शिवपुरी। ए यार सुन यारी तेरी मुझे जिंदगी से भी प्यारी हैं.....ये एक अकेला नहीं बल्कि हजारों गाने, दोस्ती के सैकड़ों लाखों किस्से यूंही नहीं बने। लोगों ने दोस्ती की मिसाल पेश की हैं जिनको आपने हमने देखा और तराने बन गए। आज धमाका डिफरेंट कुछ ऐसी ही दोस्ती की दास्तान लेकर हाजिर हैं जिसमें किशोर से बालिग होने तक रात दिन साथ रहने वाले दो दोस्त जुदा हो जाते हैं। क्योंकि एक दोस्त को आर्मी में चयन के बाद देश सेवा के लिए जाना पड़ता हैं। लेकिन दोस्ती कम नहीं होती। दूरी के बावजूद ये दोस्ती आज कई सालों बाद भी उसी तरह तरो ताजा हैं जैसी कल थी। लेकिन आज खुशी का वो पल सामने हैं जब नगर के व्यवसाई देवेंद्र शर्मा लल्लू भईया अपने आर्मी से सेवा निवृत होकर घर लौट रहे मित्र बाल सखा भगवान सिंह धाकड़ का स्वागत जोरदार ढंग से करने की तयारी में जुटे हैं। धमाका उनकी दोस्ती सदियों सदियों तक इसी तरह चलते रहने की दुआ करता हैं।
देवेंद्र के दिल के जज्बात पढ़िए अपने दोस्त के नाम
जय माई की। मेरे बचपन का मित्र भगवान सिंह धाकड, जब वो देश की सेवा का जज्बा लेकर गया था तब हम लोगो की उम्र थी मात्र 18 साल। भगवान ने अपनी जवानी के 22 वर्ष देश की सेवा, भारत माता की रक्षा में लगा दिए और आज 41 वर्ष का होकर मेरा दोस्त अपने घर 2 जून को वापस आ रहा है। इसने 22 वर्षों में भारत माता की रक्षा करते हुए मौत को ना जाने कितनी बार नज़दीक से देखा लेकिन माई महाराज ने हमेशा उसकी रक्षा की। मुझे गर्व होता है अपने आप पर की में उसका मित्र हूँ। जय जवान, जय किसान, भैया भैया।
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