000 स्वयंसेवी संस्थायें सलंगित हैं। इन संस्थाओं के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़े और सभी मिलकर समाज के इस पुनीत कार्य में आगे बढ़े, इस दृष्टिकोण से सभी संस्थाओं का जागरण कर राष्ट्रीय सेवा संगम में राष्ट्रीय मंच पर एकत्रित किया जाता है। प्रथम राष्ट्रीय सेवा संगम का आयोजन 2010 में बेंगलुरु तथा द्वितीय राष्ट्रीय सेवा संगम का आयोजन 2015 में नई दिल्ली में किया गया। इसी क्रम में तृतीय राष्ट्रीय सेवा संगम का आयोजन 7, 8 एवं 9 अप्रैल 2023 को जामडोली, जयपुर में किया गया।इस आयोजन के उद्घाटन के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने सेवा कार्यों के आधार पर भारत को विश्वगुरु बनने का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने उपस्थित स्वयंसेवकों और समाज के विभिन्न वर्गों से कहा कि अपनी सेवा को सर्वव्यापी बनाएं। सेवा के द्वारा सबको अपने जैसा बनाना हमारा परम उद्देश्य होना चाहिए। इससे समाज का हर भाग स्वावलवी होगा और देश में कोई पिछड़ा अथवा दुर्बल नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना से ही स्वयंसेवक सेवा कर रहे हैं। सेवा की मानसिकता सब में होती है, बस उसे जगाना पड़ता है। हम प्रयास कर रहे हैं कि सेवा के माध्यम से आवस्थ हो जाए। इससे पहले हमें स्वस्थ होना पड़ेगा। हमारे समाज में यदि कोई पीछे है तो यह हमारे लिए अच्छी बात नहीं है। सबको समान और अपने जैसा मानकर ही समाज को आगे बढ़ा सकते हैं। कमजोरी पशुओं में भी होती है और अक्सर यह परिलक्षित भी होता है, लेकिन संवेदना में कृति का भाव केवल मनुष्य तक ही सीमित है। उन्होंने कहा कि यह कृति ही करुणा है। सी-20 ग्रुप की बैठक का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संघ में भी करुणा को आधार बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कभी-कभी सेवा के बाद अहंकार आना स्वाभाविक है, लेकिन यदि सेवाभाव निरंतर बना रहता है तो अहंकार स्वतः समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि देश में सबसे ज्यादा सेवा कार्य संत समाज कर रहा हैं। हमें सेवा भाव से समाज के हर अंग को सबल और पूरे विश्व को कुटुंब बनाना है। ऐसा तभी संभव है, जब सेवा का कार्यसमाजव्यापी अभियान बन जाए। हमें ऐसा प्रयास करना है। उन्होंने कहा कि लोग अपनी चुनौतियों को और समस्याओं को समाप्त कर संपूर्ण विश्व के लिए भक्ति, ज्ञान और कर्म का उदाहरण प्रस्तुत करें। साथ ही सेक करने वाली सज्जन शक्ति एक समूह बनकर परस्पर मिलकर चले। इससे हम अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। सेवा भारती द्वारा इस अवसर पर विशाल प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया जिसमें हाथ से निर्मित एवं गो से निर्मित तमाम तरह के उत्पादों का विशाल प्रदर्शन के माध्यम से प्रदर्शन किया गया।

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