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धमाका खास खबर: चुनावी सर्वे में आया सामने, कांग्रेस पिछले दो दशक से सत्ता पर काबिज बीजेपी के लिए करेगी मुश्किलें खड़ी!

बुधवार, 28 जून 2023

/ by Vipin Shukla Mama
Bhopal भोपाल। MP चुनाव मोड़ पर है। यहां सीधे तौर पर आमने सामने के प्रतिद्वंदी कांग्रेस भाजपा दोनों पूरी तरह विधान सभा चुनाव के रंग में रंग चुके हैं। बयानबाजी जारी हैं। तोड़फोड़ की जा रही हैं। जिसे देखकर सहज अंदाज हो रहा हैं की साल के आखिर तक चुनाव हो जायेंगे। इस बीच बीते चुनाव की तरह इस बार भी कांग्रेस ने भाजपा की नींद उड़ा रखी हैं। नतीजे में भाजपा लाडली बहना योजना जैसे बड़े कदम उठाने को मजबूर हुई। उसे इस योजना ने राहत प्रदान की हैं और पहले की तुलना में इस योजना ने बूस्टर डोज का काम किया हैं। लेकिन लंबी अवधि का शासन करती आई बीजेपी को अपने ही घर से चुनौती मिल रही हैं। उम्र की दहलीज लाघने तैयार नेता टिकिट की चाह पाले हैं और उम्मीद टूटती देख पंजा थाम रहे हैं। हाल ही में एमपी के ग्वालियर संभाग में सिंधिया के गढ़ से कुछ मीनारें कांग्रेस में जा गिरी हैं। जबकि कुछ और जाने की तैयारी में हैं। ये कदम दोनों ही पार्टी के उन नेताओं की बांछे खिला रहा हैं जो सिंधिया से अंदरूनी तौर पर खुन्नस रखते हैं या इनके बीजेपी में बढ़ते कद से अचंभित हैं। ऐसे नेताओं को राहत मिल रही हैं। 
सर्वे ने बढ़ाई बीजेपी की चिंता, कांग्रेस फील गुड में
हाल ही में दो बड़े सर्वे हुए हैं जिसमें बीजेपी की अपेक्षा कांग्रेस को बढ़त मिलती दिखाई दे रही हैं जिसने बीजेपी की नींद उड़ाकर रख दी हैं। कोंग्रेस फील गुड मोड़ में हैं। बता दें की मध्य प्रदेश में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। पिछले दो दशक से एमपी में बीजेपी का कब्जा रहा है। हालांकि, साल 2018 में कांग्रेस ने जरूर डेढ़ साल के लिए सरकार बनाई, लेकिन द ग्रेट श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के चलते सरकार गिर गई और फिर शिवराज सिंह चौहान की राज्य में वापसी हुई। आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर की संभावना है। चुनावी सर्वे में भी सामने आया है कि इस बार कांग्रेस पिछले दो दशक से सत्ता पर काबिज बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। हालांकि, कांग्रेस का दावा है कि वह 150 सीटें जीतने जा रही है, जबकि बीजेपी भी शिवराज की वापसी का दावा करती रही है। एबीपी न्यूज और सी वोटर के सर्वे में सामने आया है कि वर्तमान स्थिति में कांग्रेस को बीजेपी के मुकाबले थोड़ी बहुत बढ़त हासिल है।
सर्वे एजेंसी सी वोटर के साथ मिलकर न्यूज चैनल एबीपी ने ओपिनियन पोल किया, जिसमें 17 हजार से ज्यादा लोगों की राय गई। 26 मई से 26 जून के बीच हुए सर्वे में बीजेपी के खाते में 106- 118 सीटें जाती हुई दिख रही हैं, जबकि कांग्रेस के खाते में 108 से 120 सीटें जा सकती हैं। भले ही सीटों का अंतर ज्यादा न हो, लेकिन अभी चुनाव में चार से पांच महीने का समय शेष है, जिसकी वजह से इसमें बड़ा बदलाव आने वाले समय में आ सकता है। राजनीतिक एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि दोनों दलों के बीच इस बार पिछले चुनावों की तुलना में अधिक टक्कर होने की संभावना है। इसके अलावा, बसपा को भी शून्य से चार और अन्य को भी शून्य से चार सीटें मिल सकती हैं। वोट शेयर की बात करें तो इसमें बीजेपी और कांग्रेस बराबर पर दिखाई दे रहे हैं। दोनों ही दलों को 44-44 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है, जबकि बसपा को दो और अन्य के खाते में दस फीसदी तक वोट जा सकता है। सर्वे में यह सवाल भी किया गया कि सीएम शिवराज सिंह चौहान के कामकाज से कितने लोग खुश हैं? इस पर 40 फीसदी लोगों ने बताया कि वे शिवराज के काम से संतुष्ट हैं, जबकि 33 फीसदी ने कहा कि वे असंतुष्ट हैं। 25 फीसदी लोगों का कहना था कि वे शिवराज सिंह के काम से कम संतुष्ट ही हैं, जबकि दो फीसदी ने पता नहीं में जवाब दिया। 
