हम महिलाओं की स्वास्थ्य सेवा के लिए स्वयं कदम उठाएं और उन्हें शिक्षित करें। रवि गोयल सामाजिक कार्यकर्ता
शिवपुरी। 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस पर के रूप में मनाया जाता है। जिसका मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को उनके स्वास्थ्य संबंधी देखभाल और मातृत्व सुविधाओं के विषय में जागरूक करना है। साथ ही, महिलाओं में एनीमिया (शरीर में खून की कमी) को कम करने, प्रसव संबंधी देखभाल के लिए भी ध्यान केंद्रित करना है। दरअसल, भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी में महिलाएं खुद का ध्यान नहीं रख पा रही हैं और वे भूल जाती हैं कि इसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ बच्चे पर पड़ता है। जो महिलाएं अविवाहित हैं उन्हें भविष्य में इसका हर्जाना भुगतना पड़ता है। जल्दबाजी में आप जिन चीजों को अभी नजरअंदाज कर रही हैं वो भविष्य में बड़ी गलती साबित हो सकती है। आज राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस पर शक्ती शाली महिला संगठन द्वारा ब्रिटानिया न्यूट्रीशन फाउंडेशन के साथ एवम स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर ग्राम मामोनी खुर्द में आधा सैकड़ा महिलाओ को प्रेगनेंसी के दौरान किन चीजों का विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके बारे में रवि गोयल एवम आशा कार्यकर्त्ता सरोज कुशवाहा ने जागरूक किया। हर साल राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के लिए एक विशेष थीम का चुनाव करता है। उस थीम का उद्देश्य महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर चल रहे चिंता के विषय में लोगों को जागरूक करना है, पूरे देश में जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। इस साल की थीम 'माओं के लिए दाईमा' है।
इन अभियानों का अहम लक्ष्य है कि प्रत्येक महिला को जीने का अधिकार हो और वे गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जीवित रह सकें। साथ ही, ये अभियान बाल विवाह की रोकथाम के लिए जागरूकता भी बढ़ाता है क्योंकि बाल विवाह मातृ मृत्यु का एक बड़ा कारण है। वास्तव में, भारत सरकार मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रयास कर रही है, लेकिन हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि, यह हमारा कर्तव्य है कि हम महिलाओं की स्वास्थ्य सेवा के लिए स्वयं कदम उठाएं और उन्हें शिक्षित करें। सरोज ने कहा की राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस पर हुई बातचीत में महिलाओं के स्वास्थ संबंधी, प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली समस्याओं, बांझपन से संबंधित कई खास बातें हुईं। साथ ही, महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के जुड़े बड़े कारण भी बताए हैं, सबसे पहले हर गर्भवती महिला को 'रूटीन डॉक्टर विजिट' का खास ध्यान रखना चाहिए। दूसरा, सही खानपान और लाइफस्टाइल होगा तभी बच्चा स्वस्थ होगा। तीसरा, डॉक्टर द्वारा बताई गयी आवश्यक जांच को बेकार न समझें क्योंकि ये गलतियां मैटरनल डेथ का कारण बन सकती हैं, सभी टेस्ट एक गर्भवती महिला के लिए जरुरी हैं जिससे उसके स्वास्थ्य में होने वाली कमी का पता चलता है।
-आजकल की कामकाजी महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी विषय में सुपोषण सखी नर्मदा कहती हैं कि, सबसे जरुरी है काम और घर के बीच संतुलन बनाना। इसमें कोई शक नहीं है कि महिलाओं के जीवन में जिम्मेदारियां अधिक हैं। ऐसे में खुद का ध्यान रखना थोड़ा मुश्किल जरूर है। परिवार और ऑफिस का सपोर्ट भी महिलाओं के लिए आवश्यक है। आज के समय में ऑफिस की नाईट शिफ्ट, देर तक सिर्फ काम, देर से शादी और देर से फैमिली प्लानिंग महिलाओं के लिए चुनौती बनता जा रहा है। -इस साल राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस की थीम' के विषय में नर्मदा कहती है कि यानी गर्भवती महिला का ध्यान देने के लिए किसी का साथ होना बेहद जरुरी है। आजकल डॉक्टर्स भी नर्सों को देखभाल करने की खास ट्रेनिंग देते हैं। सिर्फ 9 महीने ही नहीं बल्कि उसके बाद भी कुछ दिनों तक महिला को साथ रहने वाले जिम्मेदार व्यक्ति की जरुरत होती है जो उसकी भावनाओं को समझ सके और उसका जिम्मेदारी के साथ ध्यान दे सके। - बढ़ती मातृ मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण बाल विवाह पर रवि गोयल कहते हैं कि, अक्सर बाल विवाह जैसे मामले सुदूर गांवों के होते हैं और महिलाओं के स्वास्थ पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता, जिससे मेटरनल डेथ होती है। साथ ही, रूटीन चेकअप में देरी, बड़ी उम्र में महिलाओं की शादी भी इसकी वजह है।
प्रेगनेंसी में भूलकर ना करें ये गलतियां
-गर्भवती महिलाओं को या तो कॉफी पीना छोड़ने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे उनके बच्चे बेचैन और चिड़चिड़े होने लगते हैं।
-प्रेग्नेंसी के दौरान ऊंची हील्स नहीं पहननी चाहिए। जब आपका पेट बढ़ता है तो सेंटर ऑफ ग्रैविटी भी बदल जाता है। इस वजह से आपको अपने पैरों पर खड़े होने में दिक्कत आती है।
-पेट या कमर में दर्द हॉट बाथ या सिकाई ना करें। बढ़े तापमान की वजह से पहली तिमाही के दौरान बर्थ डिफेक्ट की समस्या आ सकती है। प्रोगाम में शक्ती शाली महिला संगठन की पूरी टीम , आशा कार्यकर्ता के साथ आधा सैकड़ा महिलाएं उपस्थित थी।

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