Responsive Ad Slot

Latest

latest

धमाका धर्म: जानिए 6 या 7 सितंबर कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

सोमवार, 4 सितंबर 2023

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म रोहिणी नक्षत्र, ओर अष्टमी तिथि  ओर रात्रिकालीन होने से उपरोक्त तीनो योगानुसार जन्माष्टमी की महत्त्ता मानी है , 6 सितंबर 2023 को उपरोक्त तीनो संयोग बन रहे है ।
 *इसी मान्यताओं के अनुसार ही 6 सितंबर 2023 को ही जन्माष्टमी पर्व मनाया जाये* ।
*परम् आदरणीय गुरुदेव श्री ऐ. के. वाजपेयी गुरुजी के आदेशानुसार  धर्म मतानुसार* *६ को या ७ को कृष्णजन्म पूरी श्रद्धा से मनाइए* 
6 तारीख़ में मनाई जाने वाली जन्माष्टमी में कृष्ण जन्म के समय के चार योग परिलक्षित है अतैव उस दिन कृष्ण जन्म मनाना उचित है
 7 को उदया तिथि की मान्यता के अनुसार कृष्ण जन्म मनाने की बात उनके अनुरूप ठीक होगी 4.16 मिनट पर 7 को अष्टमी खत्म हो जाएगी नवमी लग जाएगी सुबह 10 .25 पार रोहणी नक्षत्र समाप्त हो जाएगा
दौनो दिन में से कोई भी तिथि मनाई जा सकती है परन्तु मेरे मत में 6 तारीख को कृष्ण जन्म मनाना ज्यादा श्रेष्ठ है और वैसे परमेश्वर का जन्म जब मनाये  तब श्रेष्ठ ही होगा।
अधिकतर लोगों का सोचना यह है कि वर्तमान में हिन्दू पर्व को लेकर वाद विवाद , शास्त्र अनुसार मतभेद होने लगे है । हर त्योहार अब दो माने जाने लगे है ।
जबकि ऐसा नही है । पंचांग में तिथि का छय होना ,या उदय तिथि अनुसार तिथि का हर पर्व की मान्यता अलग अलग देखी जाती है । जिसमे जिस पर्व का जो महत्व है उसी अनुसार उसकी मान्यता देखी जाती है । 
 *पहले सोसल मीडिया , गूगल महाराज ना होने से आम व्यक्ति उस बारे में नही जान पाता था* 
लेकिन आजकल धर्म छेत्र में अनेकों विद्धवान वर्ग इस कार्य को करने लगे  है जिसमे अधिकतर गूगल का सहारा लेकर अपना मत देते है ।
 *बस यही से दो दो त्योहारों को लेकर मतभेद की शुरुवात हो जाती है।
जिस विद्धवान ने अपने मतानुसार जो लिख दिया वही से एक ही त्योहार अब दो दिन  शुरू होने लगता है । जबकि दौनो मतों में एक सही और एक गलत होता है ।
पहले के समय मे भी हर  व्रत, तीज त्योहार भी एक ही रहता था जिसके लिए धर्म स्थान, धर्म गुरु या मंदिर एक केंद्र हुआ करता था  यहां से पंडित या आचार्य द्वारा त्योहारों की तारीख तय करके बता दी जाती है । उसी अनुसार त्योहार एकरूपता में मनाया जाता था ।
उस समय काल मे अगर अज्ञानता भी रहती तब भी एक नियत विद्धवान आचार्य व्यक्ति के आदेशानुसार त्योहार की मान्यता की जाती थी  ।
*लेकिन आजकल सोसल मीडिया का प्रभाव इतना ज्यादा है यहां हर व्यक्ति अपने अपने मतानुसार लिखता है ।* जिसके कारण आम आदमी में त्योहारों को लेकर एक मानशिकता बन चुकी है कि अब हर त्योहार दो दो मनने  लगे है । त्योहार एक ही रहता है बस विद्धवान एक राय में ना होने के कारण मतभेद आने लगे है ।
जबकि मूल रूप से ग्रह गौचर चाल अनुसार युगों युगों से हर तिथि ओर नक्षत्र चाल अनुसार घट बढ़ जाते है ओर *शास्त्रानुसार जिस त्योहार की जो मान्यता हो वही दिन  त्योहार मनाना श्रेष्ठ माना गया है ।*  *जैसे कृष्ण जन्माष्टमी की मान्यता में अष्टमी तिथि ओर रोहिणी नक्षत्र* की मान्यता देखना जरूरी है । जो पंचांग अनुसार 6 को सही है । जबकि कई विद्धवान 7 को उदय तिथि अनुसार जन्माष्टमी बता रहे है । विद्धवान वर्ग अपना मत दे । क्या ये सही है या गलत ।
