शिवपुरी। हिन्दी को आज सच्चे अर्थों में राष्ट्र भाषा बनाने की जरूरत है। शासक में यदि इच्छा शक्ति हो तो इसे किसी भी दिन देश की राष्ट्र भाषा बनाया जा सकता है भले कुछ प्रान्तों का विरोध बना रहे। उक्त उद्गार विख्यात साहित्यकार एवं वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद भार्गव ने हिन्दी पखवाड़े के अंतर्गत मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन और श्री राम किशन सिंहल फाउंडेशन द्वारा दुर्गा मठ में आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए व्यक्त किये। श्री राम निवास अवस्थी के मुख्य आतिथ्य व राजा बाबू आर्य की अध्यक्षता में सम्पन्न विमर्श का संचालन डॉ.महेन्द्र अग्रवाल ने किया।कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था अध्यक्ष विनयप्रकाश नीरव ,सचिव अखलाक खान तथा विजय भार्गव ने अतिथियों का स्वागत किया।तदुपरांत विषय प्रवेश करते हुए डॉ.मुकेश अनुरागी ने हिन्दी दिवस मनाने की विसंगति की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए राजनीतिक हस्तक्षेप का उल्लेख किया।विनयप्रकाश नीरव ने हिन्दी भाषा के रूप सौन्दर्य की चर्चा करते हुए कहा कि भाषा के साथ साहित्य और संस्कृति भी जुड़ी होती है।रविन्द्र सिंह ने कथनी और करनी की बात उठाते हुए वैयक्तिक स्तर पर हिन्दी के लिए प्रतिबद्ध होने का संकल्प लेने का अनुरोध किया।लेखक ज़ाहिद खान ने कहा, कि हिंदी भाषा की यह बढ़ती शक्ति और स्वीकार्यता नहीं, तो और क्या है कि हर साल ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में हिंदी शब्दों को शामिल किया जाता है।राम निवास अवस्थी ने हिन्दी के वैष्विक फैलाव की सराहना की।राजा बाबू आर्य ने हिन्दी को शिक्षा और नौकरी की भाषा बनाने पर बल दिया।
आयोजन के दूसरे चरण में अजय जैन अविराम के संचालन में सर्व श्री गाविन्द अनुज, योगेन्द्र बाबू शुक्ल,राकेश मिश्रा,राधेश्याम सोनी परदेशी,राजकुमार चौहान,ठा0रामसिंह अख्खड़, वसंत श्रीवास्तव ,भगवान सिंह यादव,महेश भार्गव, अरूणेश रमन शर्मा, प्रकाशचन्द्र सेठ, सत्तार शिवपुरी, अखलाक खान,विजय भार्गव,रफीक इशरत ग्वालियरी, डॉ.महेन्द्र अग्रवाल ,विनयप्रकाश नीरव, डॉ.मुकेश अनुरागी,रविन्द्र सिंह,अखलाक खान ने विविध विषयों पर रचना पाठ किया।अंत में दिवंगत शहीदों के प्रति दो मिनिट का मौन धारण कर श्रंद्धाजलि अर्पित की गई।

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