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हमारी थाली पौष्टिक होनी चाहिए: रवि गोयल

शुक्रवार, 1 सितंबर 2023

/ by Vipin Shukla Mama
स्वस्थ मां और बच्चे को रोज खिलाएं साग, फल, सब्जी और अनाज : सुपोषण सखी रेखा आदिवासी
शिवपुरी। राष्ट्रीय पोषण माह  का आगाज आज एक सितंबर से शुरू हुआ।  अधिक जानकारी देते हुए शक्ति शाली महिला संगठन के कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने  बताया कि कुपोषण एवम अनीमिया से लड़ने के लिए ग्राम पंचायत से लेकर वार्ड तक पोषण जन जागरूकता कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है बच्चों के पोषण के साथ महिलाओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी होगा। स्वस्थ मां और बच्चे का राज खाएं स्थानीय साग,फल,सब्जी,और अनाज ।
उन्होंने आज ग्राम कराई में आयोजित पोषण माह के तेहत जागरूकता कार्यक्रम जो की शक्ति शाली महिला संगठन द्वारा ब्रिटानिया न्यूट्रीशन फाउंडेशन , महिला बाल विकास एवम स्वास्थ्य विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित प्रोग्राम में हमारी थाली पौष्टिक बाली होनी चाहिए का नारा दिया। उन्होंने  प्रतिदिन तीन बार भोजन दो बार नाश्ता के साथ कहा की  3 पेशाब के तुरंत बाद नवजात शिशु को स्तनपान अवश्य कराएं साथ ही  6 माह पूरे होते ही बच्चे को ऊपरी आहार दें
  सुपोषण सखी रेखा आदिवासी ने कहा की स्वस्थ मां और बच्चे का राज पौष्टिक आहार और समय पर आराम करना इससे हम मातृ मृत्यु दर को काफी कम।कर सकते है साथ ही सुबह नाश्ता जरूर करना चाहिए कुपोषण के खिलाफ अगर  जनता के सहयोग से जंग लड़ा जाएगा। कोई कुपोषित बच्चा नहीं छूटेगा।  महिलाओं की लगातार मानीटरिंग की जाएगी। आज टीम द्वारा पोषण प्रदर्शनी के साथ साथ पोषण थाली को भी प्रर्दशित किया। जिससे की माताओं में एवम किशोरी बालिकाओं में पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ी आगनवाड़ी कार्यकर्ता ज्योति कुलश्रेष्ठ ने कहा की पोषण माह का मुख्य उद्देश्य  गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं एवं 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों एवं किशोरियों‌ में पोषण से संबंधित समस्याओं का समापन करते हुए  सुपोषित भारत के स्वप्न को हकीकत में परिवर्तित करना है। रचना धाकड़ आशा ने कहा की इस वर्ष, इस अभियान को मुख्यतः “महिला और स्वास्थ्य” एवं “बच्चे और शिक्षा” के विषय पर केंद्रित किया गया है, जिसके तहत विभिन्न संवेदीकरण कार्यक्रमों का आयोजन करके आम नागरिकों को पोषण के महत्त्व को बताते हुए उनमें जागरूकता उत्पन्न की जाएगी।
साहब सिंह धाकड़ ने कहा की 
इसके साथ ही, गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए पहचान एवं आउटरीच कार्यक्रम भी तैयार किये गए है। 
इसके अतिरिक्त छः वर्ष से कम उम्र के बच्चों और किशोरियों के लिए जागरूकता अभियान, शिविर एवं मेलों के भी आयोजन किये जायेंगे।  है अंजली आदिवासी ने कहा में स्कूल अधारित गतिविधियों के तहत पारंपरिक व्यंजनों पर विशेष ध्यान देते हुए “हमारी थाली पौष्टिक वाली” के माध्यम से पारंपरिक व्यंजनों एवं खाद्य पदार्थों को  पोषण कॉर्नर बनाया।   प्रोग्राम में शक्ति शाली महिला संगठन  की टीम  के साथ समुदाय के एक सेकड़ा ग्रामीण महिलाओ एवम किशोरी बालिकाओ ने भाग किया अंत में सबको सही पोषण का संकल्प कराया।













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