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विश्व माहवारी एवम स्वच्छता प्रबंधन दिवस पर संवाद कार्यक्रम संपन्न

रविवार, 28 मई 2023

/ by Vipin Shukla Mama
आदर्श नगर कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शिवपुरी में हुआ आयोजन
* पीरियड्स के दौरान हाइजीन का रखें विशेष ध्यान, संक्रमण और बीमारियों से बचाने में मददगार हैं अतुल त्रिवेदी संभागीय समन्वयक स्वच्छ भारत मिशन
शिवपुरी। मासिक धर्म यानी पीरियड्स मातृत्व क्षमता का सूचक है। महिलाओं के शरीर में हर महीने होने वाली यह प्राकृतिक क्रिया इस बात का सूचक है कि आप मां बनने के योग्य हैं। हालांकि समाज में पीरियड्स को लेकर फैले मिथ्य और भ्रम के चलते मेंसुरेशन हाइजीन एक बड़ा गंभीर विषय रहा है। अतुल त्रिवेदी के मुताबिक मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है, इसमें बरती जाने वाली किसी भी तरह की लापरवाही आपके लिए समस्याएं बढ़ा सकती है। इसी बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 28 मई को विश्व माहवारी स्वच्छता प्रबंधन दिवस मनाया जाता है। इस साल का थीम है-  '2030 तक मासिक धर्म को जीवन का एक सामान्य फैक्ट बनाना । अधिक जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने कहा कि शक्ति शाली महिला संगठन एवम जिला प्रशासन  के द्वारा संयुक्त रूप से माहवारी स्वच्छता प्रबंधन विषय पर संवाद कार्यक्रम आयोजित किया। साथ ही रेड डॉट कैंपेन जिसमे की मासिक धर्म पर चुप्पी तोड़े एवम इस पर चर्चा हो । प्रोग्राम में मुख्य रूप से अतुल त्रिवेदी ने बताया की माहवारी स्वच्छता प्रबंधन को अभी भी कई सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है जो मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के मार्ग में एक बड़ी बाधा हैं। देश के कई हिस्सों में खासकर ग्रामीण इलाकों में लड़कियों को माहवारी के बारे में जानकारी नहीं है इसलिए उन्हें घर, स्कूल और कार्यस्थल पर कई मुश्किलों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। किशोरियों और महिलाओं को मासिक धर्म के समय व्यक्तिगत स्वच्छता की अनदेखी के कारण होने वाले प्रजनन पथ के संक्रमण के बारे में बहुत कम या कोई जानकारी नहीं होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाओं की सैनिटरी उत्पादों तक पहुंच नहीं है या वे उनके उपयोग के प्रकारों और तरीकों के बारे में बहुत कम जानती हैं या उच्च लागत के कारण ऐसे उत्पादों को वहन करने में असमर्थ हैं,माहवारी स्वच्छता को लेकर महिलाओं और किशोरियों की अज्ञानता, गलत धारणाएं, असुरक्षित प्रथाएं और अशिक्षा कई समस्याओं की जड़ है। इसलिए, स्कूली स्तर पर किशोरों को सुरक्षित और स्वच्छ व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित करने की बहुत आवश्यकता है। लड़कियों और महिलाओं को उपयोग किए गए मासिक धर्म उत्पादों को खुले में फेंकने या शौचालय में फ्लश करने के परिणामों के बारे में जागरूक होना चाहिए। शौचालयों में उचित ढक्कन वाले कूड़ेदान रखे जाने चाहिए। यदि संभव हो तो घरों, स्कूलों और सामुदायिक स्तरों पर भस्मक स्थापित किए जाने चाहिए। प्रोग्राम में स्कूल की अध्यापिका श्रीमति हेमलाता चौधरी ने कहा की  बचपन से ही मासिक धर्म से जुड़ी सही जानकारी और इससे संबंधित स्वच्छता के उपायों के बारे में लोगों को बताना बहुत आवश्यक है। स्वच्छता का ध्यान न रखने के कारण जननांगों मेंखुजली-जलन, मूत्र पथ का संक्रमण (यूटीआई) और गंभीर स्थितियों में किडनी की समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है। इन सब समस्याओं से बचाव के लिए कुछ सामान्य सी बातों का ध्यान रखना आपके लिए मददगार हो सकता है। आइए आज से हम इस पर अपनी चुप्पी तोड़े और खुल कर इसका समर्थन करे। स्कूल के वरिष्ठ खेल प्रशिक्षक पाल सर ने 
कहा कि मासिक धर्म के दौरान शरीर से गंदा रक्त निकलता है जिसे सैनिटरी नैपकिन अवशोषित करती रहती है। इस दौरान शरीर कई प्रकार के संक्रमण के प्रति अति संवेदशील हो जाता है। ऐसे में ज्यादा देर तक एक ही पैड के इस्तेमाल से जननांगों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इन दिक्कतों से बचे रहने के लिए  सैनिटरी नैपकिन को समय-समय पर बदलते रहें।  प्रोग्राम में  महिला सामाजिक कार्यकर्त्ता  श्रृद्धा ने कहा  की मासिक धर्म के दौरान जननांगों की साफ-सफाई बहुत आवश्यक हो जाती है, ऐसा करके आप संक्रमण के जोखिम को कम कर सकती हैं। सैनिटरी नैपकिन को हटाने के बाद भी बैक्टीरिया शरीर से चिपके रह सकते हैं। ज्यादातर लोग कैमिकल युक्त उत्पादों को जननांगों की साफ-सफाई के लिए प्रयोग में लाते रहते हैं, हालांकि इसे विशेषज्ञ सही तरीका नहीं मानते हैं। हर बार साफ पानी से अच्छी तरह से जननांगों की साफ-सफाई करें। हर बार पैड के इस्तेमाल के बाद इसे सही तरीके से डिस्पोज करना आवश्यक होता है। सैनिटरी नैपकिन को अच्छी तरह से कागज में लपेटकर ही कूड़ेदान में डालें और फिर हाथों को साफ करना न भूलें। उपयोग किए गए सैनिटरी नैपकिन को खुले में फेंकने से कीटाणुओं और बीमारियों के फैलने का खतरा हो सकता है। नैपकिन्स को टॉयलेट में फ्लश न करें। रवि गोयल  के मुताबिक मासिक धर्म के दौरान आपका पीएच लेवल भी बढ़ सकता है, इसे कंट्रोल में रखने के लिए समय-समय पर पानी पीते रहना बहुत आवश्यक माना जाता है। पानी पीते रहने से संक्रमण के खतरे को भी कम किया जासकता है, साथ ही यह आपको डिहाइड्रेशन से भी बचाता है।  प्रोगाम में आधा सैकड़ा स्कूल के छात्र एवम छात्राए के साथ स्कूल का स्टाफ एवम शक्ति शाली महिला संगठन की पूरी टीम ने सक्रीय सहभागिता की।

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