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धमाका बड़ी खबर: राजस्थान के पाली जिले के चांचोड़ी हाल मोरड़ी (रानी) ग्राम में 33 साल के जहर गटके युवक की जान पांच हजार से अधिक इंजेक्शन लगाकर बचा ली गई

गुरुवार, 7 सितंबर 2023

/ by Vipin Shukla Mama
पाली। राजस्थान के पाली जिले के चांचोड़ी हाल मोरड़ी (रानी) ग्राम में 33 साल के जहर गटके युवक की जान पांच हजार से अधिक इंजेक्शन लगाकर बचा ली गई हैं। ये असंभव कारनामा करने वाले डॉक्टर ने न्यूयॉर्क को पीछे छोड़ दिया। दरअसल एक युवक ने 13 अगस्त को कीटनाशक (ऑर्गेनोफॉस्फोरस) पी लिया था। उसे गंभीर हालत में हॉस्पिटल लाया गया। उसके शरीर में 600ml कीटनाशक था। बचने की उम्मीद कम थी। डॉक्टरों ने 26 दिन में 5 हजार से ज्यादा इंजेक्शन लगाए । आखिरकार युवक की जान बच गई। गुरुवार को युवक को डिस्चार्ज कर दिया गया। डॉ. प्रवीण गर्ग ने बताया कि मरीज को 26 दिन में 5 हजार से ज्यादा एंटी डोज ड्रग एट्रोपिन के इंजेक्शन लगाए गए। जहर का असर कम नहीं होने पर लगातार इंजेक्शन लगाए जाते रहे। इसके बाद मरीज को ICU में मैकेनिकल वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर इलाज शुरू किया। करीब 10 दिन बाद युवक के सांस लेने की ट्यूब ब्लॉक हो गई थी। इस पर गले में छेद कर ट्रैकियोस्टोमी किया गया। गले के छेद से मरीज को ऑक्सीजन और मुंह में नली लगाकर लिक्विड पहुंचाया गया।
डॉ. गर्ग बोले- न्यूयॉर्क के बाद पाली में हुआ ऐसा
पाली के बांगड़ हॉस्पिटल के डॉ. प्रवीण गर्ग ने बताया कि जांच में पता चला कि किसान की बॉडी में करीब 600 ML ऑर्गेनोफॉस्फोरस है। ऑर्गेनोफॉस्फोरस नाम का यह कीटनाशक इतना जहरीला होता है कि फसल पर 3 महीने तक कीड़े नहीं लगने देता । कीटनाशक की मात्रा इतनी ज्यादा थी कि युवक का बचना मुश्किल था।
युवक को 14 दिन तक वेंटिलेटर पर रखा गया। अमेरिकन जनरल बुक के हवाले से कह सकते हैं कि यह दुनिया का पहला केस है, जब इस तरह के केस में इतने ज्यादा इंजेक्शन लगाए गए।
इससे पहले न्यूयॉर्क में आया था ऐसा केस 
दुनिया में इससे पहले अमेरिका के न्यूयॉर्क में इसी कीटनाशक की 300 ML मात्रा पी लेने वाले मरीज को 8 दिन में 760 इंजेक्शन लगाए गए थे। मेडिसिन डिपार्टमेंट की टीम ने जहर कम करने के लिए पहले ही दिन से वेंटिलेटर पर लेकर युवक को एंटी डोज ड्रग एट्रोपिन के इंजेक्शन लगाने शुरू कर दिए थे।
हर घंटे 50 इंजेक्शन लगे
डॉ. गर्ग ने बताया- शुरुआत के 3 दिन तक लगातार हर घंटे 50 इंजेक्शन लगाए गए। रोजाना करीब 1200 इंजेक्शन होते हैं। इसमें नर्सिंग स्टाफ ने भी काफी मेहनत की। 1-1 ML के 50 इंजेक्शन फोड़कर एक डोज बनाकर हर घंटे मरीज को देते रहे। धीरे-धीरे इंजेक्शन का डोज कम किया गया।
उन्होंने बताया कि देरी होती तो मरीज के शरीर में जहर का स्तर बढ़ जाता और बेहोश हो जाता था। इंजेक्शन लगाते ही जहर का स्तर कम होता और होश में आने लगता था। टीम की मेहनत रंग लाई और 20वें दिन मरीज के शरीर से जहर खत्म हुआ तो वेंटिलेटर हटा लिया गया।














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