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धमाका धर्म: साध्वी रमणीक कुंवर जी के निर्देशन में जैन समाज ने मनाया स्वतंत्रता दिवस समारोह

बुधवार, 16 अगस्त 2023

/ by Vipin Shukla Mama
नगर में प्रमुख मार्गों से निकाली रैली, सर्वोपरि होता है राष्ट्र धर्म : साध्वी रमणीक कुंवर जी
शिवपुरी। साध्वी रमणीक कुंवर जी के निर्देशन में जैन समाज में स्वतंत्रता दिवस का त्यौहार धूमधाम, उत्साह, उल्लास और उमंग के साथ मनाया। नगर के प्रमुख मार्गों से जैन भाईयों और बहनों ने एक विशाल रैली निकाली जिसमें भारत माता की जय हो, स्वतंत्रता दिवस अमर रहे के नारे जोरशोर से लगाए जा रहे थे। रैली के पश्चात राष्ट्रगान का गायन हुआ और फिर साध्वी रमणीक कुंवर जी ने संबोधित करते हुए कहा कि सर्वोपरि होता है राष्ट्र धर्म। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि सच्चे देशभक्त के लिए भारतीय संस्कृति का सम्मान अत्यंत आवश्यक है। आराधना भवन में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नन्हे बालक बालिकाओं की फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता भी आयोजित की गई जिसमें नन्हे-मुन्ने बच्चों ने देश की आजादी के लिए शहीद हुए महापुरुषों का भेष धारण कर उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बड़ी संख्या में जैन भाई और बहन पोषद भवन पहुंचे। उनके हाथ में तिरंगा झंडा था, यहां उन्होंने कतारबद्ध खड़े होकर जैन साध्वियों से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर साध्वी रमणीक कुंवर जी ने कहा कि भारत में जन्म लेने पर हम गौरवान्वित हैं। साध्वी रमणीक कुंवर जी ने कहा कि सच्चे देशभक्त होने के लिए भारतीय संस्कृति का सम्मान अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में कुछ विशेषता है जिसके कारण तमाम संकटों, संघर्षों और पराधीनता के बावजूद इसका अस्तित्व कायम है। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि अपने बच्चों को वह सिखाएं कि सुबह उठकर वह अपने माता-पिता, दादा-दादी, बड़े भाई-बहन आदि को प्रणाम करे। अपने गुरुजनों का सम्मान करे। बच्चों को मंदिर जाना और प्रभु दर्शन करना सिखाएं। उन्होंने कहा कि हमारा देश समूचे विश्व में विशिष्ट है जहां भगवानों और अवतारों ने जन्म लिया है। हमारे देश को ही माँ का दर्जा मिला हुआ है। यह वह देश है जिसमें पुत्र अपने पिता को कंधे पर बिठालकर तीर्थ यात्रा कराता है, यह वह देश है जिसमें पिता की आज्ञा पर पुत्र 14 वर्ष का वनवास स्वीकार करता है। हम पर हमारे देश के अनंत उपकार हैं, लेकिन हम जाने अनजाने में अपने देश का अपमान करने में जुटे हुए हैं। बच्चों को पढऩे के लिए तथा रोजगार के लिए ना केवल विदेश भेजते हैं, बल्कि गौरवान्वित होते हैं। अपनी राष्ट्र भाषा के प्रति हमारा कोई सम्मान नहीं है और अंग्रेजी बोलने वालों को विशिष्ट माना जाता है। भारत भूमि बलिदान की भूमि है जहां अनेक देशभक्तों ने देश को स्वतंत्रता दिलाने में अपनी जान की आहूति दी है। बड़ी मेहनत के बाद यह स्वतंत्रता हासिल की गई है। स्वतंत्रता दिवस पर हमें विचार करना चाहिए, क्या हम स्वतंत्र हुए हैं या स्वछंद?
मेरी शिष्या नूतन प्रभा कोहिनूर हीरा है: साध्वी रमणीक कुंवर जी
स्वतंत्रता दिवस पर साध्वी नूतन प्रभाश्री जी द्वारा देश प्रेम से ओतप्रोत उद्बोधन देने पर उनकी गुरुणी मैया साध्वी रमणीक कुंवर जी भावुक हो उठीं। हर्षातिरेक में उनकी आंखें खुशी से छलछला उठीं। उन्होंने कहा कि साध्वी नूतन प्रभाश्री जी के माता-पिता को धन्य है जिन्होंने ऐसी महान साध्वी को जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि साध्वी नूतन प्रभाश्री जी कोहिनूर हीरा हैं जिनके माता-पिता ने जिन शासन को समर्पित किया है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मैं कामना करती हूं कि साध्वी नूतन प्रभाश्री जी इसी तरह धर्म प्रभावना कर जिन शासन की सेवा करती रहें।












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