वेदों के अनुसार शासन की राजनीतिक सुव्यवस्था के लिए विद्वानों का मार्गदर्शन होना अति आवश्यक है, अन्यथा राजा निरंकुश हो जाते हैं: अजय कुमार मिश्रा
ग्वालियर। "उद्भव साहित्यिक मंच" के तत्वावधान में रेलवे स्टेशन के परिसर में एक निजी होटल में नगर के मूर्धन्य साहित्यकार अनंगपाल सिंह "अनंग" द्वारा रचित *"श्री शराम कथामृत* "एवं *"वेदों की बात "* पुस्तकों का विमोचन गत दिवस संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में विख्यात ज्योतिषाचार्य एवं आध्यात्मिक रचनाकार डॉ . अजय भांबी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सनातन वैदिक राम राज्य परिषद उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष कानपुर के अजय कुमार मिश्रा रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में विख्यात साहित्यकार जगदीश तोमर एवं उद्भव के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार डॉ. केशव पांडे मंचासीन रहे।
प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पहार अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया ।सरस्वती वंदना सुमधुर स्वर में डॉक्टर करुणा सक्सेना ने प्रस्तुत की ।तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत सुरेंद्र पाल सिंह कुशवाहा, जगदीश गुप्त महामना रामचरण "रुचिर ",डॉ.किंकरपाल सिंह जादौन, राजेश शर्मा,घनश्याम भारती, राम लखन शर्मा आदि के द्वारा किया गया।
सबसे पहले संचालन कर रहे उद्भव के उपाध्यक्ष सुरेंद्र पाल कुशवाहा ने पुस्तक परिचय के लिए डॉक्टर किंकरपाल सिंह जादौन को बुलाया गया ।उन्होंने अनंगपाल सिंह भदौरिया "अनंग" की 60 पुस्तकों के संदर्भ में विस्तृत परिचय देते हुए उनके आध्यात्मिक एवं लोकोपयोगी विचारों की उपादेयता पर अपने भाव व्यक्त किये। डॉ लोकेश तिवारी ने अनंगपाल सिंह भदौरिया की पुस्तक पर समीक्षात्मक दृष्टि डालते हुए कहा, अवतारवाद के तत्वों को पुस्तक में सुंदर ढंग से उल्लेखित किया गया है। यह बहुत ही आध्यात्मिक पक्ष का लेखन है। अगले क्रम में डॉ . ज्योत्सना सिंह राजावत ने समीक्षात्मक चर्चा करते हुए वैदिक ऋचाओं ,देवताओं का परिचय किया। इस पुस्तक का उल्लेख किया उनकी पुस्तक के अनुसार "कण -कण में परम सत्ता का अनुभव होता है ।" उनकी पुस्तक राम कथामृत व वेदों की बात हर दृष्टि से हमें रोचक,प्रेरक एवं मार्गदर्शक लगीं। कानपुर से पधारे साहित्यकार अशोक "अचानक "ने भी अपने काव्यात्मक ढंग से समीक्षा प्रस्तुत की।
अगले क्रम में राम लखन शर्मा ने पुस्तक पर चर्चा करते हुए रामचरित के छंदबद्ध होने पर एक अद्भुत छंदों का उल्लेख करते हुए जयशंकर प्रसाद की कामायनी के छंद के अनुसार ही इस पुस्तक में सृजन किया गया है । पुस्तक में उल्लेखित भाव पक्ष एवं कला पक्ष बहुत ही सुंदर हैं, गुरु के प्रति सम्मान का भाव भी उनके लेखन का मुख्य आधार है। "गुरु पद कमल में करूं विनय" इस प्रकार से भाव अनंगपाल भदौरिया ने अपनी पुस्तक में किया है। इस अवसर पर कानपुर से पधारे से साहित्यकार अशोक "अचानक" ने अपने मुक्तकों एवं गीत काव्यमय ढंग से वेदों का उल्लेख किया। तत्पश्चात् रचनाकार आनंदपाल सिंह भदौरिया ने वेदों की विचारों पर दृष्टि आगे डालने हेतु लेखन आगे सतत् रखने के लिए सभी को आश्वासन दिया। और उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता भी प्रकट की ।
