फ्लैश बैक, जानिए क्या था मामला
बात 21 मई 2015 की हैं जब एक युवती को पुलिस ने मोबाईल चोरी के मामले में हिरासत में लिया था। इस मामले में पुलिस ने युवती के खिलाफ मोबाईल चोरी का मुकदमा दर्ज किया था। लेकिन इस केस को लेकर खलबली तब मची जब उसी युवती ने माननीय न्यायालय में एक प्रायवेट इस्तिगासा लगा दिया। उसने बताया कि वह नाबालिग है और बीते 21 मई 2015 को मोबाईल खरीदने सचिन बनिया निवासी भौंती की दुकान पर गई थी। मोबाईल पसंद आने पर उसने कीमत पूछी तो सचिन ने कहा कि मोबाईल पसंद कर ले, रख ले और दुकान की शटर के अंदर आ जा। उक्त बात का विरोध करने पर दुकान पर बैठे अन्य साथी भानू पुलिस वाला, सोनू एवं दुर्गेश बनिया ने जबरदस्ती उसे शटर के भीतर पटककर उसके साथ गैंगरेप किया। केप सिंह ने चिल्लाने की आवाज सुनकर शटर खुलवाई तब उसने केप सिंह को पूरी घटना बताई। वह इस मामले की शिकायत करने भौंती थाने गई परंतु भौंती थाना पुलिस ने इस मामले में किशोरी की रिपोर्ट नहीं लिखी। जिसके चलते उसने इस मामले में कोर्ट में प्रायवेट इस्तिगासा लगाया।
इस मामले में माननीय न्यायालय ने तत्समय आरोपीयो भौंती थाने में पदस्थ आरक्षक भानू रावत, उसके साथी सोनू, दुर्गेश और सचिन बनिया के खिलाफ गैंगरेप सहित पास्को एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज कर आरोपीयों को गिरफ्तार करने के आदेश दिए। जिसके चलते पुलिस ने चारों आरोपीयों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। जहां से माननीय न्यायायल ने चारों आरोपीयों को जेल भेज दिया। गौर तलब हैं की चारों आरोपियों को सर्किल जेल शिवपुरी में तीन महीने बंद तक रहना पड़ा था।
बाद में केस की सुनवाई शुरू हुई तो इसी मामले में माननीय न्यायालय ने जब किशोरी से जन्म प्रमाण पत्र के रूप में मार्कशीट मांगी तो मार्कशीट में वह बालिग पाई गई। साथ ही जब उसका और आरोपीयों का डीएनए कराया गया तो वह डीएनए भी मैच नहीं हुआ। जिसके चलते माननीय न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई करते हुए पुलिसकर्मी भानू रावत (अब वर्तमान में ग्वालियर में पदस्थ है) सहित उसके तीनों साथियों को बाइज्जत बरी करते हुए युवती को झूठे तत्य प्रस्तुत करने को लेकर कार्यवाही के लिए आदेशित किया है। इस मामले में आरोपियों की तरफ से पैरवी अधिवक्ता शैलेन्द्र समाधिया और आशीष श्रीवास्तव ने की थी।

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