शिवपुरी। मंत्री श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया ने बीते रोज कलेक्ट्रेट कार्यालय में नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा को प्राचीन ऐतिहासिक सिद्धेश्वर मेला भव्य रूप में लगाने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा हैं की मेला आकर्षक ढंग से आधुनिक तरीके से लगाया जावे यह तो ठीक लेकिन नपा की जानकारी में होने के बावजूद मेला रंगमंच पर अवैध रूप से रेत, गिट्टी, बजरी, ईट फड़ वालों का कब्जा है। पूर्व में शिवपुरी का ऐतिहासिक मेला दूर-दूर तक प्रसिद्ध था जैसे-जैसे जनता बढ़ती जा रही है शिवपुरी का मेला इन कब्जाधारियों के कारण छोटा होता जा रहा है। दो बत्ती चौराहा शिवपुरी में अवैध वाहनों का प्रवेश द्वार बन चुका है जिसके द्वारा दिन भर अवैध ट्रक ट्रॉली ट्रैक्टर शहर में प्रवेश करते हैं जिन पर कोई कार्यवाही नहीं होती है। यदि शिवपुरी के मेले को भव्य रूप में लगाना है तो उन अवैध फड़ वालों को हटाकर बड़े मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम कर पार्किंग की अच्छी व्यवस्था कर वृहद रूप में मेले को लगाया जाए जिससे मेले का प्राचीन स्वरूप लौट सके।
कई समाज करते हैं यहीं पर आयोजन
ज्ञात हो इस जमीन पर जैन समाज अपना वसंत पंचमी का कार्यक्रम करता है। वही हिंदू समाज का प्राचीन बाबा गोरखनाथ मंदिर जाने का रास्ता भी यहीं से है। इसलिए प्रशासन को ठोस कदम उठाकर अवैध गतिविधियों पर रोक लगाना चाहिए।
रेत, गिट्टी बाजार यहीं नहीं जाधव सागर से भी हो शिफ्ट
नगर के लोगों ने रेत, गिट्टी, ईट के फड़ों को सिद्धेश्वर मेला रंगमंच के पास से ही नहीं बल्कि जाधव सागर से भी हटाए जाने की मांग की हैं। जिससे मुक्तिधाम के रास्ते पर गिट्टी से आम जन को परेशानी से निजात मिल सके।
सिद्धेश्वर मंदिर बाउंड्री के बाहर रोज जलाया जाता है कचरा
जनता गन्ना रस भंडार सिद्धेश्वर मंदिर के सामने स्थित सिद्धेश्वर ट्रस्ट धर्मशाला मैं संचालित जनता रस भंडार द्वारा गन्ने के ठूठ रस निकालकर रात के अंधेरे में रोज जलाए जाते हैं शहर के अधिकांश रस वाले ठूठ इसी प्रकार जलाकर खत्म करते हैं नगर पालिका को इस ओर ध्यान देना चाहिए।पूर्व सीएमओ अवस्थी की सुझबुझ से लाखों में उठा मेले का ठेका
बता दें की श्री सिद्धेश्वर बाणगंगा मेला एक समय फायदे का सौदा था लेकिन बीते कुछ सालों में नपा खुद के खर्चे पर मेला आयोजित करती थी। लेकिन बीते साल पूर्व सीएमओ शैलेश अवस्थी की दूरदर्शिता के चलते इस बार मेला चालीस लाख से ऊपर ठेके पर गया हैं। उन्होंने पांच अवैध कॉलोनियों पर दंड अधिरोपित कर नियमानुसार डेढ़ करोड़ का राजस्व जमा करवाया। इतना ही नहीं बिजली कंपनी से नपा को थमाए गए बिल की राशि भी कम करवाई। उसी का परिणाम हैं की खंडों पर खड़ी नपा आज नगर की सड़कें डलवा रही हैं। इतना ही नहीं उन्होंने चोर किस्म के ठेकेदारों के बहीखाते भी नपा से समेट डाले थे। हालाकि अब पछताय होत का जब चिड़िया चुग गई खेत।



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