विशिष्ट अतिथि के रूप में जगदीश तोमर ने अनंगपाल भदौरिया के शोध परक एवं लेखन की भूरि -भूरि प्रशंसा करते हुए कहा ,कि सुंदर ढंग से त्रुटिरहित लेखन एवं गायत्री परिवार को जागृत करने का बड़ा योगदान किया है ।
श्री रामकथामृत सरलता से एवं सुंदर ढंग से लिखा गया है ।इसके पश्चात मुख्य अतिथि अजय भांबी ने वेदों पर अपना विस्तार पूर्वक व्याख्यान देते हुए कहा इसमें व्याकरण, शिक्षा ,वेद मंत्र और चंद्रमा आदि के संदर्भ में वेदों से उल्लेख मिलता है। उन्होंने कहा उन्होंने कहा 5 लाख साल तक सूर्य की रोशनी रहेगी, तब तक ब्रह्मांड रहेगा हजारों सालों से वेद चल रहे हैं। उन्हें बदला नहीं जा सकता ।उनकी व्यवस्था जरूर अलग-अलग व्याख्या जरूर अलग-अलग होती है ।कल्पना के बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते ,नदिया अलग-अलग होती है लेकिन उनकी भाव दृष्टि अलग-अलग होती है ब्रह्मांड में सर्वव्याप्त है।व्याकरण के बिना सूक्त नहीं रचे जा सकते, उपासना पद्धति को भी नहीं लिखा जा सकता। गीता रामायण एवं वेदों पर हमें ध्यान रखना चाहिए, वही हमें जीवन शैली का मार्गदर्शन करते हैं ।
अध्यक्षता कर रहे अजय कुमार मिश्रा, कानपुर ने वेदों के सभी विभागों को स्पष्ट किया गया है उन्होंने कहा, अनंगपाल जी की पुस्तक में राजनीति पर वेदों का उल्लेख नहीं किया गया , जो अनिवार्य था वह नहीं किया गया। वैदिक काल की राजनीति को स्पष्ट नहीं किया गया है। राजनीतिक व्यवस्था के बारे में उन्होंने बताया कि, राजा के पास अनुशासन हेतु विद्वानों का दायित्व निर्वहन होना चाहिए तो राजा निरंकुश नहीं हो सकता।
उद्भव के सचिव दीपक तोमर ने अनंगपाल भदौरिया के सृजन व निरंतर आध्यात्मिक लेखन को ग्वालियर का गौरव बताया। उनके के अनुसार अनंगपाल सिंह भदौरिया द्वारा लिखित 60 पुस्तकों का अभी तक प्रकाशन हो चुका है। " श्रीराम कथामृत " एवं "वेदों की बात " इनकी नवीनतम् पुस्तकें हैं। अनंगपाल सिंह आध्यात्मिक लेखनी के जाने पहचाने कलमकार हैं।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में अतिथियों का स्वागत जगदीश महामना, अनंगपाल सिंह भदौरिया, रामचरण रुचिर , सुरेंद्र पाल सिंह कुशवाहा आदि ने स्मृति चिन्ह भेंटकर किया। इस अवसर पर प्रकाश मिश्र , डॉ सुरेश सम्राट, मुरारी लाल गुप्त "गीतेश", प्रकाश मिश्र,घनश्याम भारती, राम अवध विश्वकर्मा, महेंद्र मुक्त ,सुरेश हिंदुस्तानी, साजन ग्वालियरी , गीतकार राजेश शर्मा , डॉ किंकर पाल सिंह जादौन , रामचरण रुचिर, बृजेश चंद्र श्रीवास्तव, सुरेंद्र सिंह परिहार, डॉ.रवींद्र नाथ मिश्रा, रवींद्र रवि, आशा पांडेय, डॉ दीप्ति गौड़ " दीप", चेतराम सिंह भदौरिया , रमेश निर्झर, डॉ. रमेश चंद्र त्रिपाठी "मछंड", दिलीप मिश्रा, कानपुर से पधारे बृजेन्द्र पाल सिंह कुशवाह,
" उद्भव" के मनोज अग्रवाल, सुरेंद्र पाल सिंह कुशवाह, आलोक द्विवेदी, प्रवीण शर्मा, राजीव शुक्ला, मनीषा जैन, अमर सिंह परिहार, सुरेश वर्मा, मोनू राणा, शरद सारस्वत,शरद यादव, साहिल खान इत्यादि ने नगर के गणमान्यजन एवं साहित्यकार भारी संख्या में कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में सभी आभार प्रदर्शन जगदीश गुप्त महामना ने किया। तत्पश्चात सभी ने सुरुचि भोज का आनंद लिया। कार्यक्रम बहुत ही सुंदर ,अविस्मरणीय एवं प्रेरक रहा।

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