Dhamaka Different: Situation even before independence, Muktidham without tin shed, heavy rains came in the middle of the last rites, then the last rites had to be performed with a tarpaulin
SHIVPURI शिवपुरी। कहते हैं आजादी से पहले देश में कोई इंतजाम नहीं हुआ करते थे लेकिन आज कई सालों बाद भी जब ऐसे नजारे देखने मिलें तो क्या कहिएगा। दरअसल सरकार के तमाम दावों की पोल एक बोलती तस्वीर ने खोलकर रख दी हैं। ग्राम में हुई एक मौत के बाद लोग अंतिम संस्कार के दौरान आई बारिश से संकट में आ गए। बारिश नहीं रुकी तो लोगों ने बाजार से तत्काल तिरपाल का इंतजाम किया। कुछ लाठियो का इंतजाम किया गया फिर करीब दो घंटे तक ग्रामीण बारिश के बीच इसी तिरपाल में अंतिम संस्कार करते रहे। सवाल ये हैं की कई बार ये नजारे सामने आए हैं और हर बार बड़ी बड़ी घोषणाएं होती रही हैं लेकिन कौन हैं वो कफन चोर जो सिस्टम की नाकामी के ठेकेदार बने बैठे हैं। क्यों उनकी आंखों में पानी नहीं आता। क्या उनके अपने भी इसी दर्दीले तरीके से मुक्तिधाम में जलाए जाते हैं। आपको बता दें की ये मामला है शिवपुरी जिले की जनपद पंचायत करैरा के वार्ड क्रमांक 7 से सदस्य रामहेत गुर्जर की मां शबू बाई का। जिनका शुक्रवार को 63 साल की उम्र में देहांत हो गया, और अंतिम संस्कार गृहगांव दिदावली में होना था। रामहेत गुर्जर अंतिम संस्कार में शामिल होने दिदावली गांव के मुक्तिधाम पहुंचे थे। दिदावली के मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया करते हुए जनपद सदस्य रामहेत गुर्जर ने अपनी मां को मुखाग्नि दी ही थी कि इतने में तेज बारिश होने लगी, जिसके चलते आनन-फानन में गांव से तिरपाल मंगाई गई और उसी त्रिपाल के नीचे चिता को जलाया गया। बारिश के दौरान चिता जलती रही। इधर, ग्रामीण त्रिरपाल को लाठियों के सहारे पकड़े रहे। जैसे-तैसे अंतिम संस्कार किया गया, लेकिन बारिश के कारण शव पूरी तरह नहीं जल सका। इस घटना से ग्रामीणों में रोष देखा गया। अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे करैरा जनपद वार्ड क्रमांक 6 के सदस्य मोनू परिहार ने प्रशासन से जल्द से जल्द दिदावली गांव के मुक्तिधाम पर टीन शेड की व्यवस्था करने की मांग की है। मोनू परिहार का कहना है कि बारिश के समय लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। मानसून आने से पहले प्रशासन यहां टीनशेड की व्यवस्था करें। उनकी मांग को नहीं माना गया तो वह इसके लिए आंदोलन भी करेंगे।
इधर रोजगार सहायक दिनेश पाल का कहना है कि साल 2006 में दिदावली गांव के मुक्तिधाम का निर्माण कराया गया था। इसके बाद से यहां मेंटेनेंस नहीं हुआ। इसके लिए इंजीनियर को भी अवगत करा दिया गया था। हालांकि दिदावली गांव से 1 किलोमीटर दूर मणियन गांव में एक मुक्तिधाम बनाया गया है। फिर भी जल्द ही इसका एस्टीमेट बनाकर इंजीनियर को दिया जाएगा। दिदावली गांव में मुक्तिधाम पर टीनशेड की व्यवस्था कराने का प्रयास करेंगे।

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