पोस्ट ऑफिस एजेंट देश भर में 5 लाख से अधिक है। वह निवेश के बाद मिले पारिश्रमिक से अपना घर चलाते हैं। ऐसी 5 लाख महिलाओं के 50 लाख पारिवारिक सदस्य उन पर आश्रित हैं। बावजूद इसके महिला एजेंटों की कोई सुनवाई नहीं है। और तो और सरकार ने अल्प पारिश्रमिक पाने के बावजूद महिला एजेंटों को लाड़ली बहना में शामिल करने योग्य नहीं समझा। जबकि हम देश की अर्थव्यवस्था को कायम रखने का एक मजबूत पिलर है। ऐसे में प्रधानमंत्री जी हमारी 10 सूत्रीय मांगों को मान लो वरना संगठन के आह्वान पर हमें और उग्र का प्रदर्शन करने मजबूर होना पड़ेगा। यह मांग पोस्ट ऑफिस की महिला और पुरुष एजेंट ने बुधवार सुबह 11बजे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम कलेक्ट्रेट में डिप्टी कलेक्टर ममता शाक्य को साँप आवेदन में नाराजगी जाहिर कर कही। पोस्ट ऑफिस और अपने घर घर से समूह में एकत्रित होकर बुधवार को पोस्ट ऑफिस एजेंट अपने संगठन के बैनर तले कलेक्ट्रेट पहुंचे जहां उन्होंने नाराजगी जाहिर कर कहा कि 5 लाख महिला एजेंट पर परिवार के 50 लाख लोग आश्रित हैं। ऐसे में लोगों का पैसा एकत्रित कर उन्हें पोस्ट ऑफिस में जमा कराकर भारत सरकार को बड़ी आर्थिक राशि उपलब्ध कराई जाती है। बावजूद इसके महिला एजेंटों को एवज में किसी- किसी योजना में आधा फीसदी कमीशन मिलता है। और कई योजनाएं जैसे सुकन्या समृद्धि योजना और महिला सम्मान बचत योजना तो ऐसी हैं जिनमें चार आने का कमीशन भी एजेंट को नहीं मिलता। फिर भी एजेंट पोस्ट ऑफिस के इस व्यवसाय को बढ़ाता है और भारत सरकार को एक बड़ी आर्थिक मदद करता है। परंतु सन 1960 के जो पुराने नियम पोस्ट ऑफिस महिला एजेंटों के लिए बने वह आज भी जारी है जिनमें बदलाव होने की बड़ी आवश्यकता है। इन नियमों की जानकारी तक कई एजेंट को नहीं है। ऐसे में डाक कर्मियों द्वारा कई बार महिलाओं का मानसिक उत्पीड़न और शोषण किया जाता हैं। यही नहीं हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जो लाडली बहना योजना लागू की गई उसमें भी पोस्ट ऑफिस की महिला एजेंट को शामिल होने का अवसर इसलिए नहीं दिया गया क्योंकि वह पैन कार्ड धारी हैं। पैन कार्ड इन महिला अभिकर्ता को इसलिए रखना पड़ता है क्योंकि इसके बिना पोस्ट ऑफिस में व्यवसाय नहीं होता। ऐसे में महिला एजेंटों और उनके परिवार का क्या कसूर है कि उन्हें इसमें शामिल नहीं किया गया। महिला एजेंट ने नाराजगी जाहिर कर कहा कि यदि उनकी मांगों को नहीं माना गया तो फिर वह उग्र आंदोलन करने बाध्य होंगे।
लगातार उपेक्षा हो रही, कब सुनेगी सरकार
पिछले 12 साल से लगातार सरकार हमारी उपेक्षा कर रही है एजेंटों के हितों का कोई ध्यान सरकार को नहीं ह जबकि राशि वसूल करने के लिए या व्यवसाय बढ़ाने के लिए वह लगातार लक्ष्य देते जाते हैं, ऐसे में जब शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन कराने में महिला एजेंट अपनी भूमिका निभा रही हैं तो फिर उन्हें उनकी उचित मांगों पर सुनवाई के साथ-साथ लाभ क्यों नहीं दिया जाता। महिला एजेंट ने अपना ज्ञापन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम कलेक्ट्रेट में मौजूद डिप्टी कलेक्टर ममता शाक्य को सौंपकर कार्रवाई की मांग की।
सरकार सुनवाई करे हमारी
1 दिसंबर 2011 से कई योजनाओं में अभिकर्ता का कमीशन शून्य कर दिया है, और कहीं योजना में 1 फीसदी से कमीशन घटाकर आधा फीसदी कर दिया है। घर परिवार और बच्चे महिला अभिकर्ताओं के भी हैं इसलिए सरकार को सुनवाई करनी चाहिए।
सन 1960 के जो पुराने नियम चले आ रहे हैं वह आज भी लागू है इनमें बदलाव करना चाहिए साथी जो हमारी महिला कार्यकर्ता हैं इन्हें कम से कम लाड़ली बहना में भी शामिल करना चाहिए और इनके लिए विशेष पैकेज सरकार की ओर से घोषित होना चाहिए क्योंकि यह सरकार को बड़ी राशि उपलब्ध करा रही हैं।

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