*जैसे शिवरात्रि तिथि की मान्यता में फाल्गुन मास हो* , कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि हो उसी दिन महाशिवरात्रि। पर्व माना जाए ।
*रामनवमी की मान्यता में भगवान राम जी का जन्म* चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था ओर मध्यान का समय जिस दिन हो वही दिन रामजी के जन्म का दिन माना जाता है । *गणपति जी का जन्मोत्सव* भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. जिस दिन चतुर्थी उदय तिथि में हो वही दिन मान्य माना जाता है ।
*दुर्गा अष्टमी में रात्रि पूजन हवन का विधान की मान्यता होती है* जिस दिन उदय तिथि में अगर सप्तमी भी हो लेकिन रात्रि कालीन 7 के बाद अष्टमी लगी हो उसी दिन अष्टमी पूजन का विधान माना है ।
*जैसे पित्र कार्य मे अमावस ओर  दोपहर का समय देखना जरूरी है ।* शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार अमावस या सर्व पित्र अमावस को पितरों का तर्पण और पिंडदान कर उनकी विदाई की जाती है , इसमे जिस दिन दोपहर में 12 45 तक अमावस ही उसी दिन अमावस की मान्यता देखी जाना जरूरी है ।
ऐसी हर तीज त्योहार में किसी मे तिथि का महत्व है किसी मे नक्षत्र का ओर किसी मे रात्रि कालीन समय का शास्त्र में मत दिया गया है । उसी मतानुसार त्योहार की मान्यता पंचांग अनुसार देखकर मानी जाती हैं । इसी तिथि ओर मान्यता के अनुसार वर्षो से यही मत मतांतर देखे जाते रहे है ।
श्रीकृष्ण विष्णु का आठवें अवतार हैं. इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है.
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इस दिन भक्त व्रत रखकर भगवान कृष्ण के जन्म के बाद रात 12 बजे पूजा-अर्चना करते हैं. इस दिन को लड्डू गोपाल के जन्मदिन के रुप में भी मनाया जाता है.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त 6 सितंबर को रात 11:57 बजे से मध्य रात्रि 12:42 बजे तक मनाया जाएगा.
भाद्रपद कृष्ण जन्माष्टमी तिथि शुरू - 06 सितंबर 2023, दोपहर 03.37 
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि समाप्त - 07 सितंबर 2023, शाम 04.14
गृहस्थ जीवन वालों को 06 सितंबर 2023 को जन्माष्टमी मनाना शुभ रहेगा. इस दिन रोहिणी नक्षत्र और रात्रि पूजा में पूजा का शुभ मुहूर्त भी बन रहा है. भगवान श्री कृष्ण गोपाल जी  का जन्म रात में ही हुआ था. नंद के लाल कान्हा का जन्म मथुरा में हुआ था, इसलिए इस साल 6 सितंबर को मथुरा में भी जन्माष्टमी मनाई जाएगी.
7 सितंबर 2023 - पंचांग के अनुसार इस दिन वैष्णव संप्रदाय के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे. साधू, संत और सन्यासियों में कृष्ण की पूजा का अलग विधान है. शास्त्रों में पंचदेवों के उपासक (गृहस्थ) यानी स्मात संप्रदाय के लोगों के लिए कृष्ण की उपासना अलग तरीके से बताई गई है.।
जन्माष्टमी 2023 पर रोहिणी नक्षत्र श्री कृष्ण जी का जन्म नक्षत्र है
रोहिणी नक्षत्र शुरू- 06 सितंबर 2023, सुबह 09:20 
रोहिणी नक्षत्र समाप्त - 07 सितंबर 2023, सुबह 10:25














कोई टिप्पणी नहीं

एक टिप्पणी भेजें

© all rights reserved by Vipin Shukla @ 2020
made with by rohit Bansal 9993475129