शिवपुरी। हिंसा मन, वचन और काया से की जाती है। सबसे पहले मन में हिंसा उपजती है और इसकी प्रतिक्रिया वचन तथा शरीर में देखने को मिलती है। अहिंसा का पहला सूत्र यह है कि सबसे पहले मन की हिंसा से बचो क्योंकि इससे बच गए तो मन और काया की हिंसा से भी बच जाओगे उक्त वक्तव्य प्रसिद्ध जैन साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कमला भवन में आयोजित विशाल धर्मसभा में दिया। धर्मसभा में साध्वी पूनम श्री जी ने बताया कि मन पर नियंत्रण रखने वाले ही धर्म की यात्रा कर पाते हैं। मन बश में हुआ तो नर से नारायण बनने में देरी नहीं लगती। धर्मसभा में पूर्व विधायक और पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष माखन लाल राठौर भी पहुंचे और उन्होंने जैन सतियों से आशीर्वाद लिया। धर्मसभा में सबसे पहले साध्वी वंदनाश्री जी ने धीरे-धीरे मोड तू इस मन को, इस मन को तू इस मन को, मन मोड़ा फिर डर नहीं कोई दूर प्रभू का घर नहीं, भजन का सुमधुर स्वर में गायन किया। इसके बाद साध्वी पूनम श्री जी ने अपने उदबोधन में मन पर नियंत्रण करने के उपाय बताते हुए कहा कि मन को जीतना नहीं बल्कि जीना है। मन की सफलता पर रोक लगाना है। उन्होंने कहा कि मन सांसारिक जगत में स्थिर रहता है लेकिन आध्यात्मिक क्षेत्र में मन स्थिर नहीं रह पाता है। जिसने अपने मन पर नियंत्रण कर लिया, समझलिए उसने सारी दुनिया को जीत लिया। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने अहिंसा को सबसे बड़ा धर्म बताते हुए कहा कि सिर्फ किसी को मारना ही हिंसा नहीं बल्कि किसी के प्रति बुरे भाव रखना भी हिंसा है। उन्होंने कहा कि यदि हमें अहिंसक जीवन को अपनाना है तो सबसे पहले अपने व्यवहार और वाणी पर नियंत्रण रखना आवश्यक है।
कल मनाई जाएगी संत जीवन मुनि की 41 वीं पुण्यतिथि
मालव केशरी पूज्य श्री सौभाग्य मुनि जी महाराज की सेवाभावी सुशिष्य श्री जीवन मुनि जी की 41 वीं पुण्य तिथि साध्वी रमणीक कुंवर जी महाराज की धर्मसभा में 4 सितम्बर सोमवार को मनाई जाएगी। इस अवसर पर 15 मिनिट का सामूहिक जाप किया जाएगा और श्रावक तथा श्राविका 2-2 सामायिक कर मुनि श्री को अपनी भावांजलि अर्पिर्त करेंगी। इसके बाद साध्वी रमणीक कुंवर जी और साध्वी नूतन प्रभाश्री जी गुणानुवाद सभा को संबोधित कर पुज्य जीवन मूनि के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालेंगे। जीवन मुनि जी ने अपने 53 साल के साधना जीवन में गुरू सेवा की अनुपम मिशाल पेश की थी।
बिना ज्ञान के बड़ी से बड़ी धर्मआराधना का कोई मूल्य नहीं: साध्वी पूनमश्री जी
-साध्वी जी ने बताया कि धर्म का मूल है ज्ञान, ज्ञान के बिना नहीं होता धर्म
शिवपुरी ब्यूरो। जैन दर्शन में ज्ञान का बहुत अधिक महत्व है। भगवान महावीर ने बताया कि बिना ज्ञान के बड़ी से बड़ी धर्म आराधना का कोईर् मूल्य नहीं है। ज्ञान धर्म की बुनियाद है उक्त उदगार प्रसिद्ध जैन साध्वी पूनम श्री जी ने स्थानीय कमला भवन में आयोजित विशाल धर्मसभा में व्यक्त किए। धर्मसभा में साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने अहिंसा पर सारगर्भित उदबोधन देते हुए कहा कि प्राणों का हनन करना हिंसा है वहीं प्राणों की रक्षा करना अहिंसा है। उन्होंने यह भी बताया कि प्राण से अर्थ क्या है। उन्होंने शास्त्रों का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी दूसरे को पांचों इन्द्रियों, मन बचन काया से प्रताणित करना श्वास और जीवन समाप्त करने को हिंसा कहते हैं और धार्मिक व्यक्ति को इससे बचना चाहिए।
धर्मसभा में साध्वी वंदनाश्री जी ने सोने बाले जागो, जगाने वाले आ गए, अमृत का प्याला पिलाने वाले आ गए, मोह की निद्रा भगाने वाले आ गए भजन का गायन किया। इसके बाद साध्वी पूनम श्री जी ने बताया कि ज्ञान और जानकारी में बहुत अंतर है। जानकारियों से हम संसार को जान सकते हैं। लेकिन अपने आपको जानना ज्ञान है। आत्मा की प्रतीति जिस व्यक्ति को हो वह ज्ञानी है। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म आराधना जैसे व्रत, उपवास, जप, तप, संवर, समायिक और साधना बिना ज्ञान के यदि की जाए तो उसका कोई मूल्य नहीं है। उन्होंने भगवान महावीर के इस बचन को दोहराया कि पहले ज्ञान और फिर दया। बिना ज्ञान के हम किसी के प्रति दयालू और करूणाशील नहीं हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रवचन चांदी के समान हैं और इसका चिंतन सोने के समान है लेकिन प्रवचनों को अपने जीवन में उतार कर कथनी और करनी को एक कर यदि हम आचरण करते हैं तो यह हीरे के समान है। धर्मसभा को साध्वी रमणीक कुंवर जी ने भी संबोधित किया। धर्मसभा में श्रावक संजय मूथा का जन्म दिवस मनाया गया और इस उपलक्ष्य में उन्होंने लक्की ड्रॉ का आयोजन भी किया।
बैंग्लोर और सवाई माधौपुर से आए श्रावकों का हुआ सम्मान
साध्वी रमणीक कुंवर जी की धर्मसभा में देश के विभिन्न भागों से धर्मावलम्बी उनके दर्शन वंदन और प्रवचन सुनने के लिए प्रति दिन पधार रहे हैं। आज की धर्मसभा में बैंग्लोर कर्नाटक और सवाई माधौपुर से जैन श्रावक और श्राविकाऐं पधारी। चार्तुमास कमेटी शिवपुरी के भूपेन्द्र कोचेटा, निर्मल कर्नावट, रीतेश गूगलिया और संजय मूथा ने उनका जैन समाज की ओर से हार्दिक स्वागत और अभिनंदन किया। सवाई माधौपुर से पधारे युवा श्रावक ने प्रतिक्रमण पाठ को याद किया इस कारण उनका जैन समाज ने स्वागत किया।

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