शिवपुरी/दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में यूं तो अनेक माहिर एडवोकेट हैं, लेकिन कम उम्र में MP के शिवपुरी जैसे छोटे शहर से दिल्ली जाकर वकालात में अपने पैर जमाना छोटी बात नहीं थी। इसके लिए आपके आत्मविश्वास के साथ कुछ ऐसी पारियां खेलनी आवश्यक थीं जो आपको लंबी फेहरिस्त में सबसे आगे लाकर खड़ा कर सकें। शायद शिवपुरी निवासी देश के ख्यातिनाम कवि डॉ रामकुमार चतुर्वेदी चंचल के पोते और कामना सक्सेना जी के काबिल बेटे एडवोकेट निपुण सक्सेना ने ये ठान रखा हैं, तभी तो वे देश के उन चुनिंदा विषय पर बेबाकी से कानून का पक्ष रखते नहीं थकते जो उनकी उम्र के साथियों के लिए हो सकता हैं महज सोचने भर की बात हो। निपुण ने देश भर में चर्चित निर्भया कांड में पैरवी कर सुर्खियां बटोरीं या फिर बिटकॉइन का केस हो या देश भर की बेटियों, महिलाओं को एक छत के नीचे न्याय दिलाने के लिए वन स्टॉप सेंटर की स्थापना का आदेश करवाना। इन सब विषयों ने निपुण को कम उम्र के काबिल एडवोकेट की ख्याति दिला दी हैं। हमारे धमाका पाठक निपुण का गुणगान कई बार पढ़ चुके हैं, लेकिन इस बार फिर आपको उनसे रूबरू करवाने की वजह हैं देश भर में चर्चित विशेष विवाह अधिनियम 1954. जी हां एडवोकेट निपुण को दिप्रिंट द्वारा विशेष विवाह अधिनियम 1954 की बारीकियों पर बोलने के लिए आमंत्रित किया जाना।
ये कहना हैं निपुण जी का
विशेष विवाह अधिनियम 1954, जो कानून का एक अन्यथा बहुत विवादित टुकड़ा नहीं था, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित समान लिंग विवाह चुनौती में गहन जांच के दायरे में आ गया है। दिलचस्प बात यह है कि इस कानून में क्या शामिल है, इस पर ज्यादा आधार नहीं दिया गया है। चूंकि समान लिंग विवाह के मुद्दे पर पहले ही बहुत कुछ बोला जा चुका है, इसलिए मुझे दिप्रिंट द्वारा विशेष विवाह अधिनियम 1954 की बारीकियों पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था. जाति, पंथ, धर्म और राष्ट्रीयता के प्रतिबंधों से परे जाने के इच्छुक लोगों के लिए एक वैकल्पिक कानूनी व्यवस्था प्रदान करने वाले कानून पर बोलने के लिए मुझे आमंत्रित करने के लिए अपूर्व मंधानी और भद्रा सिन्हा का धन्यवाद।
The Special Marriage Act 1954 which was an otherwise not very debated piece of legislation has come under intense scrutiny in the Same Sex Marriage Challenge pending before the Supreme Court of India.
Interestingly not much ground was covered on what this legislation entails. Since much has been spoken already on the Same Sex Marriage issue, I was invited to speak on the nuances of the Special Marriage Act 1954 itself by ThePrint
Thank you Apoorva Mandhani and Bhadra Sinha for inviting me to speak on a legislation which affords an alternative legal regime to those willing to go beyond the restrictions of caste, creed, religion and nationality.

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