Gwalior प्रदेश सरकार ने संविदा कर्मियों की मांगे मानकर उन्हें खुश कर दिया हैं। खुशी की कई वजह हैं लेकिन उनमे दो वजह खास हैं। पहली ये कि अब उन्हे नियमित कर्मचारियों के समान वेतन मिलेगा। दूसरा ये कि हर साल निकाले जाने का डर भी खत्म हुआ अब बिना भय वे सरकार की सेवा कर सकेंगे। लिहाजा चुनावी साल में मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद अब संविदा कर्मचारी पूरे प्रदेश में खुशियां मना रहें है। इसे देखते हुए अब मप्र के विभिन्न शासकीय विभागों में काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों ने भी अपनी लंबित मांगों को पूरा करने की मांग फिर से शुरू कर दी है। जिनका कोई भविष्य नहीं हैं, नौकरी आज हैं तो कल होगी या नहीं पता नहीं, ऐसे प्रदेश के करीब ढ़ाई लाख आउटसोर्स कर्मचारियों ने संविदा कर्मचारियों की तरह जीवन का उद्यार किए जाने की मांग सरकार से की है और कहा हैं की उन्हे भी संविदा कर्मचारी में परिवर्तित किया जाए। इसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र भी लिखा गया है।
जिसमें ये मांगे शामिल हैं।
* सरकार अपने अधीन संविदा कर्मचारियों की तरह नौकरी की प्रक्रिया जारी रखे न की ठेका कंपनी के भरोसे कर्मचारी रहे। इससे उसका शोषण हो रहा हैं। मनमर्जी से हटा दिया जाता हैं कहीं कहीं वेतन में भी कटौती करके वेतन दिया जाता हैं।
* नौकरी कितने दिन चलेगी इसका भरोसा नहीं हैं इसलिए आपके भांजे भांजियो के विवाह तक के लाले पड़े हुए हैं। क्योंकि आज नौकरी हैं कल होगी या नहीं इसकी कोई ज़िमेदारी नहीं।
*न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण अधिनियम 1948 की धारा 3 के तहत न्यूनतम वेतन दिया जावे, वर्तमान में न्यूनतम वेतन 2014 की स्थित में दिया जा रहा है जबकि उनका वेतन पुनरीक्षण 2019 से लंबित है जिससे प्रतिमाह 5 से 6 हजार का आर्थिक नुकसान हो रहा है।
* ऊर्जा विभाग सहित अन्य विभागों में 10 से 12 वर्षों से कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों सहित वर्तमान में सेवारत विद्युत कंपनी एवम अन्य विभागों में कर्मचारियों का लगभग संविलियन अथवा संविदा में नियोजित किया जाए तो कृपा होगी।
* आउटसोर्स कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा सहित अन्य श्रम अधिनियम के तहत मिलने वाली सुविधाएं प्रदान की जाएं।
प्रदेश में ढाई लाख कर्मचारी
गौरतलब है कि ऊर्जा विभाग में आउटसोर्स कर्मचारियों की संख्या 45 हजार है। जबकि मध्य प्रदेश के अन्य विभागों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों की संख्या लगभग ढाई लाख है।
प्रदेश को रोशन करने वाले 45 हजार आउट सोर्स कर्मियों को 8 से 10 हजार रुपए वेतन मिल रहा है। इस वेतन में घर चलाना दूभर है। लिहाजा मध्य प्रदेश संविदा ठेका श्रमिक कर्मचारी संघ इंटक के प्रदेश अध्यक्ष एलके दुबे ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि आउटसोर्स कर्मचारी बारिश, गर्मी और ठंड जैसे मौसम में विद्युत व्यवस्था बनाने का काम करते है। यह काम अत्यंत जोखिम भरा है। इसे करते हुए विद्युत दुर्घटना में कई सैकड़ा विद्युत आउटसोर्स कर्मचारी अंग हीन हो गए, लेकिन आज तक इन कर्मचारियों पर कंपनी ने ध्यान नहीं दिया। संविदा कर्मचारियों के जीवन उत्थान के लिए सरकार द्वारा किया गया कार्य अतुलनीय है, लेकिन इस कमरतोड़ मंगाई में प्रदेश के ढ़ाई लाख आउटसोर्स कर्मचारियों को अब भी सिर्फ 8 से 10 हजार पारिश्रमिक ही मिल रहा है। इसमे वह अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कैसे कर रहे है यह विचारणीय है। इसलिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर संविदा की तरह अल्प वेतन भोगी व प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारियों की भी मांगों को पूरा करने का अनुरोध किया गया है।
विद्याकांत मिश्रा, प्रदेश उपाध्यक्ष
मध्य प्रदेश संविदा ठेका श्रमिक
शिवपुरी में बोले स्वास्थ्य मंत्री बातचीत जारी
बीते रोज केंद्रीय मंत्री द ग्रेट श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बॉम्बे कोठी पर मौजूद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर प्रभुराम चौधरी ने संविदा की तरह आउट सोर्स के लिए सरकार क्या करने वाली हैं तो उन्होंने कहा की मैने संविदा की लड़ाई लड़ी जोरदार पक्ष रखा था सफलता मिली। अब सरकार आउट सोर्स के लिए भी बातचीत कर रही हैं।
@chouhan_shivraj

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें