Kuno कूनो। महत्वाकांक्षी चीता पुनर्वास परियोजना के तहत कूनो नेशनल पार्क में लाए गए चीतो से जुड़ी दो अच्छी खबर सामने आई हैं। पहली खबर बीमार चल रहे चीता के उस शावक की हैं जिसे खास निगरानी में रखकर डॉक्टर ने इलाज किया। उसी दौरान उसे बोतल से दूध पिलाए जाने की जानकारी दी गई। अब बताया जा रहा हैं की भारतीय बोतल से दूध पीकर चीता शावक का वजन बढ़ गया हैं और वह खतरे से बाहर हो गया हैं इसलिए उसे उसकी मां के साथ छोड़ा जाएगा। इधर दूसरी खबर केंद्र की उच्च स्तरीय समिति से मिली हैं, जिसका कहना है कि जून के तीसरे सप्ताह तक कूनो नेशनल पार्क में सात और चीतों को जंगल में छोड़ दिया जाएगा। इसके पहले सात चीते पहले ही खुले जंगल में छोड़े जा चुके हैं। दो दिन पहले ही मादा चीता निरवा को जंगल में छोड़ा गया था। तब ये जानकारी सामने आई थी शेष 10 चीतों को भी सिलसिलेवार तरीके से जल्दी ही खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। विशेषज्ञ टीम भी कह चुकी है कि सभी चीते अच्छी शारीरिक स्थिति में हैं, वे नियमित अंतराल पर शिकार करते हैं और प्राकृतिक व्यवहार प्रदर्शित करते हैं। निगरानी दलों ने चीतों को उनकी व्यावहारिक विशेषताओं और पहुंच क्षमता के आधार पर मुक्त विचरण के लिए चुना गया है। पार्क से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक चीतों कों छोड़ने की कवायद जून में मानसून की बारिश शुरू होने से पहले की जाएगी। जिन चीतों को छोड़ा जाना है, उनका चयन उनके व्यक्तिगत परीक्षण के बाद किया गया कि वे किस तरह से नए माहौल में घुल-मिल रहे हैं। इन चीतों की निगरानी भी वैसे ही होगी, जैसे पहले छोड़े गए चीतों की हो रही है। शेष चीते मानसून के दौरान बड़े बाड़ों में ही रहेंगे। इनके बाड़े खोल दिए जाएंगे ताकि इन्हें पर्याप्त जगह मिल सके। मानसून खत्म होने के बाद सितंबर में समीक्षा होगी और उसके बाद अन्य चीतों को खुले जंगल में छोड़ने का फैसला होगा। इधर चीतों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए वन विभाग की योजना से कूनो नेशनल पार्क के फील्ड स्टाफ को 10 मोटरसाइकिल वितरण की हैं, जिससे खुले जंगल में विचरण कर रहे चीतों की आसानी से ट्रेकिंग व मॉनिटरिंग हो सके। डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया कि फील्ड स्टाफ के पास ज्यादातर या तो पुरानी मोटरसाइकिल होती है या फिर साइकिल, यहां तक कि पैदल भी स्टाफ को गश्त करना पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए बाइक वितरण की है। इससे पार्क के चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा सकेगी।
चार जन्मे, छह की हुई मौत
उल्लेखनीय है, महत्वाकांक्षी चीता पुनर्वास परियोजना के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को अपने 72वें जन्मदिन पर नामीबिया से कूनो में आठ चीतों को छोड़ा था। इसी तरह 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों को कूनो में छोड़ा गया था। हालांकि केएनपी में लगभग दो महीने में तीन वयस्क चीते और नामीबिया की मादा चीता, ज्वाला (सियाया) के चार शावकों में से तीन की मौत हो चुकी है। इस बीच नई खबर राहत से कम नहीं।
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