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धमाका साहित्य कॉर्नर: लघुकथा *बिजली*

मंगलवार, 6 जून 2023

/ by Vipin Shukla Mama
लघुकथा *बिजली*
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एक जागरूक विपक्षी दल के नेता ने जनता की समस्या सरकार के सामने रखी, उन्होंने निरीह जनता के कष्टों को बयां करते हुए कहा- "हमारे क्षेत्र में जनता में त्राहि त्राहि मची है आजकल आसमान में चमकने वाले सूरज दादा की दादागिरी चल रही है।"
"धरती पर आग की लपटों ने जनता का जीना दूभर कर दिया है, और गर्मी अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए बढ़ती ही जा रही है इधर पानी की किल्लत तो उधर अघोषित रूप से सौ सौ बार बिजली जा रही है।"
सत्ता पक्ष के नेता कहा ..."आपको तो बस केवल बुराईयां ही दिखाई देती हैं,अच्छाइयों पर तो ध्यान ही नहीं जाता...आपने यह तो देख लिया कि सौ सौ बार लाइट जाती है किन्तु आपको यह दिखाई नहीं देता कि सौ सौ बार आती भी तो होगी...आती होगी तभी तो जाती होगी..आयेगी नहीं तो जायेगी कहाँ से?"
"साथ ही जितनी बार भी आती होगी तो हमारे बच्चे भी..हो... हो.. की चीख पुकार से खुशी का इजहार करते होंगे हमारा लक्ष्य है कि खुशियों से भरा रहे हमारा देश।
अगर आप सकारात्मक सोचते तो शिकायत नहीं करते वल्कि तारीफ ही करते हुए कहते ... आपके हम हृदय से आभारी हैं कि आपके राज में हमें रोजाना सौ सौ बार लाइट मिलती है।"
लोग तालियाँ बजाने लगे....... 
     सतीश श्रीवास्तव
  मुंशी प्रेमचंद कालोनी करैरा













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