शिवपुरी। स्तनपान हर नवजात के लिए अमृततुल्य होता है। मां का दूध बच्चे के लिए संपूर्ण आहार माना जाता है, बच्चे के पोषण के लिए आवश्यक सभी चीजें इसमें समाहित होती हैं। यही कारण है कि सभी माताओं को, नवजात को स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है। स्तनपान से होने वाले लाभ को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए अगस्त माह के पहले सप्ताह (1-7 अगस्त) को विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इसी कड़ी में आज शक्ती शाली महिला संगठन एवम ब्रिटानिया न्यूट्रीशन फाउंडेशन ,महिला बाल विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवम समुदाय की हाई रिस्क वाली गर्भवती माताओं के साथ मादकपुरा एवम बाशखेड़ी में ग्रह भेंट में इस मुद्दे को लेकर चर्चा की संस्थान के रवि गोयल ने नवजातों को स्तनपान कराने पर जोर देते हुए इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ के बारे में जानकारी दी है।शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संतोष पाठक कहते हैं, जिस तरह से वैश्विक स्तर पर जारी स्वास्थ्य समस्याओं के बीच लाखों शिशुओं और बच्चों की सेहत और पोषण पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है, ऐसे में स्तनपान से होने वाले फायदों को लेकर जागरूकता बढ़ाना और भी आवश्यक हो जाता है। हालांकि वैश्विक स्तर पर आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ 64 फीसदी बच्चों को ही जन्म के छह महीने तक स्तनपान कराया जाता है, जोकि चिंताजनक है। विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर रवि गोयल ने बताया की बताया कि 2023 का विश्व स्तनपान सप्ताह 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाएगा. इस वर्ष की थीम है “स्तनपान को सक्षम बनाना: कामकाजी माता-पिता के लिए फर्क करना”. यह थीम स्तनपान के महत्व पर ध्यान केंद्रित करती है और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाती है कि कामकाजी माता-पिता को स्तनपान करने में सक्षम बनाया जाए.
स्तनपान शिशु के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह शिशु को संक्रमण से बचाता है, उसे स्वस्थ रखता है, और उसे मानसिक और भावनात्मक रूप से भी लाभ पहुंचाता है. स्तनपान माता के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है. यह कैंसर, हृदय रोग, और मधुमेह के जोखिम को कम करता है. विशेष रूप से आपातकालीन परिस्थितियों में रहने वाले परिवार भी इस बात का ध्यान रखकर बच्चों को कुपोषण के खतरे से बचा सकते हैं। जीवन के पहले छह महीनों में केवल 44 प्रतिशत शिशुओं को ही स्तनपान कराया जाता है, जो विश्व स्वास्थ्य सभा के 2025 तक 50 प्रतिशत के लक्ष्य से कम है। स्वास्थ्य संगठनों का कहना है कि स्तनपान समर्थन नीतियों और कार्यक्रमों में निवेश को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है, जिससे अधिक से अधिक लोगों में इसको लेकर जागरूकता का संचार किया जा सके। सुपोषण सखी नर्मदा ने बताया की माताओं को स्तनपान कराने के लिए गुणवत्ता परामर्श और व्यावहारिक सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है।
दुनियाभर में स्तनपान सप्ताह मनाने का उद्देश्य इससे होने वाले लाभ को लेकर लोगों को शिक्षित और जागरूक करना है। नवजात को स्तनपान मिल सके, यह सुनिश्चित करना न केवल माताओं बल्कि परिवार और समुदायों की सामूहिक जिम्मेदारी है।अनुकूल नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से हमें हर व्यक्ति को शिक्षित करने की आवश्यकता है, जिससे बाल मृत्युदर और बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सके।कामकाजी माता-पिताओं को स्तनपान करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. वे अक्सर अपने काम के घंटों के कारण अपने बच्चे को पर्याप्त रूप से स्तनपान नहीं करा पाती हैं. वे अपने बच्चे को दूध निकालने और उसे संग्रहीत करने के लिए भी संघर्ष कर सकती हैं.
सुपोषण सखी कमलेश जाटव ने बताया की विश्व स्तनपान सप्ताह का उद्देश्य कामकाजी माता-पिताओं को स्तनपान के बारे में जानकारी प्रदान करना और उन्हें स्तनपान करने में सक्षम बनाने के लिए समर्थन देना है. इस वर्ष सप्ताह में कई गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी, जिनमें शामिल हैं।
स्तनपान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सभाएं और नुक्कड़ नाटक
स्तनपान के लाभों के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले पोस्टर और बैनर
स्तनपान के लिए समर्थन प्रदान करने वाले समूह और वेबसाइटें
यदि आप एक कामकाजी माता-पिता हैं और स्तनपान के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आप अपने डॉक्टर या किसी अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से संपर्क कर सकते हैं. प्रोग्राम में समुदाय के माहिलाओ के साथ साथ शक्ती शाली महिला संगठन की पूरी टीम ने भाग लिया।

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