शिवपुरी। आक्रामकता के शिकार मासूम बच्चों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 4 जून को मनाया जाता हैं। जो उस दर्द को स्वीकार करता है जिसे दुनिया भर के बच्चे झेलते हैं। इनमें से कई बच्चे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण के शिकार हैं। यह एक ऐसा दिन भी है जब संयुक्त राष्ट्र बच्चों के अधिकारों की रक्षा के अपने कर्तव्य की पुष्टि करता है। ये कहना हैं शक्ती शाली महिला संगठन के संयोजक रवि गोयल का जो की आज विशेष दिवस पर आयोजित ग्राम मामोनी मजरे में बच्चो के साथ जागरूकता कार्यक्रम में बोल रहे थे उन्होंने कहा की अफसोस की बात है कि बच्चे दर्द और पीड़ा के सबसे मासूम पीड़ितों में से हैं। दुनिया भर में, कई बच्चे ऐसे इलाकों में रहते हैं जहां युद्ध और संघर्ष उनके दैनिक जीवन का हिस्सा हैं। हाल के आँकड़ों के अनुसार, 536 मिलियन बच्चे संघर्ष या आपदाओं से प्रभावित देशों में रहते हैं। लगभग 50 मिलियन बच्चे अपने घर से विस्थापित हुए हैं। जब ये बच्चे विस्थापित हो जाते हैं, तो यह हिंसा और शोषण के प्रति उनकी सुभेद्यता को बढ़ा देता है। यह काफी हद तक इस तथ्य के कारण है कि ये बच्चे अनाथ हो जाते हैं या अपने परिवारों से अलग हो जाते हैं। दुनिया भर में लाखों बच्चों के लिए भावनात्मक, शारीरिक, यौन और मानसिक शोषण भी एक वास्तविकता है। हर साल अनुमानित 200 मिलियन बच्चे यौन हिंसा के शिकार होते हैं। जिन देशों में बच्चे सबसे कम सुरक्षित हैं उनमें शामिल हैं: पाकिस्तान, मिस्र, मोज़ाम्बिक, वियतनाम, चीन, अर्जेंटीना, रूस, नाइजीरिया एवम इंडोनेशिया संयुक्त राष्ट्र का सतत विकास लक्ष्य 16 सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समाज को बढ़ावा देता है। इस लक्ष्य के हिस्से के रूप में, संयुक्त राष्ट्र को 2030 तक बच्चों के खिलाफ दुर्व्यवहार, शोषण, तस्करी और सभी प्रकार की हिंसा को समाप्त करने की उम्मीद है बच्चों की सुरक्षा की आवश्यकता के लिए जागरूकता फैलाने के लिए आज शक्ती शाली महिला संगठन द्वारा मामोनी में इस दिन बच्चो के साथ कार्यक्रम आयोजित किया। आक्रामकता के इतिहास के शिकार हुए मासूम बच्चों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस
19 अगस्त, 1982 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने घोषणा की कि 4 जून को आक्रमण के शिकार हुए मासूम बच्चों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन के सवाल पर आपात विशेष सत्र के दौरान यह फैसला किया। यह दिन मूल रूप से 1982 के लेबनान युद्ध से प्रभावित बच्चों पर केंद्रित था। यह दिन फिलिस्तीनी बच्चों पर भी केंद्रित था जो मध्य पूर्व में अन्य संघर्षों के शिकार थे। ललित ने कहा की आज, यह दिन दुनिया भर में उन बच्चों पर केंद्रित है जो हिंसा और दुर्व्यवहार के मासूम शिकार हैं। प्रोग्राम में एक सेकड़ा बच्चों ने भाग लिया।

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