बीजेपी को इन मुश्किलों का करना पड़ सकता है सामना? 
जानकार बताते हैं कि बीजेपी की तुलना में इस बार कांग्रेस मध्य प्रदेश में ज्यादा सहज है। इसके पीछे कई वजहे हैं। पहली पिछले दो दशक से सत्ता में होने की वजह से बीजेपी के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी होने का खतरा मंडरा रहा है। साल 2003 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो पहले तो उमा भारती को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन दो साल बाद बाबूलाल गौर को सीएम पद दिया गया। शिवराज सिंह चौहान 29 नवंबर 2005 को सीएम बने और तब से राज्य में बीजेपी ने एकतरफा कब्जा जमाए रखा। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जरूर ज्यादा सीटें मिलीं और 114 सीटों व अन्य के समर्थन से उसने सरकार बनाई। हालांकि, मार्च, 2020 में कांग्रेस की सरकार गिरने से बीजेपी फिर से सत्ता में आ गई। ऐसे में लगभग दो दशक तक सत्ता में रहने की वजह से बीजेपी के खिलाफ कहीं-न- कहीं एंटी इनकमबेंसी भी है। सूत्रों के अनुसार, तमाम दिग्गज नेताओं के रहने की वजह से मध्य प्रदेश बीजेपी गुटबाजी का भी सामना कर रही है। इसके उलट कांग्रेस पहले के मुकाबले अब ज्यादा एकजुट होकर चुनाव लड़ने की कोशिश कर रही । पूरा चुनाव पूर्व सीएम कमलनाथ के चेहरे पर ही लड़ा जा रहा है। अतीत में भी दिग्विजय सिंह कमलनाथ का समर्थन कर चुके हैं और इसी वजह से कांग्रेस में गुटबाजी की कोई संभावना नहीं दिखाई देती। 
हिमाचल-कर्नाटक की तरह चुनाव लड़ने की कोशिश में कांग्रेस 
कांग्रेस के लिए पिछले छह महीने काफी बेहतर रहे हैं। 2014 से जो चुनाव हारने का सिलसिला चालू हुआ था, वह अब कुछ संभला है। पहले पिछले साल के अंत में पार्टी को हिमाचल प्रदेश में जीत मिली तो वहीं, कुछ समय पहले ही कर्नाटक में जीत दर्ज करके कांग्रेस में नई जान आई है। दोनों जगह प्रियंका गांधी का भी काफी अहम योगदान रहा और यही वजह है कि मध्य प्रदेश में भी उन्हें अहम जिम्मेदारी दी गई। पिछले दिनों प्रियंका गांधी ने एमपी का दौरा किया और वहां पूजा-अर्चना करते हुए कांग्रेस की ओर से चुनावी बिगुल फूंक दिया। पार्टी पिछले चुनावों की तरह ही मध्य प्रदेश में भी कई तरह के वादे कर रही है। एमपी में कमलनाथ ने 100 यूनिट बिजली माफ करने का वादा किया तो महिलाओं को 500 रुपये में गैस सिलेंडर देने का ऐलान कर दिया। इसके अलावा, ओल्ड पेंशन योजना भी कांग्रेस की ओर से बड़ा वादा है जोकि हिमाचल जैसे चुनावों में काम कर चुका है। वहीं, हर महीने महिलाओं को डेढ़ हजार रुपये देने के वादे से भी कांग्रेस मान रही है कि इससे मध्य प्रदेश चुनाव में जीत दर्ज करने में कामयाबी मिलेगी। उधर, हाल ही में कुछ नेताओं व कार्यकर्ताओं ने भी कांग्रेस का हाथ थामा है, जिससे पार्टी के अंदर नई ऊर्जा आ गई है। हालांकि, इन सबके बीच, बीजेपी का दावा है कि राज्य की जनता शिवराज सरकार से पूरी तरह से आश्वस्त है और बीजेपी की ही सरकार दोबारा बनेगी। 

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