Gwalior ग्वालियर। कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित की गई पटवारी परीक्षा- 2022 को लेकर पूरे एमपी में आग धधकी हुई हैं। युवा खासे गुस्से में हैं और पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। परीक्षा निरस्त किए जाने की भी मांग की जा रही हैं इसी बीच ग्वालियर के ख्यात पत्रकार अर्पण राऊत की एक खास खबर ने इस पूरे मामले में जोरदार खुलासा किया हैं।
पढ़िए बड़ा मामला
पटवारी चयन परीक्षा में मुरैना जिले की जौरा तहसील के 15 छात्र दिव्यांग कोटे से हैं। इस परीक्षा में 21 लोग पास हुए, जिनमें 15 जौरा के है ये सभी सुनने में अक्षम है, जिसका मेडिकल सर्टिफिकेट भी लगाया गया है।
आरोप है कि इन छात्रों ने वास्तविक दिव्यांगों का हक मारा है। बता दें कि इससे पहले एनआरआई परीक्षा केंद्र से टॉपर 10 छात्रों में से 7 के नाम सुर्खियों में आ चुके हैं। जौरा तहसील के एक गांव और एक ही समाज के 15 लोगों का एक साथ चयन होना व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा रहा है।
पटवारी परीक्षा में उत्तीर्ण छात्र एक कोटे और एक ही समाज के
जौरा तहसील से पटवारी परीक्षा में जो 15 छात्र उत्तीर्ण हुए हैं उनमें रमाकांत पुत्र परिमल त्यागी, योगेंद्र पुत्र मनोज त्यागी, चंद्रकांत पुत्र गिर्राज त्यागी, मनोज पुत्र लज्जाराम त्यागी, प्रवीण पुत्र लज्जाराम त्यागी, आकाश त्यागी, कृष्णकांत पुत्र सियाराम त्यागी, विजय पुत्र राजेश त्यागी, धीरेंद्र पुत्र विनोद त्यागी, कीर्ति नंदन और योगेश कुमार शामिल हैं। अब देखना होगा की जांच में ये आरोप सही निकलते हैं या नहीं।
हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल हुई
इस मामले में हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में कांग्रेस नेता रघु परमार ने एक पीआईएल दाखिल की है। उनके वकील गोविंद पाल सिंह ने बताया कि हमने गडबडियों की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है।
हाईकोर्ट के वकील कर रहे हैं पीआईएल और लेटर पिटीशन की तैयारी
इस परीक्षा को लेकर जल्दी ही हाईकोर्ट में पब्लिक रिट पिटीशन लगाएंगे। यह अपने आप में एक बड़ा सनसनीखेज मामला है।

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