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धमाका धर्म: संत की पहचान उसकी वेशभूषा से नहीं, बल्कि उसके गुणों से होती है: साध्वी नूतन प्रभाश्री जी Dhamaka Dharma: Saint is not identified by his clothes, but by his qualities: Sadhvi Nutan Prabhashree

शनिवार, 8 जुलाई 2023

/ by Vipin Shukla Mama
जैन साध्वियों ने बताया कि जहां धर्म है वहां झगड़ा नहीं, धर्म जोडऩा सिखाता है, तोडऩा नहीं
शिवपुरी। आध्यात्मिक जीवन में संत वह महत्वपूर्ण कड़ी है जो आपको मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर करती है। संत दर्शन और वंदन से श्रद्धा मजबूत होती है, सद्गति की ओर गमन होता है वहीं संत का मांगलिक के रूप में आशीर्वाद जीवन को मंगलमयी बनाता है। सच्चे संत की पहचान उसकी वेशभूषा से नहीं, बल्कि उसके सद्गुणों से होती है। उक्त उद्गार साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने पोषद भवन में आयोजित विशाल धर्मसभा में व्यक्त किए। धर्मसभा में साध्वी जयश्री जी ने स्वाध्याय की महिमा पर प्रकाश डाला और कहा कि शास्त्रों में वर्णित प्रभु वाणी का मनन चिंतन और उसे अपने जीवन में उतारना अत्यंत आवश्यक है तभी आत्मा परमात्मा के पथ पर आगे बढ़ सकती है। साध्वी वंदनाश्री जी ने समय की गाड़ी का बंद है द्वार, कैसे होगा मेरा उद्दार, मुझे तारो तारणहार, नैया डूबे बीच मझधार...भजन का जब गायन किया तो पूरे प्रांगण में भक्ति रस की गंगा प्रवाहित हो गई।
धर्मसभा में साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने सच्चा संत और सच्चा धर्म क्या होता है? इस पर बड़े सारगर्भित ढंग से अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि संत रिद्धि, सिद्धि और प्रसिद्धी से दूर होता है। वह संसार में लीन नहीं होता है और अपने भक्त को स्वार्थ से नहीं, बल्कि परमार्थ से जोड़ता है। वह स्वार्थ में नहीं, बल्कि परमात्मा में जीता है। संत किसी जाति, धर्म या सम्प्रदाय का नहीं होता है। वह दया, करूणा, मैत्री, अहिंसा और शुद्ध भावना का जन-जन को संदेश देता है। ऐसे सच्चे संत के श्रीमुख से मांगलिक श्रवण मंगलकारी होती है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के वचन है कि केवल्य प्ररूपित धर्म मंगल है। उन्होंने सोच विचार कर केवल्य प्ररूपित धर्म शब्द का इस्तेमाल किया है अर्थात् वह धर्म है जिसे केवल्य ज्ञान प्राप्त करने वाले परमात्मा ने बताया है। केवल्य ज्ञान तब होता है जब साधक राग और द्वेष मुक्त होता है। केवल्य प्ररूपित धर्म क्या है उसे भी साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बखूबी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि यह धर्म तोडऩा नहीं, बल्कि जोडऩा सिखाता है। जहां धर्म होता है वहां झगड़ा नहीं होता है। धर्म मेलजोल बढ़ाता है। दिलों में एक दूसरे के प्रति प्रेम और सद्भाव का जनक है। ऐसा धर्म मंगल और कल्याणकारी है। धर्मसभा में चातुर्मास कमेटी के कोषाध्यक्ष अशोक गूगलिया और उनकी धर्मपत्नी की श्रीमती पुष्पा गूगलिया ने लकी ड्रा और प्रभावना का लाभ लिया। चातुर्मास कमेटी के महामंत्री सुमत कोचेटा ने गूगलिया दम्पत्ति को वैवाहिक वर्षगांठ की शुभकामनाएं दीं। साध्वी रमणीक कुंवर जी ने गूगलिया दम्पत्ति के आध्यात्मिक उत्थान की कामना की।
11 को मनेगी मालव केसरी सौभाग्य मुनि की पुण्यतिथि
प्रसिद्ध जैन संत सौभाग्य मुनि की 39वीं पुण्यतिथि पोषद भवन में धार्मिक आयोजनों के साथ मनाई जाएगी। पुण्यतिथि के अवसर पर 9 जुलाई से धर्मप्रेमी श्रावक और श्राविका तीन दिवसीय उपवास व्रत धारण करेंगे और मालव केसरी तथा महाराष्ट्र विभूषण से अलंकृत सौभाग्य मुनि को अपनी भावाजंलि अर्पित करेंगे। पुण्यतिथि के अवसर पर 10 जुलाई रविवार को दोपहर 1 बजे पोषद भवन में प्रसिद्ध साध्वी पूनमश्री जी के सानिध्य में धार्मिक अंताक्षरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जा रहा है जिसमें विजेताओं को पुरुस्कृत किया जाएगा। 11 जुलाई को मालव केसरी सौभाग्य मुनि के व्यक्तित्व पर साध्वी रमणीक कुंवर जी और साध्वी नूतन प्रभाश्री जी अपने विचार व्यक्त करेंगी।











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