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धमाका ग्रेट: विश्व होम्योपैथी दिवस, होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है: डॉ. संजय शर्मा

मंगलवार, 11 अप्रैल 2023

/ by Vipin Shukla Mama
विश्व होम्योपैथी दिवस पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथिक फिजिशियन इकाई शिवपुरी द्वारा किया चिकित्सकों का सम्मान
पीड़ित मानवता की सेवा का भाव रखकर सेवा करे चिकित्सक डॉ.के के शर्मा
शिवपुरी। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ होम्योपैथिक फिजीशियन  जिला इकाई शिवपुरी द्वारा विश्व होम्योपैथी दिवस पर होम्योपैथी के जनक डॉक्टर सैमुअल हैनीमैन जी की जयंती का कार्यक्रम रखा गया जिसमें जिले भर से होम्योपैथिक चिकित्सकों को आमंत्रित कर डॉ हैनिमन के जीवन पर प्रकाश डाला गया एवं होम्योपैथी के विषय पर संवाद किया गया इस अवसर पर मुख्य रूप से शहर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर के के शर्मा एवं शहर के ख्यातिनाम होम्योपैथिक चिकित्सक डॉक्टर संजय शर्मा जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ ।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉक्टर सैमुअल हैनिमैन जी के चित्र पर पुष्पांजलि माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। आईआईएचपी जिला अध्यक्ष डॉ गोपाल दंडोतिया जी ने जानकारी देते हुए बताया कि होम्योपैथी की शुरुआत 1796 में डॉक्टर सैमुअल हैनीमैन द्वारा जर्मनी में की गई थी विश्व के कई देशों में इसका उपयोग होता है लेकिन भारत अग्रणी है यह एलोपैथी एवं आयुर्वेद की तरह एक चिकित्सा सुविधा देती है यह काफी सस्ती है लेकिन इसमें 80% मरीज जब आते हैं जब वह एलोपैथी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति आजमा चुके होते हैं इसके बावजूद भी होम्योपैथी कारगर सिद्ध होती है।
होम्योपैथिक चिकित्सा सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है इसकी आदत नहीं पड़ती
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉक्टर संजय शर्मा ने कहा कि होम्योपैथिक चिकित्सा सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है इसकी आदत नहीं पड़ती है यह गर्भवती, स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बच्चों एवं वृद्ध जनों के लिए सुरक्षित है यह डायबिटीज में भी ले सकते हैं यह इस विश्वास पर चलती है कि मरीज खुद को ठीक कर सकता है हर व्यक्ति के अंदर एक जीवनी शक्ति होती है जिसे वाइटल फोर्स कहते हैं और उस जीवनी शक्ति के ठीक रहने से रोग स्वत समाप्त हो जाते हैं।
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ केके शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक चिकित्सक को अपने पेशे के साथ पीड़ित मानवता की सेवा का भाव लेकर कार्य करना चाहिए चिकित्सक को ईश्वर के बाद सबसे अधिक सम्मान समाज प्रदान करता है और हमें अपने पेशे के साथ हमेशा सेवा भाव रखना चाहिए।
आयुर्वेद की तरह है तीन मियाज्म-डॉ राकेश
आईआईएचपी के जिला उपाध्यक्ष डॉ राकेश राठौर ने बताया कि आयुर्वेद की तरह है तीन मियाज्म होते है। आयुर्वेद पद्धति में विमारी के कारण त्रिदोष बताए गए हैं इसी तरह होम्योपैथी में भी तीन मियाज्म  सोरा, सिफलिस एवं साइकोसिस को बताया गया है डॉक्टर हैनीमैन ने अपनी पुस्तक क्रॉनिक डिजीज में लिखा है कि कुछ लोगों या परिवारों में उनकी बीमारी का मूल होता है जो इलाज के बाद भी वीमारी को ठीक होने से रोकता है या वीमारी की प्रव्रत्ति में वृद्धि करता है जब तक इसकी जड़ को ठीक नहीं किया जाता इस बीमारी को नहीं हटाया जा सकता है होम्योपैथी में बीमारी को जड़ से ठीक किया जाता है इसलिए इलाज लंबा चलता है।
दुष्प्रभाव रहित है होम्योपैथी की चिकित्सा पद्धति-नृपेंद्र
आईआईएचपी के जिला सचिव डॉ नरेंद्र रघुवंशी ने जानकारी देते हुए बताया कि होम्योपैथी की चिकित्सा पद्धति में किसी भी तरह के दुष्परिणाम नहीं आते हैं कभी कभी मेडिसिनल या डिजीज एग्रवेशन हो जाता है जो एक निर्धारित समय या निर्धारित मात्रा की खुराक देने पर ठीक हो जाता है मरीज को इसमें घबराने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए यह भ्रांति है कि होम्योपैथी पहले पहले रोक को बढ़ाती है। इस अवसर पर अखिल भारतीय चिकित्सा संघ के अध्यक्ष डॉक्टर के के शर्मा वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉक्टर संजय शर्मा जी के साथ आईआईएचपी जिला इकाई शिवपुरी के अध्यक्ष डॉ गोपाल दंडोतिया उपाध्यक्ष डॉ राकेश राठौर सचिव डॉक्टर नृपेंद्र रघुवंशी सह सचिव डॉ धर्मेंद्र दीक्षित कोषाध्यक्ष डॉक्टर राम कुमार गुप्ता सीएमई सचिव डॉ अभिषेक द्विवेदी महिला प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ वर्षा दीक्षित एवं डॉ संध्या गुप्ता सक्रिय सदस्य डॉ वीरेंद्र सिंह वर्मा एवं  डॉ हेमंत गौतम डॉक्टर मनोज पिप्पल डॉक्टर इरफान खान डॉक्टर आदित्य गुप्ता डॉ दिलीप मुद्गल डॉक्टर नीरज सुमन डॉ सुनील लखेरा डॉक्टर नितेश श्रीवास्तव डॉ मनीष जैन आदि होम्योपैथिक चिकित्सक एकत्रित हुए।











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